उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर
भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार जो तीन बिल किसानों के हित में लेकर अाई है उससे पंजाब की राजनीति में हाहाकार मचा हुआ है । पंजाब के किसानों में सबसे अधिक बेचैनी देखी जा रही । केन्द्र में एन डी ए की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल का केंद्र सरकार से इस्तीफा एक प्रपंच है ,एक सुनियोजित एक्शन है जिसमें भोला भाला किसान जरूर फंस जाएगा । वैसे भी पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की टीम ने पूरे राज्य को हैक किया हुआ है । मुद्दे को रिओपन किया जाय तो यूपीए -2 के समय फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एफ.सी.अाई) का एक प्रोग्राम आया था। हर जिले में पी.पी.पी मॉडल पर वेयरहाउस खड़े करने का। काम हुआ और घोटालेबाजी वाला गोरखधंधा भी हुआ । जिलों ने काफी खर्च किया और वेयरहाउस बनवाए गए । भ्रष्टाचार का माल ऊपर से नीचे तक गया ।
इसके तहत एम एस पी पर खरीदे गए अन्न भंडार रखे गए। बदले में प्रति वर्ग फुट किराया मिला। वेयरहाउस खड़े करने में सरकार ने 50%सब्सिडी अलग से दी। करोड़ों का काले को सफेद करने का भी खेल हुआ। इसमें पंजाब और हरियाणा के राजनेता बाजी मार ले गए। यूपी के भी बड़े किसान और राजनेता भी जैसे-तैसे रुपए में दो-चार पैसे झटक ही ले गए। खैर, अब यदि एमएसपी पर अन्न की खरीद कम होगी तो उधर वेयरहाउस का किराया भी तो कम होगा। हो सकता है, कल खाली वेयरहाउस में कुत्ता भी ना घूमें । इस बिंदु पर “मंडी परिषद” एफसीआई, नैफेड जैसी संस्थाओं की “असल भूमिका” समझा जा सकता है ।
उत्तर प्रदेश के 36 जिलों में “सुखबीर एग्रो” नाम से वेयरहाउसेस हैं। पचास-पचास एकड़ में। यह नाम ही काफी है, एक केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की वजह जानने के लिए। धंधे पर चोट ऐसे ही नहीं पड़ी। सुखबीर एग्रो के पास धान की भूसी से बिजली बनाने के प्लांट भी हैं। अब बिजली तैयार करने के लिए धान कहां से आएगा ? मंडी कथा बहुत सारगर्भित कथा है। मोदी जब “बिचौलियों” का जिक्र करते हैं तो उनके निशाने पर छोटे आढ़त नहीं, विकराल मगरमच्छ हैं। जिन्होंने आढ़तियों को भी महज “मामूली टूल” बनाकर रख दिया है। उत्तर प्रदेश बिहार बंगाल असम महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों को इस बिल से कोई फर्क नहीं पड़ा ,आखिर क्यों ? ये सोचने वाली बात है क्योंकि आढ़त व्यापार में फसलों का उचित मूल्य सरकारें तय करती है जबकि पूरी फसल बिचौलियों के रहमों करम पर तीन का तेरह कर दिया जाता है । जिम्मेदार अधिकारी ना किसानों की सुध लेते है ना कुल उत्पादन की ।
बात सुधार की करे तो आज भी किसान सबसे ज्यादा पीड़ित और प्रताड़ित है । एक छोटा सीमांत किसान अगर छोटा सा मोटर घर पर लगाकर सिंचाई करके कुछ उपजाने का प्रयास भी करता है तो बिजली विभाग वाले उसके घर छापा मार देते है और जबरन जेल का डर दिखाकर धन उगाही करते है । केंद्र सरकार और राज्य के विद्युत आयोग को ये अब सोचना चाहिए कि यही किसान है जो कुछ उगाता है मेहनत करके और उसे मंडी में बेचता है तो निश्चित तौर पर उत्पादन बेहतर होती है ,निर्यात सुधरती है और देश की महंगाई नियंत्रित होती है किन्तु जब यह इसी प्रकार प्रताड़ित होता रहेगा तो आने वाले समय में सरकार यू ही बस बिल लाकर संसद में हंगामा मचवाती रहेंगी ,आंदोलन और इस्तीफों का दौर चलता रहेगा लेकिन देश को कुछ नहीं मिलेगा । हमें आज जरुरत है इन अन्नदाताओं को अधिकाधिक सुविधाएं और सहूलियत देने की । इस दिशा में सकारात्मक प्रयास की अपेक्षा रहेगी ।
_____ पंकज कुमार मिश्रा ( अस्सिटेंट प्रोफेसर एवं पत्रकार 8808113709)
अभिषेक शुक्ला उत्तर प्रदेश सम्पादक
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