उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि)लखनऊ
लखनऊ।मैं पूछता हूं जिन्होंने हिंदू धर्म का परित्याग कर दिया है और बौद्ध धर्म को अपना लिया है उन्हें सरकारें किस आधार पर आरक्षण दे रही हैं बौद्ध धर्म के अनुसार ऊंच-नीच दलित सामान्य कुछ नहीं होता वहां जाति व्यवस्था है ही नहीं फिर इन बौद्धों को किस आधार पर आरक्षण का लाभ सरकार के द्वारा दिया जा रहा है क्या यह लाभ उनके आर्थिक रुप से गरीब होने पर दिया जा रहा है यदि ऐसा है तो फिर यह व्यवस्था जातिगत क्यों आर्थिक क्यों नहीं जाति आधारित आरक्षण कभी भी सामाजिक समरसता नही बना सकता है इस आरक्षण से केवल जातिगत भेदभाव बढ़ रहा है सरकार यदि गरीबी को समाप्त करना चाहती है तो जातिगत आरक्षण को आर्थिक आधार पर करे साथ ही सवर्णों के लिए भी एक राष्ट्रीय सवर्ण आयोग का गठन करे यह सवर्ण हितों के लिए अति आवश्यक है वर्तमान में सवर्ण समाज को संविधान आरक्षित वर्ग द्वारा जिस प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है उसको देखते हुए सरकार एक सवर्ण सुरक्षा कानून लागू करे ।
उत्तर प्रदेश सम्पादक अभिषेक शुक्ला
You must be logged in to post a comment.