सरदार बल्लभ भाई पटेल जी का जन्म दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया।अनेकता में एकता की ली शपथ।

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छीपाबड़ौद छीपाबडौद राष्ट्रीय सेवा योजना राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय व्याख्याता कमल किशोर की अध्यक्षता में (31 अक्टूबर) शनिवार को भारत के पहले गृहमंत्री व उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 145 वीं जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई गयीं । विद्यालय परिवार के सदस्यों ने ली राष्ट्रीय एकता दिवस पर अनेकता में एकता की शपथ।कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर के अनुसार इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के सेवार्थीयो को कस्बे ओर स्वयं के ग्राम में नो मास्क-नो एंट्री के पेम्पलेट विररित करनें के के लिए दिये गये।इस अवसर पर दोनों महा पुरुषों के जीवन पर वार्ता आयोजित की गयीं।रासेयो के कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कमल माहेश्वरी ने सम्बोधित करते हुए बताया कि वर्तमान में भारत सहित सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है जिसकी अभी कोई दवाई नही है सिर्फ बचाव ही एक मात्र उपाय है आज के दिन हमें कोरोना जंग जीतने के लिए शपथ लेना है की हम स्वयं मास्क लगायेंगें ओर दूसरों को भी प्रेरित करेगें।व्याख्याता लखन लाल माली ने बताया कि सरदार पटेल देश के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। उनके कार्यों की वजह से लोग उन्हें सरदार के नाम से संबोधित करते थे।व्याख्याता रामेश्वर प्रसाद शर्मा ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई ने 22 वर्ष की उम्र में मैट्रिक पास किया था,अपने आसपास के लोगों के लिए वह काफी साधारण व्यक्ति थे,लेकिन उनकी इच्छा शक्ति काफी मजबूत थी वह बैरिस्टर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 36 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड के माध्यमिक धर्मशाला मंदिर में प्रवेश लिया था बताया जाता है कि उस दौरान बैरिस्टर का कोर्स 36 महीने का था जिसे उन्होंने महज 30 महीने में ही पूरा कर लिया था। भारत लौटने के बाद वह अहमदाबाद के सबसे सफल बैरिस्टर बने।नवल मीणा,

जगदीश चौरसिया ओर रमेश चंद गौतम,दीपक गुर्जर ने कहा कि सरदार पटेल,वो शेर थे जिन्होंने 562 टुकड़ों को जोड़कर आज के ‘भारत’ का निर्माण किया था।
सरदार पटेल की जयंती पर रासेयो ने कोविड-19 के बचाव हेतु नो मास्क नो एंट्री के पर्चे ओर पम्पलेट जन जागरूकता हेतु आम लोगों को वितरित किये गये। संतोष सामरिया ने भूतपूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 11 जनवरी 1966 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद तो वह लगातार तीन बार 1967-1977 और फिर चौथी बार 1980-84 देश की प्रधानमंत्री बनीं।सन 1967 के चुनाव में वह बहुत ही कम बहुमत से जीत सकी थीं लेकिन 1971 में फिर से वह भारी बहुमत से प्रधामंत्री बनीं और 1977 तक रहीं। 1977 के बाद वह 1980 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहीं।आज ही के दिन उनकी सतवंत सिंह और बेअन्तसिंह नामक उनके अंगरक्षकों (सुरक्षा गार्डों) द्वारा हत्या कर दी गयीं थी उन्हें आयरन लेडी के नाम से पुकारा जाता था।स्वर्गीय इंदिरा गांधी के चित्र पर पुष्प चढ़ा उन्हें श्रद्धांजलि दी गयीं।समापन पर कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर नें दोनों महापुरुषों की पवित्र आत्मा को नमन कर कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी सदस्यों का आभार जताया।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद