फिट इण्डिया स्कूल वीक सेलिब्रेटल्स 2020 वर्चुअल एक्टिविटीज।ऑनलाइन बेबनार में फेमिली फिटनेश कार्यक्रम के साथ होगा समापन।

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छीपाबडौद:राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय द्वारा फिट इण्डिया वीक के द्वितीय चरण में 5 दिसम्बर से मनाये जा रहे फिट इण्डिया मूवमेन्ट सप्ताह के तहत शुक्रवार को वर्चुअल असेम्बली-कॉमन योगा प्रोटोकॉल के तहत ” *पावर ऑफ फ़िटनेस*” पर राष्ट्र के युवाओं के नाम खुला पत्र लिखा गया।रासेयो,कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर नें पत्र लिखते हुए कहा कि——————–

“प्रिय भारत वर्ष में निवासित देश के समस्त भारत वासी युवाओं भाइयों और बहिनों मेरा आपको भारत की पवित्र भूमि से वन्देमातरम।में आपको राष्ट्रीय सेवा योजना के तौर पर इस पत्र द्वारा सन्देश देना चाहता हूं कि वर्तमान में देश ही नही सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है ओर देश का हर व्यक्ति, नागरिक,वर्ग,संगठन वर्तमान में किसी ना किसी परेशानी को लेकर आज आंदोलित दिखाई दे रहा है।देश के अंदर ओर बाहर जो माहौल आज पैदा हुआ है या पैदा हो रहा है उसे देख देश के युवाओं को भटकना नही है लगता है देश ही नही सारा विश्व ही मानों विध्वंस की ओर बढ़ रहा है हर घर से लेकर हर मंच पर खड़ा व्यक्ति मानवता को छोड़ महा भारत के पात्रों की तरह दिख रहा है युवा वर्ग जरा रुकें,सोचें अपने नेतृत्व कर्ता को पहचानें फिर आगे बढे आप के ऊपर देश का भाग्य खड़ा है स्वयं देशहित में आप अपनी कभी नही मिटने वाली आत्मा के अंदर देखें और निर्णय कर हानि लाभ जीवन मरण सब विधि हाथ रख छोड़े ओर राष्ट्रीय हित में ही सोच कर आंदोलनों में आगे बढे,शांति का सन्देश भी क्रांति ला सकता है।वर्तमान समय आपकी ज्ञान इंद्रियां जो देख रही है उसे देख आपकी कर्मेन्द्रियाँ कार्य कर रही है जिसमें आपको बुद्धि के साथ विवेकानन्द बन लोगों का साथ देना है किसी राष्ट्र और समाज विरोधी के बहकावें में नही आना चाहिए।
*विधा ददाति विनयम* के साथ हमें काम कर आगे बड़ना है।नागर नें महापुरुषों के ज्ञान के आधार पर युवाओं से कहा कि युवा-काल का जीवन सबसे श्रेष्ठ, उत्तम और मूल्यवान जीवन होता है। इसी जीवन में संघर्ष-पुरुषार्थ के द्वारा युवा,मेधावी,ज्ञानी तथा महान बनता है आज राष्ट्र में सत्यमेव जयते का नारा स्वार्थी लोगों की लोभ की दृष्टि से आज परोपकारी जीवन भ्रष्टाचारी जीवन में बदल गया है आज हर व्यक्ति साम,दाम,भेद,दण्ड एक दूसरे को नष्ट करनें ओर नश्वर होनें वाली माया के संग्रह में लगा हुआ है। हमें हमारे आदर्श ओर लक्ष्य धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष के ग्रंथों से लेकर सतपथ का मार्ग चुनना है।भारत सरकार युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय का फिट इण्डिया कार्यक्रम का चलाने का मकसद राष्ट्र की युवा शक्ति का शरीर बलवान बनाना है। तभी तो युवा बड़े से बड़े कार्य को करेंगे।बड़े कार्य को करने के लिए उत्तम बुद्धि की आवश्यकता होती है देश के युवा बल,शक्ति ऊर्जा संकल्प से बड़े से बड़े असंभव कार्यों को संभव कर दिखाए वह जज्बा ओर साहस युवाओं के अंदर ही होता है।युवा यदि श्रेष्ठ बुद्धिमान होंगे,ओजवान होंगे ऊर्जावान,उत्तम लगनशील दृढ़ प्रवृति वाले पुरुषार्थी होंगे तभी समाज देश-राष्ट्र महानता की ओर परिणत होकर समस्त विश्व में अग्रेसित होगा।विद्यालय के शारीरिक शिक्षक चन्द्र सिंह कुशवाह ने कहा कि खुले पत्र के माध्यम से नागर नें आगे लिखते हुये कहा कि मानव जीवन तो महान है और इस महान जीवन में महान कार्य करने वाला ही महान व्यक्ति होता है,इसलिए महान कार्य की आशा हम नए गतिशील रक्त से रंजीत युवाओं से करते हैं।मेरी आस्था देश के युवाओं में एक शिक्षक के नाते से भी है कि युवा किसी भी मार्ग से भटकेगा नही आज चारों ओर शिक्षा ग्रहण डिग्री,डिप्लोमा का अर्थ नोकरी से हो गया है जो मेरी निगाह में उचित नही है हम शिक्षा में शिक्षित क्वॉन्टिटी ना देख शिक्षित युवाओं की क्वॉलिटी की ओर बड़े और स्वयं के ज्ञान से विश्वकर्मा बनें ओर बनावें नोकर की जगह नोकरी देनें वाला मालिक बनें ऐसा मेरा मत है इस मेरे मत का अर्थ यह नही की हम नोकरी नही करें नोकरी करें परन्तु कैसे करें इस पर सोचें उसमें भी स्वसेवा छोड़ राष्ट्र सेवा हो तो करें नही तो नोकरी नही करे।बुजर्गों का कहना है उत्तम खेती,मध्यम व्यापार और अधम नोकरी करना है परन्तु आज उल्टा हो रहा है।इस पर राष्ट्र विकास की सोच से सोचें अनुसन्धान कर रुक कर जरा विचार करें भारत विश्व गुरु नोकरो की नोकरी से नही रहा था।राजा जैसे आदर्श चरित्र तप सेवा,सुमरण और समर्पण जैसे श्रेष्ठ कर्मों से रहा है आज सत्य पवित्रता ईमादारी दया करुणा मर्यादा किताबों की कहानियां पढ़ने के समान हो गया है हर ओर दोखा,फरेब,झूंठ,दम्भ ओर भ्रष्ट लोगों से दुनियां भरी पड़ी है कहि आस्था और विश्वास दिखाई नही दे रहा।जीवन मूल्य दम तोड़ रहे है इन्हें अब देश के युवाओं को ही इसे स्थापित करना है।आज हमें धन संग्रह की पूजा नही कर इसका समान वितरण कर शुभ कर्मों की पूजा करनी है और सब धर्मों ओर संगठनों से सन्यास लेकर हमें *राष्ट्र सेवा धर्म की ओर ही बढ़ना है* जो इसका अनुशरण नही करता हमें उसके साथ कभी नही जाना है यदि ऐसा युवा मन में होता है तो भारत वर्ष फिर से विश्व गुरु होगा।सोचों इतिहास खोजों धरती पर स्वर्ग है तो वो भारत भूमि ही है यहां नर के रूप में नारायण भी आये और निशाचर रूप में रावण भी रहा परन्तु आज राम को भूल लोग रावण राज्य की ओर बढ़ रहे है।हमें निष्क्रिय नही होना है अपनी आत्मा में ऊर्जा का संचार कर वेदों के ज्ञान की ओर लौटना है पाखंडियों के साथ नही सत्यवादी लोगों के साथ रहकर विवेकानन्द,दयानन्द,भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद,नेताजी सुभाष जैसे कर्मवीर,राष्ट्रवीर बन राष्ट्र सेवा करनी है।जय हिंद।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद