कक्षा-कक्ष के षष्टम दिवस किशोरावस्था में पोषण का महत्व विषय पर हुयीं चर्चा शिक्षण कक्षों में वार्ता।

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छीपाबडौद मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रेम सिंह मीणा के संरक्षण में ब्लॉक में श्री दानमल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में चल रहे गैर आवासीय 10 दिवसीय महिला शिक्षक आत्मरक्षा तकनीको पर आधारित प्रशिक्षण में छठे दिन प्रातः योगा एवं प्राणायाम सत्र में व्याख्याता शंकर लाल नागर ने प्राणायाम का अभ्यास कराया तथा समापन पर स्थूल आकर से सूक्ष्म की ओर निराकार की ध्यान यात्रा कराकर किया।फील्ड प्रैक्टिस में खेल मैदान में पांचवे दिवस के थ्रो के अभ्यास की जानकारियां देकर कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए मास्टर ट्रेनर हेमन्त शर्मा शारीरिक शिक्षक,लीला मेहरा,संगीता गौतम शारीरिक शिक्षिकाओं नें छठे दिन विभिन्न प्रकार के चोक का अभ्यास कराया तथा शत्रु ओर मनचलो के आकस्मिक हमलों के समय शत्रु को गिरा दम घोंटने की प्रक्रिया से परिचय कराया तथा विपरीत समय बालिकाओं ओर महिलाओं को कैसे आत्मरक्षा करनी है समझाया गया।अल्पाहार भोजनावकाश बाद चारों कक्षा कक्षों में *किशोरावस्था में पोषण का महत्व विषय* पर वार्ताऐं आयोजित की गयीं।वार्ता में हेमन्त शर्मा शारीरिक शिक्षक, नें कहा कि किशोरावस्था पोषण की दृष्टि से एक संवेदनशील समय होता है,जब तेज शारीरिक विकास के कारण शरीर में पौष्टिक आहार की माँग में वृद्धि होती है।संभागी व्याख्याता महेंद्र ने कहा कि किशोरावस्था के दौरान लिए गया पोष्टिक आहार ओर आचरण पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओ ओर समस्याओं में योगदान कर सकते हैं।संभागी शशिकला ने कहा की किशोरावस्था में आहार विहार का स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्षमता पर आजीवन असर ओर प्रभाव रहता है।दक्ष प्रशिक्षक लीला मेहरा ने पोषण पर कहा कि

” *11 से 18 वर्ष” की उम्र, किशोरावस्था कहलाती हैं* इस उम्र में,शरीर में तेजी से परिवर्तन होते हैं और शरीर का विकास होता है किशोरी में माहवारी की शुरुआत,हार्मोनल परिवर्तन इत्यादि और इसी वजह से उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक व अन्य शरीर उपयोगी पोषक तत्वों की आवश्यकता भी इसी उम्र में अधिक होती है।युवावस्था में आयरन नही मिलने से खून की कमी,कम आयु में विवाह व बार – बार गर्भधारण करने से युवा महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रति कूल प्रभाव पड़ता है।संभागी तारा चंद ओर लीना शर्मा ने कहा कि जब खून की कमी से ग्रस्त महिला एक बच्चे को जन्म देती है तो ऐसे बच्चे का कुपोषित होना निश्चित है।इसके लिए आवश्यक है कि किशोरावस्था में ही खून की कमी को दूर किया जाये ताकि भविष्य में वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें।दक्ष प्रशिक्षिका संगीता गौतम ओर संभागी राखी गोयल ने पोषण वार्ता में कहा कि किशोरावस्था में पोषण नही मिलने से शरीर मांग में आने वाले संदेश के कारण पिट्युटरी ग्रंथी उत्तेजित होती है उसमें से स्रावित होने वाले संप्रेरक के कारण और अंतःस्रावी ग्रंथीयों से प्रजनन ग्रंथी का विकास होता है उसमें कमी,बेशी से उसमें से स्त्रावित होने वाले संप्रेरक के कारण संपूर्ण शरीर में अनेक बदलाव होते हैं अतः उम्र के अनुसार उचित पोषण मिलना ही चाहिए।सहभागी असलम,विनोद नें कहा कि ब्रेन का लगभग 95% विकास कुमार,कुमारी अवस्था तक हो गया होता है, मुख्यतः विकास किशोरावस्था में ही पूर्ण होता है,किशोरावस्था का वैशिष्ट्यपूर्ण बौद्धिक विकास और मानसिक विकास ब्रेन के मुख्यतः अधि मस्तिष्क भाग का विकास उचित पोषण का परिणाम होता है।अधिमस्तिष्क के कुछ भाग की चेतन पेशींयों की संख्या बडे़ पैमाने पर बढ़ती है इसके साथ ही चेता तंतुमय सफेद भाग में भी बढ़ता है इस कारण चेतापेशीं के परस्पर-संपर्क में संदेश वहन में बढ़ौतरी होती है।सांयकालीन सत्र का सीबीईओ प्रेम सिंह मीणा नें स्माईल 2.0 के निरीक्षण से लौटने के बाद आत्म रक्षा प्रशिक्षण शिविर का निरीक्षण किया इस समय संभागियों को दक्ष प्रशिक्षक लीला मेहरा,संगीता गौतम,हेमन्त शर्मा प्रातःकालीन प्रशिक्षण सत्र की सायंकाल पुनःअभ्यास की जांच करते मिले।शिविर प्रभारी सूर्यप्रकाश शर्मा नें उपस्थिति की जांच की तो सभी 96 संभागी उपस्थित मिले आज के प्रभावी सत्र के लिए सहभागियों को कोरोना गाइड लाइन की पालना से आगाह करते हुए धन्यवाद दे आभार जताया।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद