उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट। परिस्थितियां कैसी भी हो, 112-यूपी हर आपात स्थिति से निपटने को मुस्तैद रहती है. 112 में आने वाली कॉल के आंकड़े बताते हैं कि इंसानों के साथ जानवरों/मवेशियों की हिफाज़त और उनके संरक्षण को ले कर पुलिस विभाग कितना संजीदा है. पीछले एक वर्ष के दौरान चित्रकूट में 89 कॉल जानवरों/मवेशियों की मदद के लिए 112 को आयी. इस दौरान वन विभाग की मदद से संरक्षित प्रजाति के जानवरों को बचाने का कार्य भी 112 द्वारा किया गया.
*चित्रकूट जिले में घायल पशुओं की मदद को 89 कॉल*
घायल पशुओं की मदद को पुलिस के साथ आम जनमानस में भी जागरूकता काफ़ी बढ़ी है. लोगों में जागरूकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि घायल पशुओं की मदद के लिए चित्रकूट जिले में 89 लोगों ने कॉल किया. इन मामलों में 112 ने सरकारी पशु चिकित्सकों, स्थानीय लोगों और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से घायल जानवरों तक मदद पहुँचाने का कार्य किया.
*सियार, लोमड़ी और बंदरों के काटने पर पहुचाई सहायता*
112 ने घायल पशुओं को मदद देने के साथ ही सियार, लोमड़ी और बंदरों के हमले में घायल हुए नागरिकों को भी सहायता पहुंचाने का काम किया.
*जानवरों को रिहायशी इलाकों से बाहर निकलवाया*
रिहायशी इलाकों में जंगली जानवरों के पहुँचने की शिकायतें भी 112 के पास खूब आयीं. एक वर्ष में जंगली जानवरों के रिहायशी इलाकों में आने की 09 शिकायतें पुलिस को मिलीं. ऐसे मामलों में 112 ने वन विभाग और स्थानीय निवासियों की मदद से लोगों को राहत पहुँचाने का काम किया।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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