राजस्थान राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) बारा छिपाबड़ोद उपखंड एवं तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत पंचायत के गांव हरनावदा जागीर निवासी एक गुर्जर परिवार गंभीर बीमारी जंग में तीन पुत्र तीनों पुत्र एक ही बीमारी से ग्रसित पूर्व में भी दो पुत्रों की इसी बीमारी से जान जा चुकी है परिवार गरीब होने के कारण पहले पुत्र की जान नहीं बचा पाए लेकिन उस दौरान इस बीमारी का भारत में कोई इलाज नहीं था उसके बाद इस बीमारी के इलाज को अमेरिका ने 2019 में सर्च कर इस बीमारी की रोकथाम को लेकर एक दवा का प्रयोग किया लेकिन विडंबना इस बात की है कि वह इंजेक्शन अमेरिका से भारत आने तक या तो इस रोग से ग्रसित रोगियों की सांसे थम जाती है। या फिर इस बीमारी के रोकथाम को लेकर लगाए जाने वाले इंजेक्शन की कीमत ₹155000000 की लागत जो हर किसी के बस की बात नहीं है इस बच्चे की जिंदगी बचाने के खातिर पिता लखन गुर्जर जो एक छोटा सा शिक्षक है। समाज जानकार और कई लोगों ने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार चाहती तो बचा सकती थी आज ने की जिंदगी को आंधी ने की मौत की खबर सुनकर गांव गली मोहल्ला वार्ड कस्बा शहर सिटी से लेकर दूर-दूर तक सन्नाटा बस ऐसे ही लोगों ने सुनी वैसे उनकी सांसें फूल गई इस दौरान आंधी ने की मौत की खबर सुनकर मौके पर पहुंचे लोगों ने जानकारी देते हुए बताया गया है कि अगर राज्य और केंद्र सरकार मिलकर बचा सकती थी आज ने की जिंदगी क्योंकि सरकार के लिए 15:30 करोड़ की राशि कोई ज्यादा नहीं तथा जब एक बच्चा बोरवेल में गिर जाता उसको बचाने के लिए सरकार लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देती है जबकि वह एक अकेले बच्चे एक अकेले परिवार का जिंदगी का सवाल था लेकिन विडंबना इस बात की है हरनावदा जागीर के एक शिक्षक लखन गुर्जर के 3 पुत्र तीनों पुत्रों की एक ही बीमारी से ग्रसित होने एक ही परिवार के तीनों बालकों की मौत होने से परिवार समाज एवं क्षेत्र सदमे में है क्योंकि यह बीमारी 8से10,000 बच्चों के बीच में एक बच्चे को होती है जबकि लखन गुर्जर के 3 पुत्र तीनों पुत्र एक ही बीमारी से ग्रसित और तीनों को देनी पड़ी जान
शिक्षक पिता ने अपने पुत्र आंधी ने की जिंदगी बचाने के लिए जिसे अपन सीधे सीधे तौर पर भीख मांगना कह सकते हैं उसी तरीके से शिक्षक पिता लखन गुर्जर ने डोनेशन के रूप में आमजन उद्योग पति नगर पति एवं राज्य और केंद्र सरकार तक हां जिले की जिंदगी के लिए सहयोग के लिए झोली फैलाई यही नहीं कई स्कूल के छात्र छात्राओं ने कई संस्थाओं ने 2 माह आंजनेय की जिंदगी बचाने के लिए गांव गली वार्ड मोहल्ले आदि में झोली फैलाकर भीख भी मांगी लेकिन नहीं बचा पाए आंजनेय की जिंदगी और थम गई आंजनेय की सांसे दो शिशुओं की मौत महज 4 माह में हो गई थी, लेकिन इस बार मन में था कि आंजनेय को जाने नही देंगे। काफी प्रयास भी किये। अभियान भी चलाया। सोशल मीडिया के माध्यम से गुहार भी लगाई। काफी लोगों ने सहयोग भी दिया। करीब पांच लाख पचास हजार की राशि भी एकत्रित हो गई, लेकिन ये राशि भी नाकाफी थी। क्योंकि, आंजनेय को कोई साधारण बीमारी नही थी। यह एसएमए-1 टाइप दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी थी, जो 11 हजार में से एक नवजात को होती है। चार माह के भीतर उपचार करवाना जरूरी था। इसका उपचार यहां भी नही। दिल्ली में ही संभव था। वहां भी अमेरिका से 15 करोड़ 50 लाख में इंजेक्शन मंगवाया जाना था। इतनी राशि आंजनेय के पिता का खर्च करना नामुमकिन था। इसके लिए जरूरत थी कोई दानदाता की। जरूरत थी एक पहाड़ से ह्रदय वाले की। ऐसा भी नही है कि आंजनेय के पिता ने किसी से मदद की गुहार न लगाई हो। क्षेत्रीय विधायक, मंत्री से लेकर लोकसभा अध्यक्ष तक से मदद मांगी। लेकिन, सभी ने हाथ खड़े कर दिए। नतीजा ये हुआ कि मंगलवार तड़के आंजनेय ने बेरहम दुनिया से अलविदा कह दिया। माफी चाहते है आंजनेय… हम भी उस बेरहम दुनिया के निवासी है…
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारा छिपाबड़ोद 952166 9762
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