जन स्वास्थ्य रक्षक अपने भविष्य को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट। एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों अरबों रुपए पानी की तरह खर्च कर रही हैं वही लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे जन स्वास्थ्य रक्षक अपने भविष्य को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं, जनपद चित्रकूट के ब्लाक कर्वी अंतर्गत ताम्रबनी गांव की 65 वर्षीय वैद्याचार्य की डिग्री लेने वाले राजबहादुर मिश्र बताते हैं कि वह 1978 से जन स्वास्थ्य रक्षक के रूप में स्वास्थ्य विभाग में जनता की सेवा स्वास्थ्य विभाग के निर्देशन में कर रहे हैं यह योजना 2002 में बंद हुई इसके बावजूद भी वह भारत सरकार द्वारा चलाए गए पल्स पोलियो अभियान महामारी कुष्ठ रोग आदि के क्रियान्वयन में निरंतर सेवा दे रहे हैं राजबहादुर मिश्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री रह चुकीं रीता बहुगुणा जोशी ने जन स्वास्थ्य रक्षकों के लिए कुछ किया था सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि राज्य सरकार चाहें तो जन स्वास्थ्य रक्षकों की सेवाएं बहाल कर सकती हैं लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया जन स्वास्थ रक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं उन्हें ना तो पारिश्रमिक मिला है ना पेंशन, न एरियर ,उनका परिवार भुखमरी केक कगार पर खड़ा है, राजबहादुर मिश्र की मांग है कि मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र को लेकर चलने का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन आज भी केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा का दंश हजारों जन स्वास्थ्य रक्षक (कम्युनिटी हेल्थ वर्कर) और उनका परिवार झेल रहा है लेकिन उनकी बेहतरी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं उन्होंने पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी जी से मांग की है कि जन स्वास्थ्य रक्षकों के भविष्य के बारे में कुछ न कुछ अच्छा निर्णय लें।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट