उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) अलीगढ़,24 मार्च 2021 अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के क्षय रोग तथा श्वांस रोग विभाग द्वारा विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर एक सीएमई तथा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि चूंकि टीबी को आमतौर पर तीसरी दुनिया की समस्या माना जाता है, इसलिए विकसित देशों ने इसे जड़ से खत्म करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे संगठनों ने हाल के वर्षों में इस पर बारीकी से ध्यान दिया है और वैश्विक टीबी दर को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने जोर दिया कि तपेदिक के उपचार के अन्तर्गत संक्रमण की रोकथाम के नए तरीकों को अपनाने और रोग के शीघ्र निदान और उपचार में तेजी लाने की आवश्यकता है। कुलपति ने भारत सरकार के संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के बारे में भी बात की जिसे डॉट्स प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम को महामारी के कारण बदल दिया गया था, लेकिन अब इसे फिर से गति मिली है। प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि एमडीआर टीबी का शीघ्र पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है और इस संबंध में संयुक्त प्रयासों की भी आवश्यकता है। मेडिसिन संकाय के डीन, राकेश भार्गव ने कहा कि टीबी के स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के बारे में जन जागरूकता और इसे रोकने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है ताकि दूसरों को इससे संक्रमित होने से बचाया जा सके। प्रोफेसर शाहिद अली सिद्दीकी (प्रिंसिपल, जेएन मेडिकल कॉलेज) ने कहा कि टीबी एक उपचार योग्य बीमारी है और समय पर इलाज से इसे सही किया जा सकता है। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर जुबैर अहमद ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2020 बहुत ही खास समय में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 26 प्रतिशत टीबी के मामले भारत में पाए गए जबकि दुनिया भर में 10 मिलियन नए मामले और 1.2 मिलियन मौतें हुईं। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में प्रगति को समझने में मदद करेगी। अलीगढ़ के सीएमओ डाक्टर बीपी कल्याणी ने कहा कि ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन की दिशा में अपनाई गई एक राष्ट्रीय परियोजना है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया है और इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। कार्यक्रम की संयुक्त आयोजन सचिव डाक्टर इमराना मसूद ने स्वागत भाषण दिया जबकि डाक्टर उम्मुल-बनीन ने आभार व्यक्त किया। डाक्टर आरुशी ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में टीबी एण्ड रेस्पायरेट्री विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शमीम और जिला टीबी अधिकारी डाक्टर एपी भास्कर भी मौजूद रहे। इससे पूर्व कार्यक्रम के शैक्षणिक सत्र में प्रोफेसर राकेश भार्गव ने एमडीआरटीबी के उपचार के लिए नई दवाओं के बारे में बताया जबकि प्रोफेसर जुबैर अहमद ने टीबी के निदान के लिए नई तकनीकों पर प्रकाश डाला। डाक्टर नफीस अहमद खान ने पूर्व उपचार परीक्षण के बारे में बताया जबकि डाक्टर इमराना मसूद ने विशिष्ट टीबी की जानकारी दी। डाक्टर उम्मुल बनीन ने टीबी उपचार के नकारात्मक प्रभावों पर भाषण दिया। विभाग के पीजी छात्रों डाक्टर अरुशी, डाक्टर नादिर अब्दुल रज्जाक, डाक्टर पी राय और डाक्टर सना अंसारी, को तथा अन्य विभागों के रेजीउेंट चिकित्सकों डाक्टर शादाब, डाक्टर उमैर, डाक्टर शाजिया, डाक्टर सुधीर, डाक्टर फराह और डाक्टर संजय को प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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