मंदाकिनी किनारे डीआरआई कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे श्रमसाधना में शामिल हुए पीडब्ल्यूडी मंत्री

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट धर्मनगरी चित्रकूट में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी पतित पावनी जीवनदायिनी मां मंदाकिनी नदी को पुनर्जीवन प्रदान करने के लिए पिछले एक माह से दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में समाजसेवी कार्यकर्ता पूरी तन्मयता से इसमें लगे हुए है।भारत में तीर्थ यात्रा हर एक हिंदू व्यक्ति की जिंदगी का अहम हिस्सा है। इस चार धाम की तीर्थ यात्रा में चित्रकूट एक अहम पड़ाव है। चित्रकूट की यात्रा में कामदगिरि परिक्रमा और मंदाकिनी दोनों का विशेष महत्व है। जाहिर है चित्रकूट की यात्रा हो और इन दोनों महत्वपूर्ण स्थानों का स्पर्श न हो तो यात्रा अधूरी मानी जाती है। इन दोनों ही ऐतिहासिक स्थलों की स्वच्छता व निर्मल मंदाकिनी और उसके संरक्षण को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान पिछले कई वर्षों से प्रयासरत है। विगत एक महीनों से दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं द्वारा संगठन सचिव अभय महाजन के नेतृत्व में मां मंदाकिनी नदी के किनारे जल कटाव एवं मृदा अपरदन की रोकथाम हेतु श्रम कार्य किए जा रहे है। जिसमें लोक निर्माण राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय सम्मिलित हुए व श्रमदान में सहयोग किया।

इस दौरान मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने योग्य है तथा प्रातः काल प्राकृतिक वातावरण में ऐसा श्रमदान स्वास्थ्यवर्धक भी है। इस तरह हो रहे मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए सभी लोगों को व्यवहारिक दृष्टि से संकल्प लेना होगा कि मंदाकिनी के आसपास एक-एक वृक्ष लगाकर कम से कम 5 वर्ष तक उसके संरक्षण संवर्धन की चिंता करेंगे तो निश्चित रूप से साकार परिणाम आएंगे। मंदाकिनी महज एक नदी नहीं बल्कि आस्था का केंद्र है।
प्रतिदिन दीनदयाल शोध संस्थान के अलग-अलग प्रकल्पों से 60-70 सेवाभावी कार्यकर्ताओं की टीम सुबह 6:30 बजे से 10:30 तक सेवा कार्य में संलग्न रहती है। इन लोगों के द्वारा भूमि क्षरण के द्वारा होने वाले कटाव को रोकने के लिए लूज बोल्डर की दीवार बनाकर ठीक किया जा रहा है। इसके अलावा सरपत, कुश, अर्जुन के पौधों का रोपण कार्य भी हो रहा है। यह सारा कार्य स्फटिक शिला के नजदीक लाल बाबा एवं पीली कगार से प्रारंभ हुआ है, जो सतत जारी है।
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन का कहना है कि मंदाकिनी जी के किनारे जो भी कटाव हो रहा है, उन सभी स्ट्रक्चर को ठीक करके एवं कटाव वाले स्थानों को दुरुस्त करने के साथ-साथ वृक्षारोपण भी किया जा रहा है। पेड़ हमारे प्राकृतिक वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा, कई मूल्यवान दवाएं पौधों के विभिन्न हिस्सों से निकाली जाती हैं। पेड़ लगाने के कई अन्य लाभों में से एक यह है कि पेड़ों की जड़ें मिट्टी को कसकर पकड़ती हैं। नतीजतन, बाढ़ की संभावना तेजी से कम हो जाती है।महाजन ने कहा कि मंदाकिनी किनारे ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने की जरूरत है ताकि हरा भरा दिखने के साथ मिट्टी का कटाव भी रोका जा सके। यहां पर लाखों श्रद्धालु आते हैं वृक्ष लगने से यहां का स्थान और रमणीक होगा। उन्होंने वन विभाग से भी मंदाकिनी नदी के दोनों तरफ किनारों पर एवं कामदगिरि पर्वत पर पूरे परिक्रमा क्षेत्र में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने के साथ-साथ उनके संरक्षण एवं संवर्धन की बात कही।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट