गेंद लेने के बहाने भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का किया उद्धार

उत्तर प्रदेश( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि )जौनपुर

महाराजगंज, जौनपुर क्षेत्र के महूकुचा, शंकरगंज में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन की कथा में श्रीधाम अयोध्या से पधारे श्री निर्मल शरण जी महाराज ने कालिया नाग के उद्धार की कथा का श्रवण उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को कराया कि कालिया नाग का उद्धार कैसे हुआ था वहीं पर भजन “मेरे सर पर रख दो ए कान्हा अपने ये दोनों हाथ देना है तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ” भजन के माध्यम से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. भजन के उपरांत उन्होंने कथा प्रारम्भ करते हुए कहा कि सभी लोग संसार के बनकर बैठे हुए हैं कभी भगवान का बन कर बैठ कर के देखिए भगवान अपने बाल सखा उसे सहपाठियों से मित्रों से बहुत ही अधिक प्रेम करते थे और हर रोज ग्वाल बालों के साथ वनों में गाय बछड़े को चराने के लिए जाते थे और एक दिन काली दह के किनारे गाय बछड़ों को चराते चराते पहुंचे और वहीं पर ग्वाल बालों संघ गेंद खेलने लगे और खेलते खेलते गेंद को उठाकर काली दह में फेंक दिया और फिर जिसकी गेंद थी वह रोने लगा बोला कि मुझे मेरी गेंद चाहिए कन्हैया ने कहा उसे छोड़ दो मैं आपको दूसरी के दिला दूंगा परंतु वह जिद कर बैठ गया बोला नहीं मुझे कन्हैया वही गेंद चाहिए मैं दूसरी गेंद नहीं लूंगा फिर कन्हैया काली दह में कूद जाते हैं और कालिया नाग सो रहा था नाग पत्नियां सेवा कर रही थी जब पत्नियों ने कन्हैया को देखा तो उन्होंने कहा कि ए बच्चे यहां से भाग जाओ नहीं तो मेरे पति जाग जाएंगे तो तुम जिंदा नहीं जा पाओगे भगवान ने कहा जागने दो देखता हूं क्या कर लेता है तुम्हारा पति मेरा बिना गेद लिए मैं तो जाने वाला नहीं हूं इसलिए कि मेरा मित्र बहुत रो रहा है यह आवाज कालिया के कान में जाती है फिर वह जाग जाता है बोलता है कौन है ऊपर देखता है तो कन्हैया ने कहा ऊपर क्या देखते हो नीचे देखो और फिर कालिया ने नीचे देखा तो बोला कि तुम्हारे ऊपर मुझे बड़ी दया आ रही है फिर भगवान ने कहा किस लिए दया आ रही है मेरा गेंद दे दो मैं चला जाऊंगा फिर कालिया ने कहा गेंद तो नहीं मिलेगा यदि ज्यादा जिद करोगे तो तुम भी जिंदा नहीं जाओगे गेंद नहीं दूंगा चले जाओ फिर कन्हैया ने कहा देखता हूं तुम क्या कर लेते हो फिर कालिया ने कन्हैया के शरीर में लपेट लिया और फिर कन्हैया अपने शरीर को फुलाने लगे तो कालिया नाग छोड़कर दूर हो गया फिर कन्हैया ने एक छलांग मारा और उसके फन पर जाकर बैठे और नाचने लगे फिर कालिया खून से लथपथ हो गया और उसकी पत्नियां हाथ जोड़कर विनती करने लगी की हे नाथ आप जो भी हैं कृपा कर हमारे पति को क्षमा करें और छोड़ दें और कालिया बोला प्रभु मुझे क्षमा कीजिए मैं आपको पहचान नहीं पाया मुझे माफ करिए भगवान ने कहा तुम यहां से छोड़कर चले जाओ कालिया बोला कि मैं छोड़कर कहां जाऊं गरुड़ के डर की वजह से यहां आकर छुपा हुआ था काली दह में गरुड़ सभी सर्पों को खा जाते हैं इसीलिए यहां पर आ गया फिर भगवान ने कहा की इस जल मैं विष क्यों फैला दिया फिर कालिया ने पूछा कहा एक बात पूछे आपसे भगवान ने कहा पूछो कालिया ने कहा मुझे किसने बनाया भगवान ने कहा मैंने बनाया कालिया ने कहा मेरे मुंह में विष किसने डाला भगवान ने कहा मैंने डाला फिर बोला यदि आप मेरे मुंह में अमृत डाले होते तो मैं यहां पर अमृत ही फैला पाता विश नहीं फैलाता मेरे मुंह में विष है तो मैं विष ही डाल सकता हूं अमृत नहीं डाल सकता और फिर भगवान ने कहा जाओ आज से तुम मुक्त हो तुम्हारे सर पर मेरा पदचिन्ह पड़ गया है अब तुम्हें गरुड़ कभी परेशान करेंगे इस प्रकार कालिया का उद्धार कर भगवान अपने घर को वापस चले आए और भगवान के जयकारे से पूरा पंडाल भक्ति मय हो गया. कार्यक्रम के आयोजक मुख्य यजमान महेश्वर श्रीवास्तव, सुरेश चंद श्रीवास्तव, धीरज श्रीवास्तव सहित क्षेत्र के तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहें