अवैध रूप से चल रहे सीज क्रेशर, जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय(दैनिक कर्मभूमि)चित्रकूट।जिला में एक ओर जहां अवैध खनन एनजीटी के नियमों को ताक में रखकर किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भरतकूप क्रेशर नगरी में अवैध रूप से रात्रि में क्रेशर चलने की भी चर्चाएं बाजार को गर्म कर रखी हैं। बताया जा रहा है कि एनजीटी के नियमों को ताक में रखकर संचालित हो रहे क्रेशरों पर 2018 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा लगभग 49 के क्रेशरों को सीज करने की कार्रवाई की थी। लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं काटा गया था जिसकी वजह से क्रेशरो को सीज करना एक चुटकुले की तरह प्रशासन के लिए साबित हुआ। प्रशासन के कागजों पर तो एनजीटी के नियमों के दायरे में नहीं आने वाले क्रेशरो को तो सीज करके कार्यवाही कागजों पर कर दी गई और जिम्मेदारों ने अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं कटने की वजह से क्रेशर संचालकों ने प्रशासन की कार्रवाई को दिन तक ही सीमित कर दिया शाम ढलते ही क्रेशर संचालकों के द्वारा सीज क्रेशरों को रात्रि में चालू कर खुलेआम पत्थर की पिसाई का कार्य किया जा रहा है। और जिम्मेदार अधिकारियों को खुश करने के लिए समय-समय पर खुशियाना तौर पर खातिरदारी की जा रही है यही वजह है कि जिले का आला जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई की जगह संचालित हो रहे सीज क्रेशरों पर कार्रवाई की जगह मूकदर्शक बना नजर आ रहा है।गोंडा क्षेत्र में सीज क्रेशर के संचालित होने का वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल- इन दिनों गोड़ा में संचालित हो रहे सीज क्रेशर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है बताया जा रहा है कि यह वीडियो राजेंद्र शर्मा क्रेशर स्टोन का है जो रात में चलता है। सुबह होते ही क्रेशर को सीज अवस्था में खड़ा कर दिया जाता है इसकी जानकारी जिले के प्रदूषण विभाग राजस्व विभाग व खनिज विभाग को भी है लेकिन जांच की जगह सिर्फ खानापूर्ति की जाती है क्योंकि संबंधित विभाग के छत्रछाया में ही तो सीज क्रेशरो का संचालन हो रहा है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लोगों के स्वास्थ्य को लेकर प्रदूषण विभाग व जिले के जिम्मेदार अधिकारी कितना चिंतित हैं। ग्रामीणों ने अपना नाम छुपाते हुए यह भी कह डाला कि शिकायत करने के बाद अधिकारी आता है और चलते क्रेशर को भी यदि पा जाता है तो कार्रवाई नहीं की जाती बल्कि शिकायतकर्ता का नाम संबंधित क्रेशर संचालकों को बता दिया जाता है जिससे आए दिन क्रेशर संचालक शिकायतकर्ता को झूठे मुकदमों में फंसाने के साथ जान से मारने की धमकी देते रहते हैं।

उप जिला अधिकारी चित्रकूट से जब हमारे संवाददाता ने संबंधित प्रकरण पर जानकारी लेने हेतु उनके फोन पर संपर्क किया तो एक बार फोन रिसीव नहीं किया गया और दोबारा फोन कवरेज एरिया से बाहर बताया

प्रदूषण अधिकारी बांदा से संपर्क जब हमारे संवाददाता ने किया तो कई बार फोन लगाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी ने अपना फोन रिसीव नहीं किया जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले का जिम्मेदार अधिकारी अपने दायित्वों को किस तरह निर्वहन कर रहा है और इस अंदाज में कार्रवाई की जा रही है।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट