राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का चित्रकूट के दीनदयाल परिसर में हुआ शुभारंभ

उत्तर प्रदेश(दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट-बच्चों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और उन्हें सुरक्षित करने हेतु विशेष ध्यान देने के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित वांछित लक्ष्यों को पूरा करने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका के निर्धारण के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के उद्यमिता विद्यापीठ परिसर में किया गया। 1 फरवरी तक चलने वाली इस कार्यशाला का उद्घाटन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन तथा नीति आयोग के ए.डी.पी. के निदेशक सौमित्र मंडल, मध्यप्रदेश राज्य बाल आयोग के सदस्य द्रविंद्र मोरे, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप के डिप्टी डीन रविंद्र पोखरना व सिक्किम के पूर्व मुख्य सचिव आलोक श्रीवास्तव द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि अपने जिले को बदलने के लिए सरकार की क्या भूमिका हो सकती है इसके लिए भागीदारी की सहभागिता पर सेतु निर्माण में गिलहरी की भूमिका के प्रसंग को सभी के समक्ष रखा, उन्होंने कहा कि विश्व की सर्वाधिक बाल जनसंख्या भारत में निवास करती है। भारत की कुल जनसंख्या में से 39 प्रतिषत जनसंख्या बच्चों की है,

बच्चों को सहायक एवं सक्षम वातावरण प्रदान करने से प्रत्येक बालक एवं बालिका देश के उत्तरदायी नागरिक बन सकते हैं, इसके लिए राष्ट्रीय बाल आयोग ने एक अनूठी कार्य प्रणाली तैयार की है जिसमें आकांक्षी जिलों में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को बाल अधिकार के उल्लंघन से संबंधित शिकायत तैयार करने के लिए जिला प्रशासन के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके लिए आयोग को विभिन्न क्षेत्रों से गैर सरकारी संगठनों का भारी समर्थन प्राप्त हुआ है। कार्यशाला में नीति आयोग के सौमित्र मंडल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे देश में 6 वर्ष से कम उम्र के 12 करोड़ बच्चे हैं जिसमें से 50 प्रतिषत बच्चे गांव में रहते हैं, हमें अपने कार्यों से बच्चों एवं उनकी माताओं को इतना सशक्त बनाना है कि वह अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सके तथा हमें 2030 तक यह सुनिश्चित करना है कि सभी बालक बालिकाओं को प्री प्राइमरी शिक्षा उपलब्ध हो यही हमारा उद्देश्य है। इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोई भी टिकाऊ कार्य हमें खड़ा करना है तो उसमें स्थानीय लोगों की पहल और पुरूषार्थ दिखना चाहिए। भारत रत्न नानाजी देशमुख ने चित्रकूट क्षेत्र के गांव में स्वावलंबन अभियान का काम भी सामाजिक सहभागिता के आधार पर ही खड़ा किया है जिसे समाज शिल्पी दंपत्ति ग्राम वासियों के सहयोग से पूर्ण करा रहे हैं, इसके लिए हमें हमारे अधिकारों के साथ-साथ हमें हमारे कर्तव्य का बोध होना भी जरूरी है। उद्घाटन सत्र का आभार व्यक्त करते हुए मध्यप्रदेश राज्य बाल आयोग के सदस्य द्रविंद्र मोरे ने कहा कि बच्चे किसी भी समाज के एक महत्वपूर्ण अंग होते हैं और उनका विकास पूरे राष्ट्र के भविष्य के आधार को तय करता है। गैर सरकारी संगठनों को बच्चों के प्रति, उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना, क्योंकि वो ही ऐसा संगठन है जो जमीनी स्तर पर अथक काम कर रहा है और अपने जिले की समस्याओं से परिचित हैं। उद्घाटन सत्र के अन्त में दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव संगठन अभय महाजन द्वारा देशभर के विभिन्न राज्यों से आए रिसोर्स परसन को रामदर्शन का मूमेन्टो देकर सम्मानित किया गया। इन दो दिनों तक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली के तत्वाधान में आकांक्षी जिलों के गैर सरकारी संगठनों के अभिमुखीकरण के लिए आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न तकनीकी सत्रों के माध्यम से काम के दौरान आने वाली समस्याओं और उनके निवारण के उपाय पर ठोस रणनीति तैयार की जाएगी।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव चित्रकूट