राजस्थान राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) छीपाबड़ौद बारां और कोटो जिले कई छात्र छात्राएं अभी भी युक्रेन में फंसे हुए हैं।जो आज भी अपने स्वदेश लौटने का इंतजार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सैकड़ों-हजारों भारतीय भी फंसे हुए हैं। इनमें बड़ी तादाद छात्रों की है। बारां जिले के करीब आधा दर्जन छात्रों के फंसे होने की अब तक सूचना है जिनमें अन्ता का एक छात्र स्वदेश लौट आया है। जिला प्रशासन अन्य छात्रों के बारे में भी जानकारी जुटा रहा है। प्रशासन के अनुसार वहां फंसे छात्र यूक्रेन के पड़ोसी देश पौलेंड की सीमा के नजदीक पहुंच गए हैं। अन्ता निवासी छात्र अक्षय मीणा सकुशल लौट आया है जबकि बारां, समरानियां, केलवाड़ा आदि के चार छात्र अभी वहीं हैं। बारां की नाकोड़ा कॉलोनी निवासी मेडिकल छात्र सुशील मेहता, केलवाड़ा निवासी स्वर्ण भार्गव व दीपक राठौर तथा समरानियां के कपिल पंकज व नीरज मेहता भी अभी यूक्रेन में रहे लेकिन अब ये छात्र यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैंड की सीमा के नजदीक पहुंच गए हैं। स्थानीय स्तर से ऐसे छात्रों से सम्पर्क करने के दौरान यह बात सामने आ रही है कि वे सुरक्षित तो हैं, लेकिन सुविधाएं मुहैया नहीं होने से परेशानी के दौर में हैं। दशहत के साये में ऐसे सैकड़ों छात्र अपने देश लौटने का इंतजार कर रहे हैं। संभागीय आयुक्त, कोटा दीपक नंदी ने बताया कि राजस्थान के बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए है। उनकी सफल वापसी के लिए सरकार ने सभी संभागीय आयुक्त, कलक्टर को डायरेक्शन दिए हैं। साथ ही दो पोर्टल खोले हैं। जिसमें सूचना डालते ही सरकार को शेयर कर दी जाएगी। यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले कोटा के लगभग 200 बच्चे हो सकते हैं। जिसमें से 15-20 बच्चे स्वदेश लौट चुके हैं। वहीं बारां जिला कलक्टर नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि यूक्रेन संकट के तहत यदि वहां जिले का कोई विद्यार्थी फंसा है तो जिला प्रशासन की ओर से हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी। विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को घबराने की नहीं, संयम रखने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले में यदि किसी विद्यार्थी के अभिभावक को कोई समस्या है तो वह जिला प्रशासन को अवगत करवा सकते हैं एवं जिला नियन्त्रण कक्ष के दूरभाष संख्या 07453-237081 पर सूचना दे सकते हैं। कोटा कलक्टर हरिमोहन मीना ने कहा कि राज्य सरकार ने दो साइट जारी की है। बच्चे, पेरेंट्स उसमें इंफॉर्मेशन भरेंगे तो वो सूचना ऑटोमेटिक अपडेट हो जाएगी और भारत सरकार तक पहुंच जाएगी। सबसे जरूरी है बच्चों का डाटा हो और उसको सरकार के साथ शेयर करें। ताकि बच्चों की ट्रेकिंग हो सकें।बाकी का काम भारत सरकार व इंडियन एंबेसी देख रही है।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया छीपाबड़ौद
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