ध्यान पद्धति एवं सकारात्मक सोच व्याधियों को दूर करने का सशक्त माध्यम- कुलपति

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में मंगलवार को आत्म प्रबंधन, चरित्र निर्माण एवं आनंद विषय पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।

व्याखान माला में भारतीय रेल सेवा से अवकाश प्राप्त अभियंता एवं प्रख्यात थियोसॉफिस्ट इं यू एस पांडेय ने कहा कि व्यक्ति की शारीरिक अव्यवस्थाएं जैसे तनाव, भारीपन, पीड़ा व मनोवैज्ञानिक अव्यवस्थाएं जैसे डर, चिंता, गुस्सा, बदले की भावना ,अकेलापन, आत्मग्लानि एवं मानसिक अव्यवस्थाएं जैसे एकाग्रता में कमी, शक्तिहीन महसूस करना ये सभी कारण मानव की सफलता, आनंद, संतोष एवं शांति को प्रभावित करते हैं। इस विकृति को सांस लेने की उचित तकनीक एवं ध्यान की सरल विधि द्वारा दूर किया जा सकता है। बताया कि सभी प्रकार के नकारात्मक विचार एवं व्याधियां मानव के ऊपर विपरीत प्रभाव न डाल सकें, इसके लिए बहुत सारी तकनीक उपलब्ध हैं, जिनके प्रयोग से व्यक्ति अपनी निचली अवस्थाओं से निकलकर उच्च अवस्था में पहुंच सकता है। इसके लिए व्यक्ति को अपनी सोच को बदलने एवं सकारात्मकता को अपनाने की जरूरत है। कहा कि नकारात्मक विचार, चिंता, भय, शारीरिक दर्द आदि को दूर रखने के लिए दिन में एक बार दस मिनट का अभ्यास या संभव नहीं हो तो सप्ताह में कम से कम एक एक बार अभ्यास करने से काफी लाभ होगा। बताया कि कुछ चीजों को ध्यान में रखने की जरूरत है, जिनमे गहरी और धीमी सांसे लेना, नाक से सांस लेना एवं मुंह से छोड़ना, मस्तक से शुरू कर शरीर के सभी अंगों पर आंख बंद कर तीन-चार सांसों के बीच के समय में ध्यान करना तथा बारी-बारी से सभी अंगों क्रमशः नाक, मुंह, छाती, बांहें, हाथ, पेट, नाभि, जंघा, घुटने, पिंडली होते हुए तलवों तक जाना है। पारिवारिक एवं अन्य संबंधों में सौहार्द पूर्ण वातावरण रखने के लिए 95 और 5 का सिद्धांत अर्थात 95 प्रतिशत बड़ाई एवं हौसला अफजाई एवं मात्र 5 प्रतिशत आलोचना, इस सिद्धांत को ध्यान में रखने से बहुत सारी समस्याएं खुद ब खुद दूर हो जाती है तथा संबंधों में स्नेह एवं प्रगाढ़ता आती है व एक दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ता है। कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने विषय को सामयिक एवं सभी के लिए उपयोगी बताया। कहा कि इस तकनीक का प्रयोग सभी विद्यार्थी एवं शिक्षक, कर्मचारी करेंगे व लाभ उठाएंगे। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन इं राजेश कुमार सिन्हा तथा सहसंयोजन इं अश्वनी दुग्गल द्वारा किया गया। विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के अधिष्ठाता इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, अभियांत्रिकी संकाय के प्रभारी अधिष्ठाता इं वीरेंद्र गुप्ता, प्राध्यापक गण डॉ घनश्याम गुप्ता, डॉ जय शंकर मिश्रा, डॉ श्याम सिंह गौर, इ के पी मिश्रा, डॉ राकेश श्रीवास्तव तथा कर्मचारीगण गुरु प्रकाश शुक्ला, संजय शुक्ला, शिवकुमार, नरेंद्र शुक्ला, बाबूलाल, राजबहादुर, जब्बर सिंह आदि मौजूद रहे।

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट