ग्रामीण क्षेत्र में फैला डायरिया, प्रशासन बेखबर

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट जिला के कर्वी विकास खंड में के ग्राम पंचायतों में इन दिनों डायरिया ने दस्तक दे दी है। बरसात के मौसम में गंदगी से भरी पड़ी नालिया व गंदगी से पनप रहे मच्छर तरह तरह बीमारियों के जन्म दे रहे हैं। गांव में स्वास्थ सुविधा मुहैया ना होने की वजह से ग्रामीणों को दूरदराज के हॉस्पिटल की शरण लेनी पड़ रही है कहीं-कहीं तो ऐसा आलम है कि उपचार कराने के लिए ग्रामीणों को कर्ज भी लेना पड़ रहा है । गांव में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया ना होने की वजह से अब ग्रामीणों को उपचार के लिए अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। इतना ही नही सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में ना होने की वजह से ग्रामीणों के लिए झोलाछाप डॉक्टर ही भगवान साबित हो रहे हैं। वैसे तो बात करें तो स्वच्छता के नाम पर लाखों रुपए की राशि ग्राम पंचायतों में कीटनाशक दवा के छिड़काव के नाम पर गबन कर ली गई है। लेकिन जिले में बैठे जिम्मेदार किसी भी अधिकारी ने आज तक यह जांच नहीं किया कि क्या वास्तविक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कीटनाशक दवाओं का पंचायत द्वारा छिड़काव किया गया है । या नहीं। यदि जिले के उच्च अधिकारी अपनी थोड़ी सी भी जिम्मेदारी निभा लिए होते तो ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने वाली महामारी से ग्रामीणों को निजात मिल सकती थी। लेकिन जिला का जिम्मेदार अधिकारी तो उमस भरी गर्मी में अपने चेंबर में लगी एयर कंडीशन से दूर जाकर माथापच्ची नहीं करना चाहता है । और यही वजह है कि इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

अकबरपुर ग्राम पंचायत में डायरिया का दहशत,सिलखोरी गांव में डेंगू मलेरिया का प्रकोप

करबी विकासखंड के ग्राम पंचायत अकबरपुर में डायरिया की दहशत से ग्रामीण परेशान है। ग्रामीणों का कहना है कि अकबरपुर ग्राम पंचायत में डायरिया विकराल रूप धारण कर चुका है। गांव में अभी तक जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य टीम नहीं भेजी है ।और यही वजह है कि ग्रामीण अब झोलाछाप डॉक्टरों को भगवान मान रहे हैं । यहां तक कि डायरिया के प्रकोप में एक महिला की जान भी चली गई है। तो वहीं दर्जनों ग्रामीण आज भी डायरिया के प्रकोप में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। बबलू सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी पत्नी श्री मति कुंदन सिंह डायरिया के प्रकोप की वजह से अपनी जान गवा चुकी है। इसकी खबर भी जिले के स्वास्थ्य विभाग को है। लेकिन जिला का जिम्मेदार अधिकारी आज भी ग्रामीणों की खबर लेने को तैयार नहीं है जिससे स्पष्ट होता है कि शायद स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को एक बड़े हादसे का इंतजार है । और यही वजह है कि स्वास्थ्य टीम अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की टीम को जिला प्रशासन नहीं भेज रहा है। वहीं यदि हम बात करें ग्राम पंचायत बंदरी के आश्रित गांव सिलखोरी की तो इन दिनों बताया जा रहा है कि सिलखोरी में अधिकांश लोग टाइफाइड मलेरिया और संक्रमण बीमारी से जूझ रहे हैं । स्वास्थ्य विभाग आज तक गांव में ग्रामीणों के स्वास्थ्य का परीक्षण करना अपनी जिम्मेदारी नहीं समझा और यही वजह है कि अब ग्रामीणों की जान जा रही है।

साहब हमारी जान बचा लो स्वास्थ्य विभाग बेखबर – ग्रामीणों ने चित्रकूट जिला अधिकारी से गुहार लगाई है कि साहब अब हमारी जान बचा लो क्योंकि स्वास्थ्य विभाग को हमारे जीवन की कोई परवाह नहीं है और यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग बेखबर है डायरिया और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार फैल रही महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने आखिर क्यों चुप्पी साध रखी है । ग्रामीणों का कहना है कि जो आर्थिक रूप से मजबूत लोग हैं वह तो अपना उपचार कहीं ना कहीं करवा ले रहे हैं। लेकिन जो बिल्कुल निम्न मध्य वर्ग के लोग हैं । और जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उनको अब अपनी जिंदगी को लेकर चिंता सताने लगी है क्योंकि पास में पैसा ना होने की वजह से सरकारी स्वास्थ्य विभाग ही लोगों का एक सहारा होता है लेकिन इस महामारी में स्वास्थ्य विभाग को भी गरीब तबके के लोगों की चिंता नहीं है। और यही वजह है कि लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया मलेरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।

कीटनाशक दवाओं के छिड़काव पर लाखों का बंदरबांट- करबी विकासखंड के ग्राम पंचायतों की यदि हम बात करें तो ग्रामीणों का कहना है कि यहां लाखों रुपए ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव साठगांठ करके कीटनाशक दवा के छिड़काव के नाम पर निकाल लेते हैं लेकिन आज तक गांव में एक भी कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया गया है गांव की नालियां गंदगी से भरी हुई है यहां तक कि गांव के हैंडपंप भी नाली और गड्ढों के संपर्क में आ गए हैं जिसकी वजह से हैंडपंप भी गंदा पानी देने लगा है लेकिन ग्रामीणों की कोई सुनने को तैयार नहीं है क्योंकि नीचे से ऊपर तक सभी को खुशियां ना तौर पर चुनौती चल रही है और यही वजह है कि जिले का जिम्मेदार अधिकारी ग्राम पंचायतों में हुए भ्रष्टाचार का आज तक जांच नहीं कर सका है और हाथ में हाथ धरे बैठा हुआ है।

 

*रिपोर्ट* पंकज सिंह राणा जनपद चित्रकूट