पितृ-पक्ष में श्रीमदभागवत कथा सुनने से मिलती है पितृ-दोष से मुक्ति – पारस कृष्ण शास्त्री

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ। कलश यात्रा में वृंदावन से पधारे मशहूर भागवताचार्य रसिक बिहारी पारस कृष्ण शास्त्री ने मुख्य यजमान उमाशंकर सोनी व भक्तजनों के साथ 21 कलश को मंदाकिनी से जल भरकर सभी कथा प्रेमी भजन-कीर्तन के साथ नाचते गाते चल रहे थे। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा पर फूलों की वर्षा भी की। शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए शंकर बाजार स्थित बलदाऊ मंदिर में कलश स्थापित किए गए और सायंकाल से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। आचार्य पारस कृष्ण शास्त्री ने पितृपक्ष में श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि पितृ पक्ष में श्रीमद्भागवत कथा का सुनने का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में कथा का श्रवण करने से पितरों को शांति मिलती है, वहीं यह उनके परिवार के लिए पुण्यदायी भी रहती है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा भाव से पितरों के पूजन तर्पण से मानव को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन काल मे देव ऋण, मातृ-पित्र ऋण तथा ऋषि ऋण का ऋणी रहता है, लेकिन श्रीमद् भागवत कथा सुनने से उन्हें इन ऋणों से मुक्ति मिल जाती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भभागवत कथा का श्रवण करने से मानव जीवन में एक जन्म नहीं अपितु हमारे कई जन्मों के पापों का नाश होने के साथ ही हमारे शुभ कर्मों का उदय होता है। कथा सुनने मात्र से जीव जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि लोग अपनी संस्कृति व सभ्यता को भूलते जा रहे हैं। लोगों को पितरों के तर्पण -श्राद्ध का विधि विधान से पूजन-अर्चन करके भोग -विलास की वस्तुओं से दूर रहकर पालन करना चाहिये। जिससे उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उन्होंने कहा कि पितृ दोष दूर करने के लिए हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि मृत्यु के बाद पुत्र द्वारा किया गया श्राद्ध कर्म मृतक की वैतरणी को पार कर देता है। गुरूवार की शाम को पीपल की जड़ में जल देकर उसकी सात परिक्रमा करने, सूर्य की आराधना या गाय को गुड़ और कुत्ते को भोजन खिलाने से भी पितृ दोष में कमी आती है। कहा कि इन सबसे अधिक श्रीकृण की आराधना प्रभावशाली है, तभी तो गीता में श्रीकृष्ण ने खुद कहा है कि ”सर्व धर्मान परित्यज्य माम एकम शरणम व्रज” अथार्त सभी परंपराओं और युक्तियों को छोड़कर जो व्यक्ति केवल श्रीकृष्ण की आराधना करता है उसके लिए बाधाएं अवसर में और कांटे फूल में बदल जाते हैं। इस अवसर पर अभिषेक सोनी, रमेश सोनी, मोना सोनी, अजय गुप्ता, राम विशाल सोनी, राम सोनी, रंजना सिंह(निगम पार्षद रीवा), बब्बू भारद्वाज, राजू, विवेक, कमल भारद्वाज आदि मौजूद रहे।

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट