दिव्यांग विश्वविद्यालय की डॉ प्रमिला मिश्रा विद्या मूरत साहित्यिक सम्मान से सम्मानित

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: श्री राम कथा विश्व संदर्भ महाकोष के 58 खंडी परियोजना श्री राम कथा का जनमानस पर प्रभाव विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन गत दिवस विज्ञान भवन ,नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

इस अन्तर्राष्ट्रीय में प्रो प्रदीप कुमार सिंह, सचिव साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था, मुंबई द्वारा संपादित द्वितीय खंड भजन कीर्तन में श्री राम का विमोचन शिव शक्ति योग पीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर स्वामी अगमानंद महाराज, स्वामी दिव्यानंद भिक्षु एवं केंद्रीय मंत्री भारत सरकार अश्विनी कुमार चैबे द्वारा किया गया।

श्री राम कथा विश्व संदर्भ महाकोष के 58 खंडी परियोजना श्री राम कथा का जनमानस पर प्रभाव के अंतर्गत इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चैबे, मारीशस से ज्ञान चंद्र धनु, इंडोनेशिया से महादेव धर्मेश तथा चित्रकूट से डॉ प्रमिला मिश्रा प्रभारी ,संस्कृत विभाग ,जगदगुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट की उपस्थिति रही।

इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के कार्यक्रम में ’चित्रकूट से डॉ प्रमिला मिश्रा को अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पत्र विद्यामूरत साहित्यिक सम्मान से सम्मानित किया गया। डा प्रमिला मिश्रा 58 खंडीय राम कथा विश्व संदर्भ महाकोष में खंड 7 श्री राम कथा का भारतीय संदर्भ में संपादन का कार्य कर रही हैं एवं श्री राम कथा का जनमानस पर प्रभाव इस खंड में सह संपादक का कार्य भी कर रही हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चैबे ने कहा कि राम भारत ही नहीं संपूर्ण वसुंधरा के राजा थे। राम केवल अयोध्या या भारत के नहीं दुनिया का ऐसा कोई देश या क्षेत्र या संस्थान नहीं जहां प्रभु राम ना हो। राम का हर जनमानस पर पूरा प्रभाव है।

डॉ प्रमिला मिश्रा असिस्टेंट प्रोफेसर जगदगुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट ने कहा कि आदिकवि बाल्मीकि जी ने करुणा के भाव से ओतप्रोत होकर आदि काव्य रामायण का सृजन किया। महर्षि वाल्मीकि के हृदय का शोक श्लोक के रूप में प्रकट हुआ। महर्षि वाल्मीकि ने राम कथा के माध्यम से आर्यों के संघर्ष व त्याग पूर्ण मर्यादित आचरण की परंपरा को व्यक्त किया। वाल्मीकि ने आर्य संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का वर्णन किया। मानवता संस्कार से ही परिभाषित होती है। जीवन को संयमित परिष्कृत और सुसंस्कृत करने के लिए संस्कार युक्त जीवन के लिए लोक परलोक दोनों में व्यक्ति का कल्याण होता हो। उन्होंने कहा कि यह सम्मान हमारे आराध्य जगदगुरु रामभद्राचार्य के चरणों में समर्पित करती हूं। श्रीराम को आदर्शों एवं गुणों के कारण आज हम सभी प्रभु श्री राम के चरित्र का गुणगान करते हैं। श्री राम गुणवान वीर्यवान धैर्य वान कृतज्ञ सत्यवादी होने के साथ-साथ सदाचार से युक्त हैं साथ ही विद्वान समर्थ और प्रियदर्शन भी हैं। श्री राम बुद्धिमान नीतिमान मन को वश में रखने वाले महाबलवान कांतिमान धैर्यवान और जितेंद्रिय हैं। वे दृढ़ प्रतिज्ञ बुद्धिमान नीतिज्ञ वक्ता शोभायमान तथा शत्रु संहारक हैं ऐसे श्रीराम का चरित्र व श्री राम कथा का श्रवण एवं अनुसरण करना वर्तमान के समय में बहुत ही प्रासंगिक एवं लोक कारक होने के कारण विश्व के जनमानस पर प्रभाव डालती हैं।

कार्यक्रम का संचालन रमाशंकर शुक्ल ने किया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष बनवारीलाल जाजोदिया, धनंजय कुमार सिंह, डॉ मुकेश यादव कुलाधिपति जेएस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद, प्रो दिलीप सिंह, डॉ करुणा आर्य दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ नीलम गौड, डॉ रूबी देवी, डॉ विमल, डॉ प्रवीण, बिहार की लोक गायक नीतू नवनीत आदि मौजूद रहे।

विश्वविद्यालय परिवार मे कुलपति प्रो योगेश चंद्र दुबे, कुलसचिव आरपी मिश्र, डीन विनोद कुमार मिश्र, डा महेंद्र उपाध्याय, पीआरओ एस पी मिश्र, डा गोपाल मिश्र आदि ने बधाई दी।

 

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट