उत्तर प्रदेश(दैनिक कर्मभूमि) राजापुर, चित्रकूट: राजापुर तहसील अंतर्गत रूपौली गांव में जनकाल्याणार्थ श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य पं आलोक मिश्रा द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन राजा परीक्षित तथा कलयुग संवाद का वर्णन करते हुए बताया कि राजा परीक्षित के द्वारा 4 स्थानों में निवास करने के लिए कहा गया था। जुआ अड्डा, मधुशाला, वेश्यालय तथा सोने में निवास करने की इजाजत मिलने के बाद सत्यवादी राजा परीक्षित की मतिभ्रम हो गई इसी कारण श्राप मुक्ति पाने के लिए श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया था।
कथाव्यास आचार्य आलोक मिश्रा ने बताया कि राष्ट्र कल्याणार्थ श्रीमद्भागवत कथा में यजमान कैरी देवी पत्नी स्व राजनरायन मिश्रा हैं। कथा के छठे दिन कथाव्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से मानव जीवन के संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भक्त साकेत धाम का गामी होता है जिसके श्रवण मात्र से दैहिक, दैविक व भौतिक तीनों प्रकार के सन्ताप नष्ट हो जाते हौ श्रीमद्भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा राजा परीक्षित अपने मोक्ष के लिए श्रीमद् भागवत कथा पुराण को श्रवण कर मोक्ष प्राप्त किया था कथा के सातवें दिन ब्राह्मण सुदामा की दीन दशा का वर्णन करते हुए बताया कि सुदामा जीव के रूप में भगवान श्री कृष्ण ब्रह्म के रूप में थे जिस प्रकार से जीवा ब्रह्म का एक ही स्वरूप माना जाता है उसी प्रकार सुदामा ब्राह्मण चार वेदों षट शास्त्रों का ज्ञाता होने के बावजूद भी परमपिता परमात्मा श्री कृष्ण से शाखा भाव से ओतप्रोत होकर अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर एक मुट्ठी तंदुल लेकर द्वारका जाकर अपने मित्र शाखा से मिलने की लालसा से जाते हैं रास्ते में अनेकों प्रकार की कठिनाइयों को झेलते हुए द्वारका पहुंचकर मित्र सुदामा की दीन दशा को देखकर तथा मित्र का स्वागत सत्कार इस प्रकार से किया कि भगवान भूल गए की पानी परात को हाथ छुयो नैनन के जल सो पग धोए सुदामा और भगवान श्री कृष्ण एक आत्मा के रूप में सुदामा ने देखा पत्नी सुशीला के दिए हुए तंदुल को भगवान श्री कृष्ण को देना नहीं चाहते थे लेकिन भगवान श्रीकृष्ण को पत्नी के द्वारा दिए गए तंदुल लेकर दो मुट्ठी पान करते ही मित्र सुदामा दो लोकों का स्वामी बन गया था सुदामा में शखा भाव के साथ भक्ति कर्तव्य समर्पण तथा संतोष धीरज यह पांचों तत्व विद्यमान थे तथा इसी प्रकार श्री कृष्ण जी ने कंस के अंतिम समय में कंस के केस पकड़कर उसको दंडित करते हुए कहा कि आज से 32 वर्ष पहले आपने अपनी बहन देवकी जी के केस पकड़े थे तब शायद आपको नहीं पता था किकेस पकड़ने में कितना दर्द होता है क्योंकि कहा गया है की जाके पैर न फटी बिवाई सोका जाने पीर पराई। श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान वैराग्य को जागृत करने का एक बहुत बड़ा साधन है तथा श्रीमद्भागवत पुराण एक कल्पवृक्ष के समान है, इस कथा को श्रवण करने से सम्पूर्ण पापों को नष्ट करते हुए मोक्ष प्राप्त होता है।
इस मौके पर गंगा प्रसाद मिश्र, जागेश्वर प्रसाद मिश्रा, राजेंद्र मिश्रा, शत्रुघ्न मिश्रा, चंद्रिका प्रसाद मिश्रा, ओम प्रकाश मिश्रा, बद्री प्रसाद मिश्रा, आनंद कुमार मिश्रा, रविंद्र मिश्रा, भोला दुबे, रामप्रकाश, राजेंद्र, छोटा, नागेश, अभिषेक आदि लोग उपस्थित रहे।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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