उत्तरप्रदेश (दैनिक कर्मभूमि)सीतामढ़ी। महर्षि वाल्मीकि गंगा तट पर भारी संख्या में पतित पावनी मां गंगा की अविरल धारा में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी सीतामढ़ी महर्षि बाल्मीकि आश्रम से लेते हुए धवासा नाथ गंगा घाट पर भारी संख्या में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी। मां गंगा स्नान करने के पश्चात धवासा नाथ शिव मंदिर में भक्तों ने पूजा-अर्चना की धवासा नाथ मंदिर के श्री अमर दास बाबा बालक दास ने शिव की महिमा बताई । महाशिवरात्रि अर्थात पृथ्वी पर शिवलिंग के प्राकट्य और शिवजी का विषपान एवं शिव पार्वती विवाह का दिवस है। जानिए क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि बता दे तीनों लोगों के मालिक भगवान शिव का सबसे बड़ा त्यौहार महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि भारत के साथ कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाई जाती है। शिवलिंग का प्राकट्य पुराणों में आता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि का निर्माण करने के बाद घूमते हुए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं। ब्रह्मा जी को यह अपमान लगा । संसार का स्वामी कौन । इस बात पर दोनों में युद्ध की स्थिति बन गई तो देवताओं ने इसकी जानकारी देवाधिदेव भगवान शंकर को दी भगवान शिव युद्ध रोकने के लिए दोनों के बीच प्रकाशमान शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गए। फिर दोनों ने उस शिवलिंग की पूजा की। यह विराट शिवलिंग ब्रह्मा जी की विनती पर 12 ज्योतिर्लिंगों में विभक्त हुआ। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवलिंग का पृथ्वी पर प्राकट्य दिवस महाशिवरात्रि कहलाया। शिवरात्रि वैसे तो प्रत्येक मास की चतुर्दशी ( कृष्ण पक्ष ) को होती है। परंतु फाल्गुन ( कृष्ण पक्ष) की शिवरात्रि ( महाशिवरात्रि ) नाम से ही प्रसिद्ध है। श्री सीता समाहित स्थल मां वैदेही के दरबार में शिवलिंग की पूजा अर्चना एवं रुद्राभिषेक करते हुए भक्तगण नजर आए। इस मौके पर सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए सीतामढ़ी चौकी इंचार्ज अरुण कुमार मिश्रा एवं सब इंस्पेक्टर हरीश सिंह एवं हेड कांस्टेबल राजकुमार शुक्ला व कांस्टेबल के पी सिंह आदि मौजूद रहे।
रिपोर्ट – विजय तिवारी सीतामढ़ी भदोही
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