1975 का आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के लिए काला अध्याय-डॉ रविकांत त्रिपाठी*

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय दैनिक कर्म भूमिअंबेडकर नगर              भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा होती है।भारत के राष्ट्रपति के पास इस प्रावधान को लागू करने का पूर्ण अधिकार होता है।भारत में आपातकालीन प्रावधान जर्मनी के विमर संविधान से अधिग्रहित किया गया है ।
आपातकाल का अर्थ है,ऐसी कार्यवाही जिसमें तत्काल किसी मदद की आवश्यकता होती है।देश में आपातकाल कुल तीन बार 1962,1971,1975 में लगाया गया था।
आपातकाल घोषित करने का मुख्य कारण राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ देश की सुरक्षा में संकट,किसी प्रकार का बाहरी आक्रमण युद्ध की आशंका,सशस्त्र विद्रोह से खतरा महसूस होना इन सभी परिस्थितियों में भारत का राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी इसका मुख्य कारण राजनीतिक अस्थिरता बताया गया 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का आरोपी पाया और इन्हें 6 वर्ष के लिए किसी चुने हुए आसीन पद पर होने से वंचित कर दिया माना जाता है इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए आपातकाल की घोषणा कर लोकतंत्र का काला अध्याय लिखा जिससे बिना किसी विधिक और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सके इस दौरान प्रेस की आजादी को छिनी गई और विपक्षी नेताओं को पुलिस द्वारा प्रताड़ित कर कर जेल भेजा तमाम प्रकार की यातनाएं दी गई नागरिक स्वतंत्रताओं को सीमित किया गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत 24 संगठनों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया, इस दौरान धर्म विशेष को चिन्हित कर जबरन नसबंदी स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर आदेश पारित किए गए ऐसे आदेश के पीछे सिर्फ और सिर्फ सत्ता बचाने और विरोधी आवाजों एवं आंदोलन को दबाने व कुचलना के लिए किया गया यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर गहरा आघात एवं राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय था 21 मार्च 1977 को आपातकाल समाप्त किया गया और चुनाव की घोषणा की गई जिसमें जनता ने इन्हें करारा जवाब देते हुए एकजुट होकर कांग्रेस को परास्त कर मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया
आपातकाल के दौरान पुलिस बल का दुरुपयोग करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हजारों कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया गया स्वयंसेवकों ने राष्ट्रहित में प्रतिबंध के खिलाफ मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहेब देवरस को 30 जून को नागपुर स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया गिरफ्तार होने के पूर्व उन्होंने स्वयंसेवकों को प्रोत्साहित कर कहा इस असाधारण परिस्थितियों में स्वयंसेवक अपना संतुलन न खोए वह माधवराव मूल की नेतृत्व में संघ कार्य जारी रखें जन जागरण का कार्यक्रम संचालित करते रहे।
आपातकाल के दौरान 25000 से अधिक संघ कार्यकर्ता पर मिसा के तहत कार्यवाही की गई। 100000स्वयंसेवकों को जबरन जेल में ठूंस दिया गया इस दौरान 100 से अधिक स्वयंसेवकों की पुलिस कार्रवाई में मृत्यु हो गई। अतः यह आपातकाल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वयं के लाभ के लिए एवं कांग्रेस को सत्ता में बनाए रखने के लिए किया था। रिपोर्ट पवन चौरसिया ब्यूरो प्रमुखअयोध्या