शिक्षा संस्थान बना धन उगाही का अड्डा उच्च न्यायालय व सचिव के आदेश का पालन करवाएं जिलाधिकारी।

उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर

उच्च न्यायालय व सचिव के आदेश का पालन करवाएं जिलाधिकारी।

शासन के निर्देशनुसार प्रदेश में मान्यता प्राप्त एवं सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के भवन/परिसर का उपयोग शिक्षण कार्य एवम् सहगामी क्रिया कलाप एवं विद्यार्थियों के खेलकूद व व्यक्तित्व विकास आदि से सम्बन्धित कार्यक्रमों के अतिरिक्त विवाह समारोह ,निजी संस्थान एवं कोचिंग संस्थान को संचालित करने पर रोक है।
उक्त गतिविधियों से विद्यालय के शैक्षणिक वातावरण एवं पठन पाठन पर प्रतिकूल प्रभाव की संभावना को देखते हुए यह निर्देशित किया था कि मान्यता प्राप्त एवम् सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के भूमि को विवाह समारोह

एवं कोचिंग संस्थानों के उपयोग में न लाया जाए।ऐसा निर्देश सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा जी द्वारा सन २०१२ में दिया गया था।ऐसे में तिलकधारी महाविद्यालय में ऐसी गतिविधियों के चलते ही उच्च न्यायालय ने महाविद्यालय प्रशाशन के साथ साथ सचिव उत्तर प्रदेश शासन से भी जवाब मांगा है।

मीडिया से बातचीत करते हुए छात्र नेता उद्देश्य सिंह ने कहा कि महाविद्यालय परिसर में ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने का कार्य जिलाधिकारी महोदय का है।ऐसे में यदि इन समस्त आदेशों को नजरंदाज करते हुए महाविद्यालय या विद्यालय परिसर में ऐसी गतिविधियां संचालित हो रही है तो यह शासन के आदेशों की अवहेलना है।जिला प्रशाशन को उक्त विषय को संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही करनी चाहिए।

छात्र नेता कौतुक उपाध्याय ने कहा कि न्यायालय का हस्तक्षेप अत्यंत सराहनीय है।जब सत्ता और शासन के दबाव में ऐसी गतिविधियां संचालित होती है और उसपर रोक नहीं लगती है तो फिर न्यायालय ही आखिरी उम्मीद होता है।
उक्त अवसर पर प्रिंस,सुशील सिंह,अभिषेक,सौरभ,सनी,सर्वेश,सचिन,उत्सव समेत आदि छात्र उपस्थित रहे।

रिपोर्ट ‌अभिषेक शुक्ला