कार्तिक पूर्णिमाः शिव-विष्णु आराधना से मिलेगा परम सुख : पं. गौरव शास्त्री

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) कानपुर कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है।पंडित गौरव शास्त्री ने बताया कि इस दिन दीपदान,गंगा स्नान,व्रत, पूजा-अर्चना और दान का विशेष महत्व है।

कार्तिक पूर्णिमा 2025 कब है

पंडित गौरव शास्त्री ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2025 में कार्तिक पूर्णिमा 5 नवम्बर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि आरंभ : 04 नवंबर 2025 को रात10 बजकर 36 मिनट से पूर्णिमा तिथि संपन्न : 05 नवंबर 2025 को शाम 06 बजकर 48 मिनट तक उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा 05 नवंबर को ही मनाया जाएगा।शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04.46 बजे से 05.37 बजे तक,विजय मुहूर्त : दोपहर 01.56 बजे से 02.41 बजे तक,गोधूलि मुहूर्त : शाम 05.40 बजे से 06.05 बजे तक चंद्रोदय : शाम 07.20 बजे तक।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म के शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा को पवित्रतम तिथियों में से एक माना गया है। इस दिन का महत्व विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के रूप में मत्स्य अवतार का जन्म हुआ था,जो सृष्टि के विनाश और पुनर्सृजन की कथा से जुड़ा है। पंडित गौरव शास्त्री ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल अन्य दिनों की तुलना में अधिक होता है। विशेषकर गंगा नदी में स्नान और दीपदान को अत्यधिक पुण्यकारी माना गया है।उन्होंने बताया कि
भगवान शिव के भक्तों के लिए भी यह दिन खास होता है,क्योंकि इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था,जो संसार के लिए एक बड़ा संकट बना हुआ था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का महत्व

इस दिन गंगा,यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन जो व्यक्ति गंगा स्नान करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए,भारत के विभिन्न हिस्सों में लोग इस दिन गंगा के तट पर एकत्रित होते हैं और स्नान के बाद पूजा-अर्चना करते हैं। पंडित गौरव शास्त्री ने बताया कि दान का महत्व भी इस दिन विशेष माना जाता है। ब्राह्मणों तथा दीन-दु:खी,निर्धन लोगों को अनाज,वस्त्र,धन, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।दीपदान,जो इस दिन का एक प्रमुख कार्य है।अंधकार को दूर करने और जीवन में प्रकाश फैलाने का प्रतीक है। इसे करते समय लोग अपने घरों के पास,मंदिरों में और नदियों के किनारे दीप जलाते हैं।उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म में का विशेष महत्व दान उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से किया गया है। किसी भी त्यौहार या शुभ समय पर पात्र व्यक्तियों को नि:स्वार्थ भाव से पूरे मन के साथ श्रद्धापूर्वक दान करें। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा दान के महत्व को विस्तार से बताया गया है।

कार्तिक पूर्णिमा पर करें इन चीजों का दान

पंडित गौरव शास्त्री ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा पर दान का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस पुण्यकारी अवसर पर दूध का दान करना बेहद शुभ माना जाता है,ऐसा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी घर में वास करती है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन वस्त्रों के दान का करना भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन अन्न का दान जरूर करना चाहिए,कहा जाता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी के साथ-साथ मां अन्नपूर्णा भी प्रसन्न होती हैं और घर खुशहाली से भर जाता है।

 

संवाददाता आकाश चौधरी कानपुर

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