राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छबड़ा: श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम पर नही होगी समूह आरती,एकल व्यक्ति ही रहेगें मन्दिर के बरामदे में,अन्य व्यक्ति एकल रूप में ही करेगें बाला जी की सेवा पूजा पुरी महाराज ने क्षेत्र के साधकों से घर से ही प्रणाम करनें की,की अपील,आश्रम संचालक सेवानन्द पुरी के निर्देश पर कार्यवाहक अध्यक्ष शंकर लाल नागर नें भी साधकों से की अपील आश्रम पर नही हो भीड़ के रूप में इक्कठे,सुबह-शाम को होनें वाली सामूहिक आरती के स्थान पर अब आगामी निर्देश तक होगी एकल व्यक्ति द्वारा बालाजी की आराधना।श्रद्धालुओं से एकल दर्शन की की अपील,।नागर नें मिल रही खबरों के हवाले से साधकों से कहा कि कोरोना वायरस नें आज जल,थल,नभ सहित सम्पूर्ण विश्व की गतिविधियों पर रोक लगा दी है हमारे देश मे अभी भी आम जन बेखबर नजर आ रहे है।सावधान
चीन में हज़ारों शवों को,उनके परिवारों से पूछे बिना कहाँ दफनाया गया,ये केवल सरकार जानती हैं,इटली में किसी भी शव को कोई कंधा देने नहीं आ रहा। वे इंसान जब जिंदा थे तो अकेले हो गये थे और मरे तो लावारिस।चलो कोरोना ने इंसान का असली रूप दिखा दिया।
इसी बीच एक विद्वान यूनियन का प्रेरक लेख पढ़ने को मिला जिसमें भारतीयों के सोशल मीडिया के द्वारा किये जा रहे उपयोग को हास्यास्पद बताया है।
*उन्होंने लिखा कि जिंदा रहना है तो सीरियस हो जाओ वरना आने वाले दो सप्ताह की कल्पना मुश्किल होगी।*
देश-दुनियां में कोई मुसीबत भारत के लोगों के मजाक,हंसी ठिठोली का साधन बन जाती है। पूरी दुनियां में कोहराम मचाए कोविड 19 का जितना मजाक भारत में बन रहा उसका आधा मजाक भी पूरी दुनियां के लोग मिलकर नहीं बना पा रहे हैं क्योंकि चीन,जापान,फ्रांस,इटली, ईरान समेत तमाम देशों ने अपनी आंखों के सामने अपनों की लाशें देखी हैं।उनको इसके खतरे का ना सिर्फ अंदाजा हुआ बल्कि उसे भुगता भी है। भारत में अभी सिर्फ तीन लाशें ही सामने आई हैं क्योंकि अभी हम वायरस फैलने के सैकंड स्टेज पर चल रहे हैं। कल्पना करना मुश्किल होगा जिस दिन कोरोना की गाड़ी तीसरी स्टेज पर पहुंचेगी।जिन देशोें में ये तीसरे चरण में पहुंचा उससे 100 गुना बुरी हालत भारत की होगी क्योंकि यहां के लोगों को इस वायरस के प्रकोप से बचने के बजाय उसकी मजाक बनाने में वक्त बीतता है।मेरे एक मित्र ने कल मुझसे हाथ मिलाने की कोशिश की।मैंने हाथ जोड़ दिए तो उन्होंने मेरा मजाक बनाने के लिए वे दूसरे व्यक्ति के गले मिल लिए।बोले,देखें मुझे कैसे होता है कोराेना ? उनके इस अंदाज ने मुझे भारत में कोरोना के वायरस के तीसरे स्टेज की कल्पना का भयावह दृश्य सामने ला दिया।वजह ये है कि विदेश में सरकार किसी पार्टी की हो लेकिन वो अपनी सरकार के प्रत्येक आदेश का गंभीरता से पालन करते हैं और जो पालन नहीं करते उनके साथ वहां की सेना पालन करवाना जानती है। हमारे देश में हम जाति,धर्म,राज्य,राजनीतिक पार्टी और सेखी बघारने के लिए नियमों को तोड़ने में आनंदित होते हैं।मैं जानता हूं कि भारत सरकार,सभी राज्यों की सरकारें, स्वास्थ्य महकमा इस अंदेशे को भांप चुकी हैं।स्कूल,कॉलेज,ट्रेन, मॉल्,मंदिर सब धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं लेकिन कुछ राक्षसी मानसिकता के लोग जो इसे गंभीरता से नहीं समझना चाहते वे खुद भी मरेंगे और दूसरों को खतरे में डालेंगे।मेरा विनम्र आग्रह है कि सरकार जो भी कह रही उसका पालन करें।हाथ साफ करें बार बार,किसी से हाथ ना मिलाएं।एक मीटर की दूरी से बात करें,साथ में खाना ना खाएं,कुछ अंदेशा हो तो चिकित्सक को दिखाएं।वरना जिस दिन मजाक बनाने वालों की मां,बाप,पत्नी, बेटा,बेटी या कोई और करीबी इसकी चपेट में आया उस दिन उनकी सारी मजाक धरी रह जाएगी और फिर चुनाव के वक्त् वे सरकार को कोसोंगे कि सरकार ने हमारे परिजन की जान नहीं बचाई या पर्याप्त उपचार नहीं मिला।सरकार अभी इजाज के मामले में कई देशों से आगे हैं लेकिन जिस तरह वहां की जनता से वहां की सरकारों का साथ दिया उस तरह हम भी अपनी केन्द्र और अपनी-अपनी राज्य सरकार के आदेशों का पालन करें, गंभीर हो जाएं वरना आने वाले दो सप्ताह बाद वो नजारा देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना नहीं कर पाओगे।पता नहीं कल्पना करने लायक बचोगे भी या नहीं पर अगर सरकार का साथ दिया।सही तरीके से चले। खुद पर और परिवार पर ध्यान दिया तो हमारे डाक्टरों के पास इसक पूरा इलाज है। 14 लोग ठीक करके घर भेज दिए हैं। जो भर्ती है उनमें से ज्यादातर की तबियत में सुधार हो रहा है। मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि प्लीज भविष्य को बचाने के लिए वर्तमान में थोड़ी सावधानी बरतें।
..सलाम है हमारे देश के डाक्टर-नर्सिंग स्टॉफ का जो
आज पूरे देश की शान हमारे चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ बन चुके हैं। खुद की जान खतरे में डाल कर कई घंटे और कई दिनों तक अपने घर से दूर रहकर आमजनों की जान बचाने में जुटे हैं।उनको सेल्यूट है हम सब उन चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ के परिवारों को सांत्वना और भरोसा दें।
…..जिंदा रहे तो हथाई भी होगी । वे इस स्थिति को नहीं भांप रहे।मैं इस कल्चर का विरोध नहीं कर रहा पर आग्रह है कि कुछ दिनों के लिए झुंड में न रहें, बैठें तो भी दूरी बनाकर, घरों में रहें ताकि ना आप किसी को वायरस दे सको और ना आप अपने घर में दूसरे से वायरस ला सके।
………क्या होगा अगर कुछ दिन ये नहीं करोगे तो
क्या होगा अगर कुछ दिन दोस्तों के साथ बात नहीं कर पाओगे, फोन पर कर लीजिए।क्या होगा अगर कुछ दिन बाजार नहीं जाओगे | क्या होगा अगर अपनी मांगें मनवाने के लिए कुछ दिन धरना-प्रदर्शन विरोध नहीं करोगे जब सब ठीक हो जाए तब कर लेंगे।क्या हो जाएगा अगर कहीं घूमने नहीं जाओगे तो जब सब सामान्य हो जाए तब चले जाएंगे। क्या होगा अगर दिन में बार हाथ धो लेंगे।
क्या होगा अगर मजाक उड़ाने की बजाय लोगों को जागरुक करने के लिए मैसेज करेंगे।
क्या होगा जो जागरुक मैसेज दूसरों को फॉरवर्ड करते हो उसका खुद भी पालन कर लेंगे।
क्या फर्क पड़ता है कि सरकार किसकी है और वे क्या कह रहे हैं, मतलब इतना रखो वो आपके हित के लिए कर रहे हैं।
क्योंकि मौत ना जाति, ना धर्म,ना क्षेत्र,ना उम्र, ना राज्य, ना इलाका और ना लिंग और ना सूरत देखकर आती है।
इसलिए मेरी विनम्र अपील,अभी वक्त है।मान जाइए। मेरी पोस्ट पढ़कर कुतर्क करने की बजाय जितने शब्द अच्छे लगे उसे पालन कर लीजिए।वरना कुछ लोगों के लिए लिखने वाले की पोस्ट पर कुर्तक और तर्क करने की आदत होती है और तर्क-कुर्तक भी करना है तो कर लेंगे चार महीने बाद सब सामान्य हो जाएगा अभी अपनी,अपने परिवार,मित्रों पड़ोसियों के हित में सोचें। यह हम नैतिक कर्तव्य समझ स्वेच्छा से निर्देशों का पालन अवश्य करें ।
…धन्यवाद,कुछ शब्द बुरे लगें तो हाथ जोड़कर माफी चाहते है जय हिंद।
*रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद*
You must be logged in to post a comment.