राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां अंता हाड़ौती क्षेत्र में किसानो द्वारा लगातार गेंहूँ की फसल में अत्यधिक व असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरको का उपयोग किया जा रहा जिससे न केवल मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आ रही बल्कि खेती की लागत में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। यदि हम मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक उपयोग करे तो फसल उत्पादकता बढ़ोत्तरी के साथ मृदा को भी स्वस्थ रख सकते है। भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के उद्धेष्यों को परिपूर्ण करने हेतु चम्बल फर्टिलाइजर्स एण्ड़ केमिकल्स लिमिटेड़ की कृषि विकास प्रयोगाशाला के द्वारा मृदा स्वास्थ्य जांच अभियान कोटा क्षेत्र की दीगोद तहसील में सघनता से चलाया जा रहा है। इसी क्रम में आज अंता क्षेत्र के पलायथा गांव में मृदा परीक्षण दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कम्पनी के अधिकारीयों द्वारा किसानों को मृदा परीक्षण के उद्वेश्यों, नमूना लेने की विधी तथा मृदा परीक्षण के फायदों के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में किसानो के खेतों से मिट्टी और सिचाईं जल के नमूने लिए जा रहे है। इन मृदा नमूनों के परिणामों को कृषक संगोष्ठियों द्वारा किसानों तक उपलब्ध कराये जायेगें।कृषि विकास प्रयोगशाला के कृषि वैज्ञानिक डॉ. जगमोहन सैनी ने बताया की किसान जब भी अपनी खेतों में फसल लगाएं, तो अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। क्योंकि इसके फायदे न सिर्फ अधिक बचत की दृष्टिकोण से बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता बरकरार रखने हेतु लाभदायक है। जांच के आधार पर ही मिट्टी को कितनी मात्रा में पोषक तत्व की आवश्यकता है यह ज्ञात किया जा सकता है। जब जरुरत के हिसाब से खेतों में रासायनिक खाद दी जाएगी। तो सही उपज भी होगी और किसानों को अतिरिक्त खर्च से निजात भी मिलेगा। डॉ. सैनी ने बताया की यह समय मृदा जाँच के लिए नमुना लेने का सबसे उपयुक्त समय है। मृदा जाँच में मिट्टी में मौजूद पौषक तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम, सल्फर, सूक्ष्म पोषक तत्वों और पीएच व विधुत चालकता का पता लगाया जाता है। इन बुनियादी जानकारियों का उपयोग कर किसान संतुलित खुराक का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरकता में सुधार कर पैदावार बढ़ा सकते है।
रिपोर्ट कुलदीप सिंह सिरोहिया राजस्थान
You must be logged in to post a comment.