*अलख ज्योति नें गुरु गोंविन्द सिंह जयंती मनाई,लोगों से गुरुजी की दस शिक्षाओं को अपनाने का किया आग्रह।*

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि)

*कार्तिक पूर्णिमा पर साधकों संग किया नागर नें पार्वती नदी तट का भ्रमण यहां फैली प्राचीन पुरा सम्पदा के नष्ट होनें पर जतायी चिन्ता।*

*गुगोर किला,सतरंगी अमेठी छतरियां,राणी महल,कपिल मुनि जल धारा पार्वती नदी तट पर फैली बहुत सी प्राचीन पुरा सम्पदा अब संरक्षण के अभाव में मिटनें के कंगार पर।*

*कभी हरियाली का पर्यायी बना आस-पास फैला कीमती औषधीय पेड़-पौधों का जंगल अब बहुतायत में नष्ट हो गया।*

*पार्वती नदी तट पर फैली पुरा सम्पदा को भी भू माफियाओं,सरकारी कार्मिकों,नेताओं की मिली भगत से नदी में ओर तटीय भूमि पर भी खनन कर तट की गोचर भूमि को भी कलयुगी स्वार्थी इंसानों नें शेष जंगलाती भूमि के साथ-साथ विभिन्न सेम्बल,चिन्ह बना अतिक्रमण कर खनन ओर कृषि के लिए रोक कर निजी अडडे बना लिये।*

*कार्तिक पूर्णिमा पर किया कपिल मुनि जल धारा पर दीप दान इसके धार्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला।*

*नागर नें पावन पुनीत पार्वती नदी के भड़का जलप्रपात स्थित कपिल मुनि जल धारा पर कार्तिक पूर्णिमा को पूजा अर्चना कर देश की खुशियाली की कामना कर प्रकृति की गोद में ध्यान योग से कैसे रह सकते है हम निरोग ? के प्रयोग को भी समझाया।*

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छबड़ा:अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर की अध्यक्षता में तथा श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम,भुवाखेड़ी के संचालक महंत सेवानन्द पुरी महाराज के मुख्यातिथ्य में गुरु गोंविन्द सिंह जयंती मनायीं गयीं।योग मंत्री परमानन्द शर्मा के अनुसार गुरुजी के 550 वें प्रकाश उत्सव के अवसर पर आश्रम पर विधुत सजावट की गयीं रात्रि को कार्तिक पूर्णिमा,मत्स्य अवतार के उपलक्ष में आश्रम स्थित भवसागर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर दीपदान भी किया गया।कार्तिक पूर्णिमा पर अध्यक्ष नागर नें पार्वती नदी तट पर गुगोर किला,गोगाटोड़ी गांव के समीप स्थित भड़का जल प्रपात के निकट प्राचीन कपिल मुनि जल धारा पर स्न्नान ध्यान कर पूजा अर्चना कर देश की खुशियाली ओर प्रगति की प्रार्थना की गयीं।नागर नें नदी तट का भ्रमण कर यहां फैली प्राचीन पुरा सम्पदा जिनमें गुगोर किला सहित,राणी महल,विश्व प्रसिद्ध ठण्डे जोहर का स्थान,सतरंग की छतरियां,कपिल मुनि प्राकृतिक जल धारा,भड़का जलप्रपात,आड़े हनुमान का स्थान,नील कन्ठ महादेव,सोरती शिव जी का स्थान आदि का भ्रमण कर पुरा सम्पदाओं ओर प्रकृति निर्मित भौगोलिक दृश्यों को देखा।नागर नें क्षेत्र में स्थित दुर्लभ पुरा सम्पदाओं के देखरेख के अभाव में नष्ट होते दुर्लभ वैभव पर गहरी चिंता जतायी गयीं।मंत्री परमानन्द शर्मा नें भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्रालय को पत्र लिख कर क्षेत्र में फैली प्राचीन धरोवर एवं नदी तट को पर्यटन के रुप में विकसित करनें की जरूरत बतायी।क्षेत्र के लोगों नें बताया कि आज से 30-40 वर्ष पूर्व तक नदी तट स्थित सभी धरोहर सुरक्षित थी ओर यहां खेर,कदली,धोकले,तेंदू,अचार, करोधे,चिरौंजी,सागवान सहित अनेक जंगली झड़ी बूटियों ओर औषधीय पेड़-पौधों का जंगल हुआ करता था परन्तु धीरे-धीरे संरक्षण के अभाव में नष्ट हो गया।पुरा सम्पदा ओर जंगल के नष्ट करनें में स्थानीय जनता का तो काटने में हाथ है ही साथ में स्थानीय जन नेताओं और सरकारी मशीननरी का भी नष्ट करनें में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।स्थानीय रूप से लोगों नें जंगलाती भूमि के अतिक्रमण कि नियत से कृषि भूमि के लिए जंगल साफ किया तो छबड़ा स्थित शहर में लकड़ी का उपयोग ओर मांग भी प्रमुख रही अब गैस के प्रचलन से लकड़ी की बचत हो रही परन्तु अब सब कुछ समाप्त के कंगार पर है।नागर नें निरोगी जीवन और संसार के दैहिक,दैविक ओर भौतिक तापों को मिटाने के लिए प्रकृति की गोद में जाकर आम लोगों को ध्यान एवं योग करनें की सलाह दी गयीं।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छबड़ा