उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) बिजनौर संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 3 मई को विश्व प्रेस दिवस या विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया ताकि प्रेस की आजादी के महत्व से दुनिया को आगाह कराया जाए। यह दिवस मीडिया की आजादी पर हमलों से मीडिया की रक्षा करने तथा मरने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्य करता है। इस दिन के मनाने का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार के उल्लंघनों की गंभीरता के बारे में जानकारी देना भी है। यह दिन प्रेस की आजादी को बढ़ावा देने और इसके लिए सार्थक पहल करने तथा दुनिया भर में प्रेस की आजादी की स्थिति का आकलन करने का भी दिन है। इसका एक और मकसद दुनिया भर की सरकारों को यह याद दिलाना है कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की रक्षा और सम्मान करना इसका कर्तव्य है। प्रेस की आजादी का मुख्य रूप से यही मतलब है कि शासन की तरफ से इसमें कोई दखलंदाजी न हो, लेकिन संवैधानिक तौर पर और अन्य कानूनी प्रावधानों के जरिए भी प्रेस की आजादी की रक्षा जरूरी है। लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उनको बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। इसलिए सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। पत्रकारिता से जुड़े सभी पत्रकार बंधुओं का केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा बीमा भी होना चाहिए आज के समय में पत्रकारिता एक ऐसी दोधारी तलवार की तरह हो गया हैं, जहां पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों पर चलने की कोशिश करने पर आज के बाजारीकरण के दुशप्रभाव के चलते पत्रकार का कटना तय है। लेकिन फिर भी सरफरोशी की तमन्ना लिए ऐसे अनगिनत पत्रकार आज भी पत्रकारिता के इस बेहद कठिन और काटों भरी राह में खुशी-खुशी काम कर रहे हैं और तमाम चुनौतियों के बीच स्वतंत्रता , मौलिक अधिकार और लोकतंत्र को जीवंत रखे हैं।
रिपोर्टर रविंद्र कुमार धामपुर तहसील प्रभारी
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