उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) अयोध्या। लाकडाउन में यदि सबसे ज्यादा असर किसी पर पड़ा है तो वो प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों पर पड़ा है जिनका वेतन स्कूलों में आने वाले बच्चों के फीस से मिलता है
अप्रैल से लेकर अभी तक और संभवतः नवंबर-दिसंबर तक स्कूल खुलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं तो अधिकांश छोटे और मझोले शिक्षण संस्थान अपने यहां कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे हैं और बड़े शिक्षण संस्थान भी वेतन नहीं दे पा रहे हैं कहीं कोई दे भी रहा है तो नाममात्र और वो भी कब तक दे पायेगा इस पर प्रश्नचिन्ह है अभी तक केंद्र सरकार समेत किसी भी राज्य सरकार ने इनकी दुर्दशा पर ध्यान नहीं दिया है जो कि बेहद चिंतनीय है सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए जहां एक तरफ सरकारी शिक्षकों को पूरा वेतन दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट शिक्षक भुखमरी से जूझ रहे हैं जबकि ये जगजाहिर है कि शिक्षा का अवमूल्यन सरकारी शिक्षकों द्वारा ही अत्यधिक हुआ है इसके उलट शिक्षा का स्तर बनाए रखने में प्राइवेट शिक्षकों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता इसके बावजूद शिक्षण संस्थाओं, अभिभावकों व सरकार द्वारा शोषण भी इन्हीं का होता रहा है
पवन कुमार चौरसिया ब्यूरो चीफ अयोध्या
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