बढ़ता कोरोना मरते निजी शिक्षक

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) अयोध्या। हाँ तो अनलॉक 2 की सारे सरकारी दिशा निर्देश आ चुके है।
और इससे यह प्रतीत होता है कि कोरोना केवल शैक्षणिक संस्थानों से ही फैलता है।
बाकी बाज़ार रेलवे स्टेशन,शॉपिंग मॉल,बस स्टैंड पर होने वाली भीड़ देख कर तो कोरोना डर के मारे आत्महत्या कर लेता है।
मोदीजी,अमित शाह जी,योगी जी,नीतीश जी आप अभी में कोरोना से निपटने के लिए अच्छा काम किया है।
हम इस बात को स्वीकार भी करते है।
आपने मजदूरों को 500 रुपये प्रतिमाह और तीन माह का राशन मुफ्त दिया।
आपने किसानों को आवश्यक साहयता भी प्रदान की।
अब मैं आप सभी का ध्यान समाज के एक समूह विशेष की ओर ले जाना चाहता हूँ जो आज पूरी तरह हांसिये पर है।
और वो है निजी शिक्षक।
शिक्षक जिसका कार्य होता है समाज को रास्ता दिखाना।
#शिक्षक जिसे कभी युग निर्माता कहा जाता था।।
वो भी केवल निजी कोचिंग संस्थान के नही अपितु निजी विद्यालयों, निजी महाविद्यालयों, निजी विश्विद्यालयों इत्यादि सभी शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े निजी शिक्षक।
यदि विभिन्न स्रोतों की माने तो भारत मे 300 से अधिक निजी विश्विद्यालय है जिनमे यदि औसत 50 शिक्षक जोड़िये तो संख्या 15000 होती है।
फिर लगभग 40000 निजी महाविद्यालय है इनमे भी यदि निजी शिक्षकों की औसत संख्या 40 माने तो संख्या 1600000 होती है।
निजी विद्यालयों की संख्या 400000 से भी ज्यादा है अब यदि 20 का ही औसत माना जाए तो शिक्षक संख्या 8000000 होती है।
इसके बाद लाखों की संख्या में कोचिंग संस्थान है,जिसमे लाखों के ही संख्या में शिक्षक भी पठन-पाठन के रोजगार में लगे हैं।
यदि आर्थिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो सिर्फ भारत की कोचिंग इंडस्ट्री का हजारों करोड़ का टर्नओवर है।
अकेले राजस्थान का कोटा शहर स्थित कोचिंग संस्थानों का टर्नओवर 1500 करोड़ का है।।
शिक्षक के अलावा इस क्षेत्र में अन्य लोगो को भी रोजगार प्राप्त होता है जिनकी संख्या करोड़ो में पहुँचती है।
लेकिन आज कोविड 19 के कारण सबका जीवन हांसिये पर है और चिंता का विषय ये है कि इनकी सुध लेने वाला कोई नही है।
अंततोगत्वा देखा जाए तो कोविड 19 के कारण शिक्षा के क्षेत्र से भी जुड़े करोड़ो निजी शिक्षकों एवम करोड़ो अन्य कर्मचारियों का जीवन दूभर हो गया है।
क्योंकि सिर्फ आय का जरिया बन्द हुआ है।
जबकि,
लिए की लोन की क़िस्त तो भरनी ही है।
क्रेडिट कार्ड का बिल तो भरना ही है।
गाड़ी की क़िस्त तो भरनी है।
जो घर बैंक से लोन लेकर खरीद लिया था उसकी तो मासिक किस्त चल ही रही हैं।
ऐसा नही है कि निजी शिक्षकों के पास सेविंग्स नही है होंगी लेकिन सवाल ये है कितनी
खर्चे भी तो है।
तो सभी सरकारों से पूछिए की क्या हम इस देश के नागरिक नही है ।
क्या हम अर्थव्यवस्था में योगदान नही देते है??
क्या हमें भी कोई सरकारी सहायता प्राप्त होगी??
मैंने इस पोस्ट में सभी क्षेत्र के निजी शिक्षकों के समस्याओं को समेटने का प्रयास किया है ।

पवन कुमार चौरसिय ब्यूरो चीफ अयोध्या।