राजस्थान (दैनिक कर्म भूमि) बारां छीपाबड़ौद एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा रविवार को ऐतिहासिक गुगोर किले सहित अन्य स्थलों का भ्रमण किया भ्रमण करता शंकर लाल नागर व्याख्याता ने जानकारी देते हुए बताया गया कि क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण की जरूरत है नहीं तो यहां की प्राचीन धरोहर नष्ट हो जाएगी राजस्थान के बारां जिले के छबड़ा छीपाबड़ौद विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत गूगोर के दर्शन कर वहां की पुरातत्व एवं विभिन्न आलेखों प्रकाश डालते हुए बताया गया है कि यहां खीचीं राजाओं के द्वारा निर्मित किला ओर किले के निकट बहती है पावन पुनीत पार्वती नदी जिसके किनारें प्रसिद्ध बिजासन मैया का मंदिर स्थित है जहाँ माघ मास में मेला लगता है। पार्वती नदी का उदगम विंध्याचल पर्वतमाला के उत्तरी पार्श्व से हुआ है इस पर्वत की पश्चिमी श्रेणियों से निकलकर यह नदी सीहोर, राजगढ़,गुना और ग्वालियर से होते हुए राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते हुए अनेक किलो ओर दर्शनीय स्थलों से गुजर लोगों के तन,मन को पवित्र करते हुए सिंध नदी में मिलती है। पार्वती-सिंधु संगम पर प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी पद्मावती भी बसी हुई है इसकी लंबाई 70 किमी तक है।इसी नदी के किनारें प्राचीन गूगोर किला स्थित है ओर इसके 4 किलोमीटर के क्षेत्र में विपुर ऐतिहासिक पुरा सम्पदा फैली हुई थी जिनमें ऐतिहासिक सतरंग की छतरियां,ताका जी का स्थल धीर सिंह का चबूतरा भड़का जल प्रपात,राणी महल और ठण्डे जोहर का स्थल,आड़े हनुमान,नील कंठ महादेव का मंदिर,कपिल मुनि जल धारा जो अब खनन ओर चोरों एवं असामाजिक तत्वों के द्वारा नष्ट होकर अब खंडहर में तब्दील हो रही हैं। गुगोर किले की ऐतिहासिक इमारतें कस्बे से दूर पार्वती नदी के किनारे बसे गुगोर का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां पहाड़ी पर बना किला इतिहास का गवाह है यह किला अब खंडहर में बदल चुका है। इस किले पर कभी खींची राजाओं का राज था अब यह पुरा सम्पदा विलुप्त होनें के कंगार पर है पार्वती के किनारे फैले प्राचीन संस्कृति के अवशेषों का आज भी सरकार द्वारा संरक्षण हो तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए ऐतिहासिक धरोवर ओर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकती है।सतरंग की छतरियों की छटा चमत्कारी है यह आज भी गिनती में गिनने में नही आती है गिनें तो कभी 20 तो कभी 21 होती है।सतरंग के चबूतरे के निकट एक मुस्लिम संत पीर बाबा की दरगाह भी है जो वर्षी से उर्स के समय हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतीक बनी हुयीं है।रविवार को छीपाबड़ौद ओर छबड़ा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी बाबू लाल सुमन ओर हरनावदा शाहजी के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर नें इन ऐतिहासिक पुरा सम्पदाओं का भ्रमण कर निरीक्षण किया ओर क्षेत्र की इस ऐतिहासिक स्थली को देखा और इसके संरक्षण की जरूरत बताई गयीं।दोनों कार्यक्रम अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से इन प्राचीन स्थलों का संरक्षण करनें को कहा गया तथा इस परिक्षेत्र के निकट स्थित पुरा वन सम्पदा तथा पार्वती नदी के किनारों पर हो रहे अवैध खनन को रोक इन ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करनें का अनुरोध किया।भ्रमण के दौरान माँ भगवती विद्या मंदिर के निदेशक एवं संचालक दौलत राम नागर ओर मूडला सीनियर स्कूल के भूगोल के व्याख्याता चौधरी भी साथ रहे।विधित हो मां भगवती विद्यालय के संचालक दौलत राम नागर जो समाज सेवी के साथ प्रकृति प्रेमी भी है जिनके अथक प्रयासों से बिजासन माता मंदिर का गार्डन महक रहा है ओर साथ में उसके उत्तर में स्थित शिव मंदिर की पथरीली भूमि पर भी अनेक पौधें अब पेड़ बन गये है।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारा छिपाबड़ोद
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