महिलाओं का महापर्व हरितालिका तीज :की वैज्ञानिक सार्थकता

उत्तरप्रदेश  (दैनिक कर्मभूमि) अम्बेडकर नगर अन्न-जल त्याग कर त्रिकोणीय जीवन की रक्षा के संकल्प का दिन हरितालिका दो शब्दों
हरि और तालिका से बना है। आध्यात्मिक ऋषियों की इस व्रत की महत्ता के पीछे स्वस्थ जीवन का भाव स्पष्ट दिखता है। प्रथमतः शरीर (हार्डवेयर) के लिए मेडिकल पक्ष हरि का आशय शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाने वाले हार्मोन्स को सन्तुलित करना ।महिलाओं के मातृत्व के सौभाग्य को देखते हुए उनके हार्मोन्स में संतुलन अति आवश्यक है। एक दिन खाद्य पदार्थों के त्यागने से हार्मोन्स शरीर में स्थित हरि) का स्वरूप सुदृढ़ होता है। तालिका- इसका आशय सूची (कैटलॉग) है। स्त्रियों में पुरुष से दो हार्मोन्स अधिक होते हैं । हार्मोन्स शरीर का एक रासायनिक तत्व है। जो ग्लैंड्स को स्वस्थ रखते हैं । अनेक स्त्रीरोगों में ग्लैंड्स रक्षक की भूमिका में होता है आध्यात्मिक पक्ष शरीर में तीन शरीर होते हैं। यही त्रिकोण या त्रिभुज है।

स्थूल शरीर- पंच भौतिक-तत्वों से शरीर बना है। यह स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान है।

स्थूल शरीर- यह चेतना-शक्ति के रूप में शरीर संचालन में काम करता है। जिसके निकल जाने पर व्यक्ति का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

कारण-शरीर- हर जीव को कुछ कार्य करने ही पड़ते हैं । शरीर भी हर पल अपना काम करता रहता है। आती-जाती सांसें, हार्ट का निरन्तर चलते रहना आदि प्रमाण हैं । जिस वक्त ये काम बंद हो जाते हैं, व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है।

महिलाओं के लिए-

जन्म लेना- स्थूल शरीर।
विवाह होना- सूक्ष्म शरीर ।
पतिगृह आकर 1- पति के साथ पति के समकक्ष की पीढ़ी (भाई-बहन) के साथ संतुलन बनाना, 2-पति के पूर्व की पीढ़ी माता-पिता आदि तथा 3- संतान पीढ़ी के साथ स्नेह-प्रेमके बना कर जीवन यापन करना कारण शरीर का सूचक है। यही भाद्रपद यानी भद्र बनकर जीने का तरीका है
शुक्ल पक्ष का आशय उजाला और तृतीया तिथि का आशय स्थूल, सूक्ष्म तथा कारण शरीर में समन्वय के भाव को आदर देना और अन्न-जल त्याग कर इसकी रक्षा करना ।

ज्योतिषाचार्य  सुनील चन्द्र शुक्ल 6392776124

रिपोर्ट-विमलेश विश्वकर्मा अम्बेडकर नगर