*अटरु में बंद पड़ी शराब फैक्ट्री किसी समय शराब की महक से महकती थी अटरु की पहचान*

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां अटरू में कभी शराब की महक से क्षेत्र की पहचान मानी जाने वाली बेशकिमती शराब फेकट्री की 48 बिघा भूमि व भवन राज्य सरकार द्वारा नुजुल सम्पती घोषित किया गया हे। जो बंद होने के बाद 1986 से ही व्यर्थ पडा हुआ हे।मगर सूबे की सरकार का इन नुजूल संपत्तियों पर कोई ध्यान नही है। अब चूँकी राज्य सरकार को महाविधालय के लिये जमीन आवंटीत करना हे। एसे मे अधिकारीयों की सीधी नजर बंजर जमीन पर भागती हे। मगर यहाँ की जनता इसे कस्बे मे ही खुलवाकर अपने नोनीहालो का सुखद भविषय तलाश रही हे। साथ ही डीस्टलेरी भवन जो इन दिनो स्मेकचीयो व रंगरेलीया मनाने वालो का अड्डा बना हे उससे भी लोगों को निजात मिलेगी ।

कस्बेवासियों ने बताया कि यह भवन व 48बिघा जमीन बाराँ राज मार्ग एनएच90 सें मात्र 700 मीटर दूर पडता हे जो सहूलियत के हिसाब से हे। वहीं  नवोदीत युवा पीढ़ी के आचार विचार के अनुरुप कस्बे की हर्दयस्थली मे यह स्थान हे। कस्बे वासियों द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गये दस्तावेजों मे महाविधालय भवन के लिये डीस्टलेरी भवन को ही चिन्हित करने की माँग की गई हे। लोगों के आग्रह पर कई जनप्रतिनिधियों समेत कई गणमान्य लोगों ने जगह को उपयुक्त मानते हुए जिलाकलकटर को आग्रह किया हे। गोर तलब है कि इस शराब फेक्ट्री का निर्माण 1916 में किया गया था। क्षेत्र के जंगलों से महुआ लाकर स्प्रीट से शराब का निर्माण किए जाता था। फेक्ट्री में लगभग 200लोगों को रोजगार मिला हुआ था मगर 1986 में इसे बंद कर देने के बाद से राज्यसरकार ओर गंगानगर शुगरमिल की यह साझा संपत्ति वीराने में अपने अतीत पर आंसू बहा रही है।

*रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां अटरु*