विजया दशमी पर ऑनलाइन सत्संग सभा का आयोजन समपन्न।

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छीपाबड़ौद श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम पर स्थित फलक निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र पर मंथ सेवानंद पुरी महाराज की अध्यक्षता में दशहरा पर्व पर ऑनलाइन सत्संग सभा का आयोजन किया गया आश्रम से जुड़े अलक निरंजन ध्यान ज्योति योग केंद्र के शंकर लाल नागर ने जानकारी देते हुए बताया गया है कि महंत सेवानन्द पुरी महाराज ने सत्संग (सत्य का संग)को बताया जीवन जीने की कला का माध्यम ओर साधकों से कहा “जीवन में कुछ नया करना है तो सत्य के संग चल संसार की चिंता छोड़ परमात्मा की खोज में रहो ओर सिर्फ उन्हीं का चिंतन-मनन करो फिर शिव पिता तुम्हे सब कुछ दे देगें जिससे तुम्हें संसार सागर से पार जानें का रास्ता मिल जायेगा छीपाबड़ौद श्री हनुमान सिद्ध साधनाश्रम भुवाखेड़ी पर स्थित अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी पर महंत सेवानन्द पुरी महाराज की अध्यक्षता में दशहरा पर ऑनलाइन सत्संग सभा का आयोजन किया।योग संगठन मंत्री परमानन्द शर्मा के अनुसार सत्संग सभा में अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर ने भी भाग लिया।सत्संग सभा में महाराज श्री पुरी महाराज नें कहा कि संसार में आ गये है तो सोचों!तुम्ह कोंन हो?कहां से आये हो? तुम्हारा परिचय क्या है?क्यों आये?क्या करनें आये ?क्या किया ? क्या करना चाहिए था ?और क्या कर दिया ?आदि प्रश्नों को स्वयं से पूछो जिससे रोज तुम्हें अपना हिसाब-किताब मिलेगा अब हमें इस हिसाब किताब से यह पता चलेगा कि हम किसके साथ है परमात्मा के साथ या संसार के साथ अब आपका,हमारा जहां चिंतन रहता है हमें वहां से ही ऊर्जा मिलेंगी ओर उस ऊर्जा के प्रभाव से ही अच्छे-बुरे अनुभव होगें जो कि अभी तुम्हारे जीवन में हो रहे है कभी सोचा क्या?नही सोचा न बस समझो तुम्ह संसार सागर में आ तो गये परन्तु यहां आकर तुम्ह बिना मांझी की नांव में बैठ गए अब जब नांव का कोई खिवैया ही नही होगा कूंठें से आपके द्वारा बांधी नांव का बंधन हटाया ही नही जावेगा तो नांव जायेगी कहां ? महात्मा पुरी ने कहां की अपनी नांव के खिवैया संसार के लोगों के साथ कि जगह परमात्मा शिव को साथी बना उसे ही साक्षी गुरु रूप मान अपनी आत्मा को उसके चिंतन से जोड़ संसार सागर में चलते रहो और निष्काम भाव से सभी यथोचित कर्म और कार्य करते चलों।अपना जीवन संसार के लोंगों के हाथों मत सौंपो नही तो संसार से आत्मा की मोक्ष की जगह तुम्हारे शरीर की मृत्यु होगीं ओर शरीर स्थित आत्मा पुनः आत्मा के शेष यातना कष्टों के भोग भोगने के लिए तुम्हे फिर शरीर में आना ही होगा अब वो जन्म का घर कैसा होगा अभी जैसा होगा या इससे भी उच्च या निम्न होगा वो तुम्हारे अभी तक के कर्मों पर आधारित होगा।कर्मों के क्षय हुए बिना मोक्ष संभव नही।पूजा,पाठ,दान,दक्षिणा ओर भजन से सिर्फ तुम्हे मुक्ति मिल सकती है मोक्ष नही इसके लिए तुम्हे हनुमान बन तप,सेवा,सुमरण ओर समर्पण का सहारा ले निरंतर आत्मा से परमात्मा का सत्संग चिंतन-मनन करना आवश्यक है। हर श्वास,प्रश्वास सिर्फ शिव के लिए हो फिर तुम्ह कभी शरीर की तरह आत्मा से शव नही बनोगे ।सत्संग के प्रभाव से आत्मा इस काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद से व्याप्त मलिन शरीर से अलग,मुक्त होकर परमात्मा से मिल जाएंगी और पुनः इस संसार सागर में आना नही होगा यदि शिव की इच्छा से आना भी होगा तो सत्संग के प्रभाव से कलयुग में नही आप सतयुग में ही आओगे हां अभी हम सब काल खंड से कलयुग में है परन्तु जो लोग इस युग में भी सत के संग है वो तो अभी भी कलयुग होते हुए भी सतयुग में ही है उन्हें कोई समस्या नही है जिनका मन चंगा उन्हें भक्त रैदास जी की तरह चमड़े की कटोरी में भी मिलेगी गंगा।अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी छबड़ा के कार्यकारी अध्यक्ष नागर ने कहा कि यह संसार स्वार्थों पर आधारित है यहां दुःखों के शिवा आपको ओर हमें कुछ भी मिलने वाला नही जो तुमने पाया या बनाया या बनाओगे वो किसी ओर का है नागर ने संतो की वाणी से कहा कि ” *अपने सुखों के लिए दूसरी आत्माओं से बदला लेना बंद करो स्वयं की आत्मा को ही बदल डालो।”* फिर तुम्हारे लिए सुख ही सुख है।

स्वयं तुम्हे संसार की खोज बन्द करनी होगी अपने आप को खोजों अपने दैनिक कर्मों की खोज,खबर लेते चलो ओर आत्म निर्णय कर जीवन जीते रहो सब कुछ जो कर्म शिव को अर्पण कर दो फल की चिंता में बहस ना करो प्रकृति कर्मो के अनुसार ही फल अपने आप हमें,तुन्हें देंगी किसी की सिफारिश की इनमें जरूरत नही।तेरा ओर मेरा में से एक को चुन लो फिर संसार में कोई टयूमर की ट्यून का रोग तुम्हारे शरीर में पैदा ही नही होगा।जो रोग तुम्हारे पास अभी है या आसपास है वो सब तुम्हारे द्वारा ही रचा ओर बसाया हुआ संसार है जिसमें तुम उलझ अभी समय बर्बाद कर रहे हो किसी के समझाने पर भी तुम समझ नही रहे तो दोष किसका।संत दादूदास जी ने कहा था
*”आपा मेटे हरि मिले तन,मन तजे विकार।निरबैरी सब जीव सूं दादू यह मत सार।।*
पुरी बाबा ने देशवासियों को दशहरा ओर दीपावली की शुभकामनाएं देते हुये कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखनें की अपील की गयीं।
*त्योहारों पर भीड़ का हिस्सा नही बनें,बाहर निकलते वक्त मुंह पर मास्क लगावें,खेत,बाड़ी,बाजार से घर आने के बाद अपने हाथों को सेनिटाइज करें या नीम,डिटोल आदि के साबुन से धोवें*,
अपने ओर पास-पड़ोस में गंदगी नही होनें दे,खुले में सोच कर भी शौच नही जावें नही करे घर स्थित शौचालय का प्रयोग करें। इस दशहरे पर एक संकल्प अवश्य लेवें रावण आदि के पुतले के साथ तुम सारी बुराइयां दुर्गुण नही त्याग सको तो कम से कम अपनी किसी एक बुराई ओर बुरे कर्म को रावण,कुम्भकर्ण,मेघनाथ को इस वर्ष सौंप देना और बदले में उनसे गिप्ट ओर उपहार में एक अच्छाई मांग अपने घर ले आना ओर इस दीपावली पर *राम के साथ रावण,कुंभकर्ण,मेघनाथ ओर स्वयं को शामिल कर रोज कम से कम इन पांचों की अच्छाई के दीप जलाना ओर पंच दिवसीय दीपावली स्वयं के साथ देश की खुशहाली के लिए मनाना।संसार में स्थित घर के बाहर-भीतर राम-नाम के मणिदीप जलाना।संत तुलसी ने भी संसार हित कहा
” *राम-नाम मय दीप धरूं जिन देहरी,द्वार तुलसी भीतर बाहरे जांह चाहों उजियार।।*
सत्संग सभा में पवन,चौथमल,नेमीचंद,रामप्रसाद,बाबूलाल,कुलदीप,रिंकेश, देवकरण,भंवरलाल आदि ने भाग लिया।सदस्यों ने इस अवसर पर
आश्रम पर साफ-सफाई अभियान चला कर स्वच्छता का सन्देश दिया और कार्यक्रम समापन पर सबका आभार जताया।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद