हर रविवार ओंन लाइन यूट्यूब सत्संग सभा के आयोजन की शुरूआत।

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छीपाबड़ौद श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम,पर संचालित अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,की ओर से कार्तिक मास से प्रत्येक रविवार को आध्यात्मिक, भौतिक सामाजिक, आर्थिक,ऐतिहासिक, राजनीतिक तथा अन्य विविध मानवीय मूल्यों के सत्यमेव जयते के संदर्भ को लेकर ” *अलख ज्योति योग प्रजेंट*” यूट्यूब चैनल पर विविध विषयों को लेकर सत्संग-सभाओं का आयोजन किया जावेगा।योग संगठन मंत्री परमानन्द शर्मा के अनुसार आज का मनुष्य जीवन कई कठिनाईयों से गुजर रहा है आज का व्यक्ति इतना स्वार्थी कैसे हो गया कि उसे अपने सुखों के आगे दूसरे के सुखों की भी बलि चढ़ानी पढ़ रही है इन सब के पीछे का सच क्या है हम संसार में दुखों के सागर में क्यों है सदियों से मनुष्य समस्याओं से क्यों घिरा हुआ है।असत्यमेव जयते के जीवन को कैसे सत्यमेव जयते की ओर ले जावें इन सब के समाधान के लिए *यथार्थ जीवन कैसे जीवें।*” पर हर रविवार को ऑनलाइन यूट्यूब सत्संग सभा का आयोजन 1 नवंबर,2020 रविवार से महन्त सेवानन्द पुरी महाराज की अध्यक्षता में अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र के संचालन कर्ता ओर कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर के मार्गदर्शन ओर सहयोग से रविवार की मार्गदर्शन सत्संग सभा के वक्ता के रूप में रामदयाल धाकड़ को आमंत्रित किया गया।कोष प्रभारी चौथमल धाकड़ ने बताया कि रामदयाल जी धाकड़ एक प्रसिद्ध सामाजिक, आध्यात्मिक राजनीतिक विषयों के ज्ञान में प्रवीणता रखनें वाले सामाजिक वक्ता है जिनके गूढ़ ज्ञान से हम लाभान्वित होगें धाकड़ को व्याख्यान माला के लिए विशिष्ट अतिथि ओर वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।आज की ऑनलाइन यूट्यूब चैनल सत्संग सभा के तहत धाकड़ ने व्याख्यान देकर सत्संग सभा की शुरुआत की गयीं।योग सत्संग सभा के संचालक नागर ने बताया कि रविवार को आयोजित सत्संग सभा में रामदयाल धाकड़ ने बताया कि मनुष्य जीवन क्या है?इसे कैसे सफल बनाया जाय उसका सबसे सरल माध्यम सत्संग है जिससे देव दानव मनुष्य नाग किन्नर पशु पक्षी जड़ चेतन,जीव-जन्तु, अंडज पिड्ज उद्भिज सब शक्ति पाते है।सन्त तुलसी ने रामायण में स्पष्ट कहा है कि सत्संग के बिना विवेक का जागरण नही हो सकता इसलिए सत्संग जरूरी है।सत ओर संग यानी हम किसके साथ रहें सत या असत के साथ यह सब जानते है कि हम किसके साथ है।जो क्षणिक सुखों के कारण असत के मार्ग पर चल रहे है वो देर सवेरे आसमान पर भी क्यों ना उड़ रहे हो एक दिन कर्मों के भोग भोगनें धरती पर ही आयेंगे।मनुष्य दुःखो का अंत चाहता है तो परोपकार अपना कर क्षमा का आभूषण धारण कर लेवें।सत्संग सभा के समापन पर योग सत्संग सभा के संचालन कर्ता शंकर लाल नागर ने व्याख्यान माला के आज के यूट्यूब सत्संग में पदारने ओर व्याख्यान देनें के लिए रामदयाल जी का आभार जताया और आम जन से इस इस श्रंखला से जुड़ने के लिए प्रत्येक रविवार को और यथार्थ जीवन के बारे में जानकर जीवन में आ रहे दुःखो का कारण जान सकते है नागर ने सभी साधकों का आभार जताया।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद