राजस्थान राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) बारां छबड़ा-छीपाबडौद: राष्ट्रीय सेवा योजना हरनावदा शाहजी छबड़ा छीपाबडौद के कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर,बाबूलाल सुमन ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन लिंक भेज विश्व हिंदी दिवस मनाया।कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर के अनुसार इस अवसर पर ऑनलाइन वार्ता कर सेवार्थीयों के साथ सेमिनार आयोजित की गयीं कक्षा 11 ओर 12 के सेवार्थीयों को इस अवसर पर ऑनलाइन वाट्सएप पर लिंक भेज *”विश्व की अन्य भाषाओं में हिंदी का स्थान”*
विषय पर निबंध भी लिखवाया गया जिसकी हार्ड कॉपी वाट्सप नम्बर 9001081824 पर भेजने या ऑफलाइन सोमवार को स्कूल में कोरोना गाइड लाइन अनुसार आकर जमा करनें को कहा गया।सेमिनार वार्ता में कार्यक्रम अधिकारी शंकर लाल नागर ने कहा कि हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने हेतु 10 जनवरी सन 1975 को पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में आयोजित किया गया था,इस सम्मेलन में दुनियां भर के 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी।
हिंदी भाषा का हम भारतीयों के जीवन में बहुत महत्व है हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ाना है और जन-जन तक जागरूकता फैलाना है 10 जनवरी 2006 को भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने हर साल विश्व हिन्दी दिवस मनाने की घोषणा की थी उसके बाद से ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था।
कार्यक्रम अधिकारी बाबूलाल सुमन ने ऑनलाइन वार्ता में कहा कि यह भारत की सभी आधिकारिक भाषाओं में से एक है और मंदारिन,स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद दुनियां में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली पहली भाषा है हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिन्दी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है यही इस भाषा की पहचान ओर विशेषता भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती।हिंदी की स्वर ओर व्यंजन वर्ण माला बड़ी ही समृद्ध शाली है जो अन्य भाषाओं की वर्णमालाओं में नही है और जिस दिन हिंदी कम्प्यूटर की भाषा बन जायेगी उस दिन हिंदी का दर्जा अन्य भाषाओं से ऊपर होगा।सुमन ने कहा कि विश्व में हिंदी सीखी जा रही है परन्तु भारत के लोग अभी भी अंग्रेजी की ओर भाग रहे है।हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा बनें जिससें देश में अपनों का प्यार मिले तो यह भाषा विश्व मे सिरमौर बन सकेंगी।कार्यक्रम अधिकारी नागर नें विश्व हिंदी दिवद पर भाग लेने वाले सभी ऑनलाइन,ऑफलाइन सेवार्थीयों का आभार जताया।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद
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