रंगबाज रसिया” का प्रभावपूर्ण मंचन

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,02 फरवरी 2021 आस्था नाट्य कला रंगमण्डल समिति, लखनऊ के तीन दिवसीय समारोह के अन्तर्गत द्वितीय संध्या में कशिश आर्टस एंव वेलफेयर सोसाइटी लखनऊ के द्वारा मुकेश वर्मा के द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाट्क ”रंगबाज रसिया‘ का नाट्य मंचन सायंकाल बाल्मीकि रंगशाला,उ०प्र० संगीत नाट्क अकादमी गोमती नगर, लखनऊ में भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय (संस्कृति विभाग) नई दिल्ली के सहयोग से मंचित किया गया। कथानक के अनुसार एक रंगकर्मी युवक जिसका नाम रंगबाज रसिया है। जिसकी पृथ्वी पर मौत हो जाती है। और वह स्वर्ग पहुंचता है। वहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है कोई भी नहीं है युवक ने जब वहाँ के प्रहरी से पता किया तो पता चला कि वहां सभी देवता मनोरंजन करने में व्यस्त हैं। इन सबके बीच में उसकी मुलाकात इंद्र की पत्नी इंदाणी से ही होती है वह युवक के इरादों को भांप जाती है वह उसका विरोध करती हैं लेकिन वह इंद्राणी को अपने मकड़जाल में फंसा लेता है। उसकी मंशा चालाकी के साथ में उस पूरे लेखा-जोखा को हासिल करना होता है जिसमें वह अपनी किस्मत को पलट सके उसके लिए वह चित्रगुप्त की कथितं बेटी सोनाक्षी को हथियार की तरह इस्तेमाल करता है इधर गुस्से में आए भगवान इंद्र ने रसिया को मृत्युदंड देने की ठान लेते हैं उसकी आत्मा को पृथ्वी पर ना भेजने की बात कहते हैं इन सब के पीछे की वजह सोनाक्षी के साथ उसका प्रेम प्रसंग होता है और वही जीवन बहीखाते में खिलवाड़ के आधार पर रसिया पर भगवान इंद्र गुस्सा करते हैं रसिया जवाब देता है कि भगवान पृथ्वी पर अत्याचार दुष्कर्म का प्रभाव बढ़ चुका है मैंने थोड़ा सा बदलाव कर दिया है गरीबों की झोली में पैसा और जो भूखे हैं उनके मुंह में निवाला दे दिया है मुझसे यही गलती हो गयी है, क्षमा चाहता हूं यह बात सुनकर इंदाणी आ जाती है और युवक का साथ देने की बात कहती हैं इतना ही नहीं सोनाक्षी का विवाह रसिया के साथ रहने की बात कहती है भगवान इंद्र रसिया को क्षमा कर देते है और दुष्टों को दंड देने की बात कहते है। मंच पर रंगबाज रसिया की भूमिका में विष्णु, इंद्र की भूमिका में ठाकुर देवेन्द्र देवराम, इंद्राणी की भूमिका में अनन्या ठाकुर, चित्रगुप्त की भूमिका में शक्ति मिश्रा, सोनाक्षी की भूमिका अंतिमा सिंह, पहरेदार की भूमिका में प्रखर द्रिवेदी, यमराज की भूमिका में हरिओम अग्निहोत्री ने बेहतरीन अभिनय किया। मंच परे प्रकाश परिकल्पना सपन बोस, संगीत निर्देशन मो० शारूख, स्वपनिल अग्रवाल, सेट दीपक अग्रवाल व रूप सज्जा झरना श्रीवास्तव एवं कार्यशाला निर्देशन रत्ना अग्रवाल का था। कार्यशाला निर्देशन रत्ना अग्रवाल सम्पूर्ण दृश्य परिकल्पना एवं निर्देशन मुकेश वर्मा का था।

रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली