Delhi Assembly Election: दिल्ली में टूटा 21 वर्ष पुराना गठबंधन बीजेपी और अकाली दल की राहें जुदा

  • दिल्ली (दैनिक कर्मभूमि) संवाददाता : लंबे समय से एक-दूसरे के सहयोगी भाजपा और अकाली दल 21 वर्ष का पुराना दिल्ली में टूट गया शिरोमणि अकाली दल विधानसभा चुनावी दल से अपने को अलग कर दिया नागरिकता संशोधन कानून(CAA protest) को लेकर भाजपा का शिअद परभारी दबाव

सीएए पर स्‍टैंड के कारण टूटा गठबंधन

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि सीएए पर स्टैंड बदले की बजाय हमने विधानसभा चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया है। दिल्ली में अकाली दल हमेशा भाजपा के साथ चुनाव लड़ता रहा है। जब हम आवाज नहीं उठा सकते हैं तो चुनाव लड़ने का कोई मकसद नहीं रह जाता है।

कोई भी अकाली दल नहीं लड़ेगा चुनाव

कोई भी अकाली नेता निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ चुनाव नहीं लड़ने का फैसला हुआ है। गठबंधन को लेकर पार्टी हाईकमान को फैसला करना है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच सियासी नहीं सामाजिक गठबंधन है। पंजाब में शांति व भाईचारा कायम करने वाला गठबंधन है। भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने को लेकर भी उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

सीएए पर फूटा गुस्‍सा

सिरसा ने कहा कि सीएए की मांग शिअद बादल ने ही की थी, लेकिन उसमें किसी धर्म को निकालने की बात नहीं थी। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित होने वाले हिंदू, सिख, ईसाई व बौद्ध को भारत में नागरिकता देने का हम स्वागत करते हैं। इसमें मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

भाजपा संग बैठक में उठा था मुद्दा

सिरसा ने कहा कि विधानसभा को लेकर भाजपा नेताओं के साथ बैठक में भी यह मुद्दा उठा। भाजपा नेता पार्टी से सीएए को लेकर अपने रुख पर विचार करने को कह रहे थे। सुखबीर सिंह बादल ने इससे इन्कार कर दिया है। शिअद बादल लंबे समय से भाजपा का सहयोगी रहा है, लेकिन अपने सिद्धांत से समझौता नहीं किया जा सकता है। हम धर्म व जाति के नाम पर समाज को बांटने में विश्वास नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि शिअद राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने के पक्ष में नहीं है। देशवासियों को अपना और अपने पिता की नागरिकता को साबित करने के लिए लाइन में खड़ा नहीं किया जा सकता है।

*रिपोर्ट * अमन यादव मुंबई