विद्वान रामायण का अहंकार उसका बना मृत्यु का कारण- विनोद मिश्रा

उत्तर प्रदेश( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि )जौनपुर

जौनपुर(मुंगराबादशाहपुर)राम लीला कमेटी गुडहाई मे चल रही रामलीला में बुधवार की रात राम बन गमन की लीला का भब्य मंचन किया गया। महाराज दशरथ गुरु वशिष्ठ से सलाह मशविरा कर राम के राज तिलक की तैयारी करने के लिए निर्देश दिए। जिसे देख देवताओं में हडकंप मच जाता है। देवगण माता सरस्वती से सहयोग की मांग करते हैं। देवताओं के अनुरोध पर माता सरस्वती कुबडी़ की जिह्वा पर बिराजमान हो जाती है। राम के राज्याभिषेक की जानकारी होने पर कुबडी़ दासी रानी कैकयी के कान भरती है। कुबडी़ को पहले तो रानी कैकयी फटकार लगाती हैं फिर कुबडी़ के कोउ नृप होई हमई का हानी, चेरी छोड़ न त होबई रानी, तथा अनभल देखि न जाइ तुम्हारा कहने पर कैकयी उपाय पूछती है। तब कुबडी़ ने उसे दो वरदानो की याद दिला उसे भुनाने का यही उचित समय बताया। कुबडी़ की सलाह पर कैकयी कोपभवन में चली जाती है। महाराज दशरथ के आने पर कैकयी उन्हें दोनों वरदान की याद दिलाती है। दशरथ के कहने पर कैकयी ने राम की सौगंध खाने के लिए कहती है। महाराज दशरथ के राम का सौगंध खाने पर कैकयी पहले वरदान मे राम की जगह भरत को राजगद्दी तथा दूसरे में राम को चौदह साल का बनवास मांगती है। जिसे सुनकर दशरथ की रूंह कांप गई तथा वह तड़प कर जमीन पर गिर पड़े। सुबह सुमंत्र के कहने पर राम दशरध के पास पहुंचते हैं। कैकयी ने सारा बृतांत राम को सुनाया। राम सहर्ष वन जाने की तैयारी में मां कौशल्या के पास जाकर पिता दीन्ह मोहि कानन राजू, जंह सब भांति मोर बड़ काजू कह कर सारा बृतांत बताया। वन जाने की सूचना मिलते ही सीता जी आकर साथ चलने की जिद करती है। जिन्हें राम समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन नहीं मानने पर साथ चलने के लिए कहते हैं। तभी लक्ष्मण का आगमन होता है तथा वह भी साथ चलने की जिद करते हैं। उन्हें भी राम ने समझाया लेकिन नहीं मानने पर साथ चलने के लिए कहते हैं। तीनों को वनवासी रूप में देख वन जाता देख दर्शक भाव विह्वल हो गए तथा उनकी आंखों से बरबस आंसू टपकने लगा। तपस्वी के रूप में पहुंचे राम लक्ष्मण एवं सीता का निषाद राज ने स्वागत सत्कार किया। इस दौरान सपा नेता विनोद मिश्रा का कमेटी के अध्यक्ष पशुपतिनाथ में अंगवस्त्रम माला पहनाकर भव्य स्वागत किया इस दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए यही कारण है कि रावण बहुत बड़ा विद्वान और अजर अमर होते हुए भी उसको उसके अहंकार ने उसे मार दिया। इस अवसर पर राम लीला कमेटी के महंत संगम लाल गुप्त , अध्यक्ष पशुपति नाथ गुप्त मुन्ना, आकाश गुप्त गोलू, शैलेन्द्र साहू , जगदम्बा जायसवाल सहित अन्य पदाधिकारी एवं दर्शक मौजूद रहे।