राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) छीपाबडौद:देशज समाज का खुला आकाश है मूंछ कहीं इसे आन बान और कहि राजस्थान में इसे शान का प्रतीक माना जाता है तो कहीं रौब गालिब करने में मूंछों का बड़ा योगदान होता है।पुरुषों के शरीर में वैसे तो अलग अलग जगह बाल उग आते हैं,मगर जो बालों से सम्मान मूंछों को मिला हुआ है वो किसी और को कहां नसीब हुआ है।मध्यप्रदेश के एक कवि महाशय नें मूंछ महिमा गाई उनका है जगदीश खेतान,भाई
वो लिखते है मूंछों की महिमा ओर कहते है।
काश मेरी भी मूंछें होतीं
मै भी कवि सम्मेलनों मे जाता।
पहले मूंछे ही दिखला कर
पब्लिक पर मै रोब जमाता।
विरह की कविता श्रीमान मै
मूंछें ऐंठ के उन्हें सुनाता।
डर के कोई हूट न करता
ऐसा सब पर रंग जमाता।
मेरी मूंछें देख देखकर
बिन मूछों वाले कवि जलते।
मेरी मूछें देख देख कर
सचमुच ही वो आहें भरते।
मैने ये निष्कर्ष निकाला
मर्दों की शान हैं मूछें।
मर्दों की पहचान हैं मूंछें।
मर्दों की ही आन हैं मूंछें।।
मै तो कहता हूं राजा जी
मूछों पर भी टैक्स लगाओ।
टैक्स लगा कर के मूछों पर
मूछों का सम्मान बढाओ।
जब टैक्स लगेगा मूछों पर
तो मूछों का भी मान बढेगा।
तब मूछों वाले मर्दो का भी
शान और सम्मान बढेगा।
मूछों वाले पुरूषों पर ही
जग की लीलाएं आकर्षित होंगी।
इन मूछों वाले पतियों की
बीबीयां भी यह महिमा सुन अति हर्षित होंगीं।मूच्छडों की अलग ब्रिगेड सेना मे बनाई जायेगी।
यह मूछ ब्रिगेड चाइना की
सीमा पर तैनात की जायेगी।
यह सर्वविदित है मूछों से
बिन मूछों वाले हैं डरते। मुच्छड़े सैनिकों के आगे
चीनी सैनिक भी आज पानी भरते दिखते है।चीनी सैनिकों के खिलाफ मुच्छड़ ब्रिगेड आजमायेंगे
जो भूमि चीन के कब्जे मे
हम उसको वापस पायेंगे।
जयहिंद हिन्द की सेना जयहिंद दिल खोल कह पायेगी।एक दूसरे कवि भी मूंछ महिमा पर पद लिखते है।आभूषण हैं वदन का, रक्खो मूछ सँवार,
बिना मूछ के मर्द का,जीवन है बेकार।
जीवन है बेकार, शिखण्डी जैसा लगता,
मूछदार राणा प्रताप, ही अच्छा दिखता है।
कह ‘मंयक’ मूछों वाले, ही थे खरदूषण ,सत्य वचन है मूछ, मर्द का है आभूषण।“ या फिर वीरता के लिए विख्यात राजपूत राजाओं के काल में कवियों के मुख से मूछों का महत्व समष्ट दिखाई देता है। “जाहि प्रान प्रिया लागिन सौ बैठे निज धाम। जो काया पर मूंछ वाई सो कर हैं संग्राम।चाहे शराबी फ़िल्म के नत्थू लाल की मूछें हो या चार्ली चैप्लिन की मूंछें सदा ही चर्चा का विषय रही हैं और अपने साथ साथ अपने मालिक को भी प्रचारित,चर्चारित और खर्चारित करती रही हैं।अमेरिका में एक स्टडी में पता चला कि मूंछ वाले अमेरिकन 4.3 क्लीन शेव वालों से और बिना दाढ़ी वालों से 8.2 फीसदी ज्यादा पैसे कमाते है… लेकिन स्टडी में यह भी उल्लेखनीय है कि मूछ रखने वाले खर्चीले भी ज्यादा होते हैं उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा भी कुछ होनहार मुछंदर पुलिस कर्मियों को उनकी मूंछ की रक्षा और रख रखाव के लिए भत्ता दिया जाता रहा है।राजस्थान में आजादी के बाद भी काना भील दश्यु की मूछों की तारीफ हुआ करती है जिनके लम्बाई 4 फुट तक थी।राजस्थान में तो आज भी सदा की तरह मूछें आन बान शान और सम्मान के प्रतीक के रूप में देखी जाती रही है।मूंछे आज भी सत्येव जयते की प्रतीक बनी हुयीं है।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया छबड़ा-छीपाबडौद
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