माघ पूर्णिमा संत रविदास जी की जयंती हर्षोल्लास से मनाई

राजस्थान राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर केलखेडी़ छीपाबडौ़द के प्रधानाचार्य हरिसिंह गोचर ने जानकारी देते हुए बताया कि रविदाजी को पंजाब में रविदास कहा जाता है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से ही जाना जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के लोग ‘रोहिदास’ और बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ कहते हैं। कई पुरानी पांडुलिपियों में उन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी जाना गया है। माघ मास की पूर्णिमा को जब रविदास जी ने जन्म लिया वह रविवार का दिन था जिसके कारण इनका नाम रविदास रखा गया। उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इस वर्ष 16 फरवरी 2022 को उनकी जयंती मनाई जा रही है।उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का शासन था चारों ओर अत्याचार, गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था। उस समय मुस्लिम शासकों द्वारा प्रयास किया जाता था कि अधिकांश हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाए। संत रविदास जी की प्रसिद्धि निरन्तर बढ़ रही थी जिसके चलते उनके लाखों भक्त थे जिनमें हर जाति के लोग शामिल थे। यह सब देखकर एक मुस्लिम ‘सदना पीर’ उनको मुसलमान बनाने आया था। उसका सोचना था कि यदि रविदास मुसलमान बन जाते हैं तो उनके लाखों भक्त भी मुस्लिम हो जाएंगे। ऐसा सोचकर उन पर हर प्रकार से दबाव बनाया गया उनको लालच दिखाया गया उनको डराया व धमकाया भी गया लेकिन संत रविदास तो हिन्दू समाज के संत थे उन्हें किसी मुस्लिम से मतलब नहीं था। उन्होंने साफ साफ मना कर दिया और कहा *कुरान बिहश्त न चाहिए, मुझको हूर हजार*

*वेद धर्म त्यागूं नहीं,जो गल चले कटार* *’रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच’ *यानी कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म से नीच होता है। जो व्यक्ति गलत काम करता है वो नीच होता है। कोई भी व्यक्ति जन्म के हिसाब से कभी नीच नहीं होता। संत रविदास ने अपनी कविताओं के लिए जनसाधारण की ब्रज भाषा का प्रयोग किया है। साथ ही इसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख्ता शब्दों का भी मिश्रण है। रविदासजी के लगभग चालीस पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ ‘गुरुग्रंथ साहब’ में भी सम्मिलित किए गए है।इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए संत रविदास जी महाराज ने भी मेवाड़ घराने की बहुरानी मीराबाई को दीक्षित कर हिन्दू समाज को ऊंच-नीच से ऊपर उठाकर गुणपूजा को प्रतिष्ठित करने का संदेश दिया *संत रविदास जी महाराज भक्ति आन्दोलन के दैदीप्यमान नक्षत्र थे। हिन्दू समाज उनका चिरकाल तक ऋणी रहेगा ।

रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया छीपाबड़ौद