उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट। जिला के कर्वी विकासखंड के ग्राम पंचायत अकबरपुर(ब) के द्वारा जारी फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र की शिकायत होने के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई करना तो दूर जिले के जांच अधिकारियों ने वास्तविक रुप से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर जांच तक नहीं की जिससे दोषियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती। सारा मामला यह है की ग्राम पंचायत अकबरपुर सचिव बिना जांच किए एक व्यक्ति का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का जिम्मा ले लिया है। और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया बताया जा रहा है कि मृतक दतिया जिला के एक प्रसिद्ध मंदिर के महंत थे और उनकी मृत्यु भी मध्य प्रदेश के दतिया जिला में हुई लेकिन जब महंत की मृत्यु की जानकारी उसके परिजनों को लगी तो पूर्व प्रधान और सचिव से सांठगांठ करके अकबरपुर ग्राम पंचायत से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र गांव पर ही महंत की मृत्यु दिखाकर जारी करा लिया गया। लेकिन जब ग्राम पंचायत में निवासरत लोगों को इसकी भनक लगी तो ग्रामीणों को सचिव और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से जारी हो रहे फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर अब जीवित व्यक्ति होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का भय सताने लगा है । कि आखिर कहीं ग्राम पंचायत अधिकारी प्रधान से सांठगांठ करके जीवित व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र न जारी कर दे और चल अचल संपत्ति परिवार वालों से मिलकर हड़प ले । करबी विकासखंड के अकबरपुर ग्राम पंचायत में जहां इन दिनों फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के साथ चल अचल संपत्ति हड़पने की खबर सुर्खियां बनी हुई है। बताया जा रहा है कि अकबरपुर ग्राम पंचायत निवासी रामसनेही उर्फ रामगोपाल पुत्र राम आधार जो कई वर्ष पहले अपने घर को छोड़कर बैराग धारण करते हुए मध्यप्रदेश के दतिया जिला के तहसील भांडेर के गांव चंद्रोल के एक मंदिर में पूजा पाठ कर महंत बन गए। और चंद्रोल में ही निवास करने लगे जहां उनको लोग रामस्वरूप दास जी महाराज के नाम से जानते थे। लेकिन दिनांक 7 अक्टूबर 2020 को महंत रामस्वरूप दास जी की तबीयत खराब हुई। जहां ग्रामीणों की मदद से महंत राम स्वरूप दास जी को उपचार के लिए ग्वालियर अस्पताल ले जाने की तैयारी की गई और बीमारी हालत में महंत रामस्वरूप दास जी को ग्वालियर ले जाया गया जहां उपचार करने से पहले ही महंत रामस्वरूप दास जी की 10 अक्टूबर 2020 को मौत हो गई। महंत राम स्वरूप दास जी के पार्थिक शरीर को चंद्रोल स्थित उस मंदिर में अंतिम संस्कार के लिए लाया गया जहां के रामस्वरूप दास जी महंत थे। और रामस्वरूप दास जी का चंद्रोल में ही साधु संतों के रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन जब इसकी जानकारी अकबरपुर निवासी महंत राम स्वरूप दास जी के परिवार के लोगों को लगी तो उनके द्वारा महंत राम स्वरूप दास जी की संपत्ति हड़पने के लिए ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव से सांठगांठ करके सुविधा शुल्क देते हुए अकबरपुर ग्राम पंचायत में मृत्यु दिखाकर फर्जी रूप से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करा लिया गया। जबकि रामस्वरूप दास जी का अकबरपुर ग्राम पंचायत में मृत्यु का वह अंतिम संस्कार का किसी तरह का कोई संबंध नहीं है।
अकबरपुर निवासी राम सनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार का चंद्रोल में महंत बनने पर बदला नाम रामस्वरूप दास महाराज के नाम से हुए मशहूर – जिस व्यक्ति को लोग अकबरपुर में रामसनेही उर्फ रामगोपाल के नाम से जानते थे वहीं जब संबंधित व्यक्ति ने बैराग जीवन धारण किया तो नाम बदलकर रामस्वरूप दास महाराज के नाम से मशहूर हो गए। लोग रामसनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार को रामस्वरूप दास महाराज के नाम से पुकारने लगे और चंद्रोल गांव में स्थित एक मंदिर में महंत बन गए जहां इनके द्वारा नित्य पूजा पाठ कर लोगों व क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामनाएं की जाने लगी। मृतक रामस्वरूप दास महाराज चंद्रोल गांव के लोगों के दिलों में राज करने लगे और लोग हर वक्त महाराज जी के दर्शन करने जाया करते थे समय बीतता गया और एक दिन 7 अक्टूबर 2020 को अचानक रामस्वरूप दास महाराज की तबीयत खराब हो गई जिन्हें ग्रामीणों की मदद से उपचार के लिए ग्वालियर अस्पताल ले जाया गया लेकिन उपचार के पहले महंत रामस्वरूप दास जी महाराज स्वर्ग लोक सिधार गए। महंत राम स्वरूप दास जी महाराज के पार्थिव शरीर को चंद्रोल गांव लाया गया और जहां महंत रामस्वरूप दास जी पूजा पाठ किया करते थे उसी स्थान में महंत रामस्वरूप दास जी महाराज का साधु रीति रिवाज में अंतिम संस्कार किया गया। जहां आज भी महंत रामस्वरूप दास जी महाराज की समाधि बनी हुई है।
परिजनों को लगा पता तो पूर्व ग्राम प्रधान व सचिव के साथ रची यह साजिश – जब अकबरपुर में निवासरत मृतक महंत रामस्वरूप दास जी के परिजनों को यह भनक लगी कि महंत रामस्वरूप दास जी जो चंद्रोल गांव में अकबरपुर से जाकर रहा करते थे उनका स्वर्गवास हो गया है। तो परिजन चंद्रोल गांव ना जाकर जहां बदला नाम महंत रामस्वरूप दास जी महाराज अकबरपुर निवासी रामसनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार का पूर्व प्रधान गैबीशरण से सांठगांठ करके सुविधा शुल्क देते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी को खुश किया गया और फिर महंत राम स्वरूप दास महाराज उर्फ रामसनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार को अकबरपुर गांव में मृतक दिखाकर अंतिम संस्कार का हवाला देते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी रामशरण राही के बताए हुए प्लान के अनुसार मृतक के डाक्यूमेंट्स जमा कर अकबरपुर ग्राम पंचायत से ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करा लिया गया। और फिर उस फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को चल अचल संपत्ति में लगाकर मृतक महंत राम स्नेही उर्फ रामगोपाल सन्यास धारण करने के बाद नया नाम रामस्वरूप दास महाराज की चल अचल संपत्ति को वारिस दर्ज कराने का सिलसिला शुरू हुआ और शासन प्रशासन के आंखों में धूल झोंक कर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर मृतक महंत की चल अचल संपत्ति परिजनों के द्वारा अपने सुपुर्द कर ली गई।
ग्रामीणों ने जनसुनवाई पोर्टल पर की शिकायत अधिकारी ने पोर्टल को बनाया मजाक- वही जब ग्रामीण अश्विनी श्रीवास्तव के द्वारा महंत रामस्वरूप दास उर्फ राम स्नेही उर्फ राम गोपाल पुत्र राम आधार का जो अकबरपुर ग्राम पंचायत से ग्राम पंचायत सचिव व पूर्व प्रधान के द्वारा पैसा लेकर सांठगांठ करके फर्जी मन मुताबिक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है उसकी शिकायत उत्तर प्रदेश जनसुनवाई पोर्टल में की गई लेकिन खंड विकास अधिकारी कर्वी की छत्रछाया में ग्राम पंचायत अधिकारी रामशरण राही के द्वारा अपने मन मुताबिक मनगढ़ंत रिपोर्ट लगाकर जनसुनवाई पोर्टल को भी मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा यह हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ने का कार्य किया गया कि ग्राम पंचायत में मृतक के परिजनों के द्वारा जो जरूरी दस्तावेज दिए गए हैं उसके आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है। जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते वक्त शासन के निर्देश है कि मृतक के वास्तविक स्थिति का ग्राम पंचायत अधिकारी को जांच करना अनिवार्य है और इसके बाद ही ग्राम पंचायत से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं। ऐसे मृत्यु प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा जारी करने के बाद स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा अपने समय काल में ग्राम पंचायत में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है और बिना जांच किए शासन के धन राशि का भी दुरुपयोग किया गया है। क्योंकि ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा जब बिना जांच किए किसी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है तो आखिर ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा शासन के दिशा निर्देश पर लाखों रुपए खर्च कर कराए गए निर्माण कार्य की जांच कहां की गई होगी यदि ग्राम पंचायत में हुए निर्माण कार्यों की जांच की जाए तो लाखों रुपए के भ्रष्टाचार का भी खुलासा सामने आ सकता है।
ग्रामीणों ने कहा आंख मूंदकर कार्य करने वाले सचिव के कार्यकाल में गांव में भी हुआ है जमकर भ्रष्टाचार- अकबरपुर ग्राम पंचायत में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के बाद अब ग्रामीणों की आवाज बुलंद होने लगी है ग्रामीण कह रहे हैं कि अकबरपुर ग्राम पंचायत में जब बिना जांच किए किसी को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है तो स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत अधिकारी के द्वारा पैसा की लालच में शासन द्वारा ग्राम पंचायत में विकास कार्य के लिए आए धन राशि का भी जमकर दुरुपयोग किया गया होगा। ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा वास्तविक बिना जांच किए ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों पर शासकीय धन राशि का बंदरबांट किया गया होगा ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों की जांच की भी अब ग्रामीण मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र पर नहीं होगी कार्यवाही तो जिलाधिकारी कार्यालय के सामने देंगे धरना – ग्रामीण अश्वनी कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जो ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा रामसनेही उर्फ राम गोपाल पुत्र रामाधार महंत रामस्वरूप दास जी का बिना जांच किए जारी किया गया है। फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर स्थानीय पत्रकार अश्विनी श्रीवास्तव के द्वारा लिखित शिकायत जिलाधिकारी से की गई जिसके बाद कार्यालय जिला पंचायत राज अधिकारी के यहां से एक जांच के लिए पत्र जारी हुआ जो 6 अप्रैल 2022 को जांच के आदेश दिए गए जिसमें विकास खंड अधिकारी से जांच कर आख्या मुख्य विकास अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने की बात कही गई लेकिन यह जांच आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया। महीनों बीतने के बाद भी विभाग अभी तक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले दोषियों के ऊपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर सका ना ही जमीनी स्तर पर जांच की गई जांच करे तो करे कौन क्योंकि नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले दोषियों को बचाने का जिम्मा उठा रखा है जिससे स्पष्ट होता है की जांच के लिए जो कुछ अधिकारियों के द्वारा पत्राचार किया जा रहा है वह सिर्फ एक दिखावा है जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीन दिवसीय सभी प्रकरणों पर तीन दिवसीय कार्रवाई के निर्देश दिए हो लेकिन यहां मुख्यमंत्री के निर्देशों को भी जिले के उच्च अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। और यही वजह है कि जांच के नाम पर पत्र बस विभाग जारी कर रहा है और कार्रवाई की जगह चुप्पी साधे बैठा हुआ है वहीं अब देखना यह है कि दोषियों पर कब कार्रवाई होगी या फिर जिले में इसी तरह के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होते रहेंगे।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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