उत्तर प्रदेश ( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर
इस वर्ष आषाढ़ पक्ष की कृष्ण अष्टमी के दिन यानी 21 जून 2022 मंगलवार के दिन अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा । इस बार का योग दिवस इसलिए भी खास है क्युकी आयुष मंत्रालय ने इसका थीम मानवता के लिए योग रखा है । विश्व कल्याण में योग की भूमिका और भारत में योग का प्रचार प्रसार पर बोलते हुए आयुष राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार डॉक्टर दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा की आज योग पूरे विश्व की एक मात्र विश्वसनीय चिकत्सा पद्धति बनी हुई है । योग ने जिस तरह करोना महामारी में लोगो को स्वस्थ्य बनाए रखने में भूमिका निभाई वह आज बेहद सराहनीय है । योग प्रतिदिन के दिनचर्या में होना चाहिए । वैसे तो योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है स्वयं का सार्वभौमिक तत्व से परिचय । योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। पुरातन वेदों और संहिताओं के अनुसार योग तपस्वियों का मुख्य उपचार हुआ करता था । इसके बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्शित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं।भगवद गीता में भी योग के तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं वे हैं – कर्मयोग जिसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है। भक्ति योग – जिसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है। ज्ञाना योग – जिसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है। हिन्दू धर्म में साधु, सन्यासियों व योगियों द्वारा योग सभ्यता को शुरु से ही अपनाया गया था, परंतु आम लोगों में इस विधा का विस्तार हुए अभी ज्यादा समय नहीं बीता है। बावजुद इसके, योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।
आयुष मंत्रालय ने बताया कि 21 जून 2022 को भारत और दुनिया भर में आयोजित होने वाले 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 प्रदर्शन का मुख्य कार्यक्रम मैसूर, कर्नाटक में आयोजित किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम इस बार बहुत अलग है । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 थीम कोविड-19 महामारी के दौरान योग के लाभों पर केंद्रित है। इस वर्ष इंटरनेशनल योग डे का 8वां संस्करण ‘मानवता के लिए योग’ (योग फॉर ह्यूमैनिटी ) विषय के साथ मनाया जाएगा। पिछ्ले वर्ष 2021 की थीम थी “घर पर योग तथा परिवार के साथ योग” (योगा एट होम एंड योगा विद फैमिली) । योग लोगों को ऊर्जावान रहने एवं कोविड-19 महामारी जैसे कठिन समय के दौरान एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली रखने में सहायता कर रहा है। इसीलिए इस बार की थीम ‘मानवता के लिए योग’ रखी गई है।पतंजलि के अनुसार योग के 8 सूत्र बताए गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं – यम – इसके अंतर्गत सत्य बोलना, अहिंसा, लोभ न करना, विषयासक्ति न होना और स्वार्थी न होना शामिल है। नियम – इसके अंतर्गत पवित्रता, संतुष्टि, तपस्या, अध्ययन, और ईश्वर को आत्मसमर्पण शामिल हैं। आसन – इसमें बैठने का आसन महत्वपूर्ण है । प्राणायाम – सांस को लेना, छोड़ना और स्थगित रखना इसमें अहम है। प्रत्याहार – बाहरी वस्तुओं से, भावना अंगों से प्रत्याहार। धारणा – इसमें एकाग्रता अर्था एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है। ध्यान – ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन इसमें शामिल है। समाधि – इसमें ध्यान की वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना शामिल है। इसके पहले अगर योग दिवस के इतिहास पर नजर डाले तो , 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी थी और 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया भी गया। प्रथम बार विश्व योग दिवस के अवसर पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल थे। तब इस अवसर पर दिल्ली में एक साथ 35985 लोगों ने योग का प्रदर्शन किया, जिसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे । दुनिया भर के लोगों ने स्वस्थ और तरोताजा रहने और महामारी के दौरान सामाजिक अलगाव और अवसाद से लड़ने के लिए योग को अपनाया। योग मनो-सामाजिक देखभाल और संगरोध और अलगाव में कोविड -19 रोगियों के पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह उनके डर और चिंता को दूर करने में विशेष रूप से सहायक है। मुस्कराएगा इंडिया कार्यक्रम के जिला जौनपुर के काउंसलर कॉर्डिनेटर डॉक्टर एस एन तिवारी के अनुसार ,जब मानवीय पीड़ा के अलावा, कोरोना महामारी ने दुनिया भर के देशों के आर्थिक और विकासात्मक मॉडल की कई प्रमुख कमजोरियों को उजागर किया तब योग ने पूरे विश्व को थाम लिया । उन्होंने कहा कि योग ,भविष्य की समृद्धि की मांग है ,योग अपनाकर एक तरह से पुनर्निर्माण करें क्योंकि कोविड महामारी से उबरने हेतु यह एकमात्र सर्वसुलभ चिकित्सा प्रणाली रही । योग का सार संतुलन है – न केवल शरीर के भीतर या मन और शरीर के बीच संतुलन, बल्कि दुनिया के साथ मानवीय संबंधों में भी संतुलन। योग11 दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 69/131 द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य योग का अभ्यास करने के कई लाभों के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना का मसौदा प्रस्ताव भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था और रिकॉर्ड 175 सदस्य राज्यों द्वारा इसका समर्थन किया गया था। यह प्रस्ताव सबसे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने महासभा के 69वें सत्र के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में पेश किया था, जिसमें उन्होंने कहा था: “योग हमारी प्राचीन परंपरा से एक अमूल्य उपहार है। योग मन और शरीर, विचार और क्रिया की एकता का प्रतीक है … एक समग्र दृष्टिकोण [जो] हमारे स्वास्थ्य और हमारी भलाई के लिए मूल्यवान है। योग केवल व्यायाम के बारे में नहीं है; यह अपने आप में, दुनिया और प्रकृति के साथ एकता की भावना को खोजने का एक तरीका है।।बेंगलुरु स्थित अक्षर योग अनुसंधान एवं विकास केंद्र के संस्थापक, हिमालय सिद्ध, अक्षर कहते हैं कि खुशी का अवलोकन इस बात से होना चाहिए कि हमने कितनी सुन्दरता से जीवन जिया है न की कितने साल गुजारे । समय सबसे महत्वपूर्ण है , यह अवसरों से भरा है । जीवन में हम जो कुछ भी चाहते हैं, वह संतोष और स्थायी शांति की भावना है । हममें से कुछ इसे अनजाने में करते हैं, जबकि कुछ सक्रिय रूप से इसका अनुसरण कर रहे हैं । भाजपा के मंडल संयोजक और पत्रकार पंकज कुमार मिश्रा ने भी कुटीर पीजी कॉलेज संस्थान में योग कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि जीवन का अंतिम उद्देश्य स्वयं के लिए आंतरिक शांति खोजना है तो योग करना पड़ेगा ,इनका नियमित रूप से आप अभ्यास करके देखें, मेंटली हेल्दी और फिट बने रहेंगे । श्री मिश्र ने बताया कि योग करते समय आरामदायक आसन में बैठें (जैसे सुखासन, अर्ध पद्मासन या पद्मासन).-प्रणाम मुद्रा बनाने के लिए हथेलियों को छाती के सामने जोड़ लें.-पीठ को सीधा करें और आंखें बंद करें.-सकारात्मक पुष्टि को जोर से या चुपचाप फ्रेम करें और दोहराएं । स्वास ध्यान करें ,आरामदायक आसन में बैठें (जैसे सुखासन, अर्ध पद्मासन या पद्मासन).-हथेलियों को घुटनों पर ऊपर की ओर रखें (प्राप्ति मुद्रा).-पीठ को सीधा करें और आंखें बंद कर लें.-श्वास लेने और छोड़ने का समय 6:6 के अनुपात में होना चाहिए अर्थात यदि हम छह बार सांस लेते हैं, तो छह बार सांस छोड़ना होगा -श्वास लेते और छोड़ते समय, श्वास पर ध्यान दें और फिर अपनी नासिका छिद्र को छोड़ दें.-दिशा: पूर्व हो ।योग स्थिति में ध्यान -इस तकनीक के लिए एक ऐसी जगह का पता लगाएं, जहां आप अक्सर नहीं जाते हैं । आप इसके लिए प्राकृतिक वातावरण में जा सकते हैं.-स्थिति ध्यान करने के लिए सुखासन जैसे किसी भी आरामदायक आसन में बैठें.-5-5 सेकेंड के लिए आगे, पीछे, दाईं और बाईं तरफ देखें -अब अपनी आंखें बंद करें और जितना संभव हो सके उतने विवरण याद करें । आंतरिक शांति सबसे ज़रूरी और महंगा खजाना है । योग, ध्यान, माइंडफुलनेस और इसी तरह के अन्य अभ्यास इसे प्राप्त करने के विभिन्न तरीके हैं. अगर आप पहली बार योग करने जा रहे हैं तो किसी योग गुरू से थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त कर लें। इससे आपको किसी तरह की समस्या नहीं होगी। अगर आप किसी शारीरिक व्याधियों से ग्रसित हैं तो आप निश्चित रूप से किसी विशेषज्ञ की सलाह के बगैर योग न करें। योग हमेशा एक निश्चित समय पर करना चाहिए। आप सुबह जल्दी उठकर, दोपहर में भोजन खाने से पहले या फिर शाम में योग कर सकते हैं। आमतौर पर सुबह के समय योग करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, क्योंकि उस समय आप और आपके आसपास का वातावरण शांत होता है और सुबह के समय आपकी ऊर्जा-शक्ति भी ज्यादा होती है।आप अपने घर का कोई भी साफ़ और शांत स्थान चुन लें, जहां आप पर्याप्त जगह हो और आप वहां अपनी योग-चटाई बिछा कर योग कर सके। याद रहे कि वह स्थान हवादार हो और स्वच्छ हो। ध्यान रखें कि कभी भी योग फर्श या ज़मीन पर न करें। अगर आप योग सुबह करते हैं तो चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखे और शाम को योग करते समय पश्चिम या दक्षिण दिशा की तरफ चेहरा करके योग करें।कभी भी योग-आसन खाने के बाद तुरंत बाद न करें। ऐसा करना बहुत ही नुकसान-दायक साबित हो सकता है। योग सुबह खाली पेट करें। अगर सुबह आपके पास समय नहीं होता है योग करने का, तो दिन में आप खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद योग कर सकते हैं। वज्रासन ही एक ऐसा आसन है, जिसे खाना खाने के तुरंत बाद करना चाहिए, क्योंकि यह आसन आपके पाचन तंत्र को व्यवस्थित रखने में मदद करता है। योग करने के दौरान मुख से श्वास लेना हानिकारक हो सकता है।यह ध्यान रखे की कभी भी योग करते समय तंग कपड़े ना पहने, क्योंकि ऐसे कपड़े पहनने से आप योग-आसन अच्छे से और देर तक नहीं कर पाएंगे ।
____ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर।
You must be logged in to post a comment.