हरियाली के चलते बढ़ी धर्मनगरी के जगंलों की आकर्षण क्षमता

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: एक माह से लगातार हो रही बारिश से चित्रकूट का हरा-भरा जंगल इस कदर सुहाना हो गया है कि मानो कश्मीर और शिमला अपना स्थान छोड़कर चित्रकूट आ गए हो। यहाँ हरियाली से भरपूर खूबसूरत पहाड़िया लोगों को सेल्फी लेने के लिए विवश कर रही है, इन दिनों पर्यटक अपने परिवार के साथ चित्रकूट के विभिन्न पर्यटन स्थलों कामदगिरि पर्वत, देवांगना घाटी, रानीपुर वन्य जीव विहार, शबरी जलप्रपात, राघव प्रपात, हनुमानधारा, धारकुंडी आश्रम, ऋषियन आश्रम, परानु बाबा आश्रम, बाल्मीकि आश्रम, तुलसीदास आश्रम सहित समूचे चित्रकूट के जंगलों में विचरण कर रहे है और मनोरम दृश्यों को अपने कैमरे और मोबाइल में कैद कर रहे है। वही चित्रकूट वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी आरके दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि चित्रकूट के हरे भरे जंगलों के पीछे बृहद रूप में वृक्षारोपण अभियान को गति दी गई है। जिससे कि आज पूरा जिला हरा भरा दिख रहा है। उन्होंने बताया कि चित्रकूट का वन क्षेत्र पूरे प्रदेश मे सर्वाधिक है। इस बार जिले में 6948110 लाख पौधे लगाकर एक नया कीर्तिमान बनाया गया है। उन्होंने बताया कि जिले के सभी विभागों ने वृक्षारोपण अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपने-अपने लक्ष्य को 15 अगस्त तक पूर्ण कर लिया। प्रभागीय वनाधिकारी आरके दीक्षित ने बताया कि शासन द्वारा 69.04 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया था, लेकिन 69.48 लाख पौधे लगाया मतलब 43514 पौधे अतिरिक्त लगाए गए। प्रभागीय वन अधिकारी ने बताया कि जब से शासन द्वारा चित्रकूट के रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया गया है तब से चित्रकूट में देश विदेश से पर्यटकों का आना जाना शुरू हो गया है। पर्यटक यहां हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित विभिन्न पौराणिक स्थलों का भ्रमण करते हैं और अपने मोबाइल में सेल्फी लेते है, और चित्रकूट की अनुपम छटा को अपने दिलों में बसा कर अपने साथ ले जाते हैं और बताया कि चित्रकूट एक ऐसा जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। पर्यटक यहां जंगल में नाचते हुए मोर का दृश्य, घूमते हुए बाघ, भालू, हिरण, बारहसिंघा एवं सैकड़ों प्रजातियों के पशु-पक्षियों की मस्तियों को एकटक निहारते रहते हैं तो कोई तीर्थयात्री मंदाकिनी नदी में स्नान कर एवं यहां के मंदिरों के दर्शन कर श्रद्धा भाव से अभिभूत होता है। प्रभागीय वनाधिकारी आरके दीक्षित ने बताया कि चित्रकूट उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। यहां मां मंदाकिनी ने पूरे क्षेत्र को अपनी अविरल धारा से सिंचित कर रखा है और प्रकृति ने अपनी मनोरम लटाओं से ढक लिया है यही वजह है कि यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक, नैसर्गिक सौंदर्य व रोमांच का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट