चित्रकूट: जिला उपभोक्ता आयोग के पूर्व सदस्य केशव प्रसाद यादव ने हिंदी को राष्ट्रीय एकता-अखंडता, बोधगम्यता और जनमानस की बोली के साथ अस्मिता बताया है। उन्होंने कहा कि हमने लंबी दासता के बाद आजादी पाई है और पराई भाषा से राष्ट्रीयता की भावना नहीं भरी जा सकती। उन्होंने कहा कि हिंदी आरंभिक काल से ही मिलीजुली संस्कृति की परिचायक रही है। इसका स्वरूप भावनात्मक एकता को बढ़ावा देने वाला है। देश की स्वतंत्रता में इसी भाषा ने देश के सपूतों में जोश भरा था। आज आवश्यकता हिंदी भाषा को पूरी दुनिया में जनजन तक पहुंचाने और इसकी ग्राह्यता बढ़ाने की है।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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