विवेचना में लापरवाही पर दो सीओ के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: अनुसूचित जाति की नाबालिक लड़की के साथ दुराचार के मामले में सही तरीके से विवेचना न होेने पर विशेष न्यायाधीश ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने इस मामले में फिर से विवेचना करने के साथ दो पुलिस क्षेत्राधिकारियों के खिलाफ भी अभियोग पंजीकृत करने के आदेश दिए हैं।

चित्रकूट के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम न्यायालय के विशेष न्यायाधीश दीप नारायण तिवारी ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति की नाबालिक बालिका के साथ दुराचार के मामले में पुलिस द्वारा की गयी विवेचना की गई थी। पत्रावली में दाखिल तथ्यों के अवलोकन से विवेचना में घोर अनियमितता और विवेचना करने वाले अधिकारी का पक्षपातपूर्ण एवं निन्दनीय आचरण दर्षीत हो रहा है। धारा 156(3) के तहत न्यायालय द्वारा इस मामले में बीती 4 दिसम्बर 2017 को रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश होने के 26 दिन बाद कर्वी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। घटना के बाद विवेचक ने महिला सिपाही के जरिए पीडिता का बयान दर्ज कराया था। जिसमें पीड़िता ने स्पष्ट कहा था कि रामलीला देखकर लौटने के बाद अहिरनपुरवा कर्वी निवासी सुधीर कुमार पुत्र छोटेलाल और शंकर पुत्र दुजवा ने उसका मुंह दबाकर जबरन बाइक से ले गए। इसके बाद तमंचा दिखाकर सुधीर ने उसके साथ गलत काम किया और 15-20 मिनट बाद उसे गल्ला मंडी में छोड़ने के बाद दोनों भाग गए थे। पीड़िता द्वारा यह बयान दिए जाने के बाद भी विवेचक द्वारा पीड़िता का धारा 164 का कथन अंकित नहीं कराया गया। पुलिस ने पीड़िता के भाग जाने का हवाला देते हुए लगभग डेढ-दो साल बाद पीड़िता की मां के बयान के आधार पर न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इन तथ्यों का अवलोकन करने के बाद विशेष न्यायाधीश दीप नारायण तिवारी ने इस मामले में पुलिस द्वारा दाखिल की गई अंतिम आख्या को समाप्त कर पुनः विवेचना के आदेश कर्वी कोतवाली को दिए हैं। साथ ही इस मामले में विवेचना करने वाले कर्वी के दो तत्कालीन क्षेत्राधिकारियों सदर विजेन्द्र द्विवेदी एवं रजनीष कुमार यादव के विरूद्ध भा.द.स. की धारा 166ए(ख) एवं धारा 4 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किए जाने के आदेश दिए हैं। साथ ही इस मामले में अग्रिम कार्यवाही किए जाने के लिए आदेश की एक प्रति पुलिस अधीक्षक को भी प्रेषित करने को कहा है।

 

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट