47वें राष्ट्रीय रामायण मेले की उद्घाटन सभा व संतों के प्रवचन

उत्तर प्रदेश(दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट-भगवान राम की कर्मभूमि एवं ऋषि-मुनियों की तपोस्थली चित्रकूट में पांच दिवसीय 47वें राष्ट्रीय रामायण मेले प्रान्तीयकृत का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति विपिन चन्द्र दीक्षित के साथ महामण्डेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि पंचदशनाम जूना अखाड़ा रुड़की हरिद्वार ने किया। श्री गिरि महाराज ने कहा कि विन्ध्याचल पर्वत की महिमा अपरंपार है। इन्होंने सूर्य को रोक लिया था तभी देवताओं ने भगवान को जानकारी देने पर उनके गुरु अगस्त्य को उनके पास भेजा गया तो विन्ध्याचल ने दंडवत प्रणाम किया तभी सूर्य आगे बढ़ गया। विन्ध्याचल की गुरुभक्ति से भगवान ने वरदान मांगने को कहा न मांगने पर भगवान ने कहा कि चित्रकूट आगमन पर तुम्हारे ही पर्वत पर रहूंगा और तुम्हें ऐसी प्रदान करुंगा जिससे तुम सभी लोगों की कामनाओं को पूर्ण कर सकोगे। उन्होंने कहा कि इसी विन्ध्याचल श्रेणी में कामदगिरि का पर्वत भी है। चित्रकूट आगमन के समय भगवान श्रीराम ने वाल्मीकि ऋषि से पूछा कहां रहूं तो उन्होंने कहा कि चित्रकूट गिरि करहूं निवासू। तह तुम्हार सब भांत सुपासु।। इसी कामदगिरि पर्वत पर भगवान श्रीराम 11 वर्ष 6 माह 6 दिन रहे। सभी की मनोकामना पूर्ण करने की शक्ति भगवान ने कामदनाथ पर्वत को दी। महामंडलेश्वर स्वामी यतीद्रानंद गिरि ने चित्रकूट परिक्षेत्र में हनुमान धारा सिद्ध पीठ के बारे में बताया कि हनुमान जी को लंका दहन करने के पश्चात अयोध्या जाने पर उनके पूंछ की गर्मी शांत नहीं हो रही थी तभी सीता जी ने उन्हें बताया कि मेरी रसोई का जल जिस पर्वत पर गिरता है वहां विराजमान हो उसी जल से तुम्हारी पूंछ की जलन शांत होगी। इसी के चलते हनुमान धारा पर्वत पर विराजमान हनुमान जी पर सीता रसोई से निकली जलधारा गिरती है जिससे वे वहां विराजमान हैं। बताया कि चित्रकूट के विविध पर्वतों व गुफाओं में जो व्यक्ति निवास करेगा उसे भगवान के दर्शन या उनसे साक्षात्कार अवश्य होगा। उन्होंने कहा कि रामकथा में विश्राम तो है लेकिन पूर्ण विराम नहीं। रामायण प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि तुलसीकृत रामायण पुराणों का शास्त्र है वह मानव जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने श्रीनार सूरीनाम के लोगों की दिनचर्या बताते हुए कहा कि वहां के लोग प्रातः जगकर रामायण की अमूल्य चौपाईयों को स्मरण कर ही दूसरा कार्य प्रारम्भ करते हैं। कहा कि प्रभु श्रीराम का अयोध्या में शीघ्र मंदिर बनेगा। वहीं हिंदू समाज के लोगों को दब्बू बताया। सारी समस्याओं का समाधान उसी दिन हो जायेगा जिस दिन हिंदू हाथ उठाना सीख जायेगा। इसके पूर्व मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित के मंच पर आते ही जगद्गुरु शंकराचार्य वेद पाठशाला चित्रकूट के छात्रों ने वेदोच्चारण के साथ उनका स्वागत किया। रामायण मेला के 47वें समारोह के उद्घाटन के पूर्व चित्रकूट के मठ मंदिरों के सैकड़ों संत महंत रामघाट से शोभायात्रा निकाल अपने-अपने निशानों, हाथी, घोड़ा, बैण्ड बाजों के साथ मेला प्रांगण पहुंचे। मेले के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश करवरिया ने संतों महंतों के निशानों सहित माल्यार्पण कर स्वागत किया। राष्ट्रीय रामायण मेले के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश कुमार करवरिया व मंत्री करुणा शंकर द्विवेदी, पूर्व सांसद भैरां प्रसाद मिश्र ने मंचासीन अतिथियों व मुख्य अतिथि व साधु सन्तों, विद्वानों को माल्यार्पण कर शॉल व मानस भेंट किया। वहीं शिवरात्रि का दिन होने के कारण ग्रामोदय विवि के पूर्व संगीताचार्य लल्लूराम शुक्ल ने शिव तांडव स्तोत्र व भगवान श्रीराम के जन्म की स्तुति मंगलाचरण के रुप में प्रस्तुत की। पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र द्वारा स्वागत भाषण पढ़ा गया। तत्पश्चात् महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी ने रामायण मेले के भाव, भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महामण्डेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि पंचदशनाम जूना अखाड़ा रुड़की हरिद्वार ने की। विशिष्ट अतिथि के रुप में राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने अपने संबोधन में बताया कि भगवान राम ने इसी चित्रकूट में रहकर दीन-हीनों को अपने गले लगाया। प्रभु श्रीराम अपने त्याग और बलिदान के कारण सबके हृदय में विराजमान हैं। उन्होंनें कहा कि इस क्षेत्र का सौभाग्य है कि तुलसीदास और वाल्मीकि ने यहां जन्म लिया। श्री उपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री चित्रकूट के विकास के लिये संकल्पित हैं। इस अवसर पर चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े के महंत ओंकार दास, महंत रामजी दास संतोषी अखाड़ा, दिव्यजीवन दास, पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र, अभय महाजन संगठन सचिव दीनदयाल शोध संस्थान, उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग राज्यमंत्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय, प्रद्युम्न दुबे, लालू भैया, प्रिंस करवरिया, जिलाधिकारी शेषमणि पाण्डेय के अलावा पूर्व से पश्चिम व उत्तर से दक्षिण के मूर्धन्य विद्वान भी मंचासीन रहे। संचालन डा0 चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ‘ललित’ ने किया। संत सभा की प्रथम बैठक में कामदनाथ मुख्य द्वार के ख्यातिलब्ध संत मदनगोपाल दास ने कहा कि रामायण मेला के पूर्व त्रेता युग में भी ऋषि-मुनियों की बैठकें इसी चित्रकूट में होती चली आ रही हैं। रामकथा प्रवचन कर श्रोताओं को उन्होंने मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात मुजफ्फरनगर से पधारे प्रसिद्ध भजन गायक पं0 रामदेव शर्मा ने अपनी भजन प्रस्तुति दी। बलिया से पधारी साध्वी पूनम दास ने भी रामकथा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। सांस्कृतिक संध्या के दौरान रामाधीन आर्य मऊरानीपुर झांसी ने भजन प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। वहीं लल्लूराम शुक्ल ने शिव तांडव स्तुति व शिव भजन सुनाये। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार व क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के कलाकारों ने लोकसंगीत एवं कई तरह के लोकनृत्य प्रस्तुत किये। इसके बाद उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के कलाकारों ने लोकनृत्य प्रस्तुत कर लोगों के मन मोहे। वहीं श्रीमती गीता शर्मा ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया। लखनऊ की उन्नति श्री ने शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियां बटोरीं। इसी क्रम में ही सुश्री पर्णिका श्रीवास्तव लखनऊ ने भी शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया। वृंदावन की ख्यातिलब्ध वृंदावन रासलीला संस्थान ने भगवान श्रीकृष्ण के काव्य के आधार पर रासलीला का आयोजन किया।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव चित्रकूट