एएस क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट की बारिकियां सीखते नन्हे  विराट कोहली और धोनी 

दैनिक कर्म भूमि।कानपुर।भारत में क्रिकेट को जुनून की हद तक पसंद किया जाता है.भारतीय फैंस के लिए यह खेल किसी धर्म और खिलाड़ी भगवान से कम नहीं हैं. हर माता-पिता अपने बच्चे को क्रिकेटर बनाने की चाह रखते हैं. लेकिन देश में क्रिकेट में करियर बनाना कोई ‘खेल’ नहीं है. इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ अच्छी किस्मत होना भी बेहद जरूरी है.एएस क्रिकेट एकेडमी क्रिकेट एकेडमी एनआईएस कोच प्रमोद पाटिल ने कहा कि क्रिकेटर बनने के लिए सबसे पहले आपको क्रिकेट एकेडमी या सेंटर की तलाश होती है, जहां इस खेल की एबीसीडी सीखी जा सकती है. शहर में ऐसी कई क्रिकेट एकेडमी हैं,जहां क्रिकेट के गुर सीखे जा सकते हैं और उसमें एक है श्री कस्तूरबा विद्यालय कोहना थाना स्थित एएस क्रिकेट एकेडमी

जिसमे युवाओं के साथ-साथ शहर के छोटे-छोटे बच्चों में भी क्रिकेट का अद्भुत जुनून देखने को मिल रहा है.जो कि क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट की बारीकियों को सीखने के लिए प्रतिदिन अभ्यास कर रहे हैं.यहां पहुंच रहे बच्चों में कोई 5 साल की उम्र का है तो किसी की उम्र 6 या 7 साल की भी है.एनआईएस कोच प्रमोद पाटिल कहा कि क्रिकेट एकेडमी में छोटे-छोटे बच्चे क्रिकेट की बारीकियों की सीखने के लिए पहुंच रहे हैं और खास बात यह है कि 5 साल की उम्र से बच्चे यहां पर क्रिकेट की बारीकियां सीखने के लिए आते हैं. उन्होंने की जो बच्चे सीखने के लिए आते हैं.उनकी अलग-अलग टीम बना देते हैं और उनसे मैच भी करवाते हैं।

 

*कोई धोनी तो कोई सचिन बनना चाहता है*

 

एएस क्रिकेट एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे 5 साल के

निष्कर्ष ने कहा कि उन्हें धोनी की तरह बनना है. क्योंकि वह जब भी मैच में धोनी को देखते हैं. तो काफी अच्छा लगता है. वह एमएस धोनी की फैन हैं.इसी तरीके से प्रिंस ने कहा कि, वह सूर्यकुमार की तरह बनना चाहते हैं. इतना ही नहीं छोटे-छोटे बच्चों में विराट कोहली,कुलदीप यादव,आर अश्विन,युवराज, सचिन तेंदुलकर सहवाग जैसे दिग्गज खिलाड़ी बनने के सपना है।

 

*प्रतिदिन करते हैं अभ्यास*

कोच प्रमोद पाटिल ने बताया कि

छोटे-छोटे बच्चों की एक अलग सी टीम भी बनाई गई है. जिन टीमों का प्रतिदिन सुबह 6.30 से 8.30 तक शाम 4:00 बजे से लेकर 6:00 बजे के अभ्यास कराए जाते हैं. जो बच्चे बॉलिंग करना चाहते हैं. उन्हे बॉलिंग करने का अवसर मिलता है.वहीं दूसरी ओर जिन्हें बैटिंग करनी है वह बैटिंग करते हैं.कुछ बच्चों में तो ऑलराउंडर बनने का सपना है।

 

संवाददाता।आकाश चौधरी