दीक्षा लेने वाले शिष्य को मानना चाहिए गुरू का आदेश – जगद्गुरू 

 

राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) उत्तर प्रदेश चित्रकूट। जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय व उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी में जिले के प्रभारी मंत्री नरेन्द्र कश्यम ने कहा कि जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य के आदेश पर ही इस विश्व विद्यालय को राज्य सरकार ने अधिगृहित किया है। वह टीवी चैनलों पर जगद्गुरू महाराज की कथाएं सुनते थे। जगद्गुरू ने समाज के लाखों दिव्यांग छात्रों का जीवन बदला है। यहां शिक्षा प्राप्त करने वाले दिव्यांग छात्र जगद्गुरू को भगवान की तरह मानते हैं। जल्द ही राज्य सरकार यहां के छात्रों को आधुनिक शिक्षा, नए पाठ्यक्रमों के संचालन की व्यवस्था करेगी। तुलसीपीठ के युवराज आचार्य रामचन्द्र दास ने कहा कि जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने पूरी दुनिया में अपनी विद्वता का परचम लहराया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि वह इस विश्व विद्यालय को राज्य विश्व विद्यालय घोषित करने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शुभकामनाएं देते हैं। उन्होंने कहा कि गुरू शब्द में भारतीय वांगमय नाम है। जिसमें गुरू, सद्गुरू और जगद्गुरू तीन नाम रखे गए हैं। गुरू सामान्य होता है, सद्गुरू उंची कक्षा होता है। श्रीराम चरित मानस में तीन बार सद्गुरू शब्द का उपयोग हुआ है। जीव हमेशा गुरू के दर्शन पाकर धन्य हो जाता है। भारतीय परम्परा में गुरू पूर्णिमा पर भक्त अपने गुरू से दीक्षित होकर जीवन पर्यन्त अपने गुरू के आदेश का निर्वहन करते हैं।

पूर्व मंत्री डा सुरजीत सिंह ने कहा कि जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य महाराज से सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया। इसके पूर्व सरस्वती वंदना डा ज्योति वैष्णव ने प्रस्तुत किया। संचालन डा गोपाल मिश्र और पीआरओ एसपी मिश्र ने किया।

इस मौके पर सांसद आरके सिंह पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव, भाजपा जिलाध्यक्ष चन्द्रप्रकाश खरे, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष पंकज अग्रवाल, नगर पालिका अध्यक्ष नरेन्द्र गुप्ता आदि मौजूद रहे।