उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्म भूमि) कानपुर पुराने समय में लोग भारी पत्थरों को उठाकर करतब दिखाया करते थे.यही करतब वक्त के साथ बदलते हुए आज वेटलिफ्टिंग का खेल बन चुका है.1904 से ओलिंपिक का हिस्सा रहा यह खेल आज कई मायनों में बदल चुका है।कानपुर पावर लिफ्टिंग संघ सचिव,गौरव मेमोरियल इंटरनेशनल स्कूल फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स एचओडी सौरव गौर ने बताया कि वेटलिफ्टिंग ताकत का यह खेल देखने में काफी आसान लगता है लेकिन इसमें कई नियम हैं जिनका पालन करते हुए ही खिलाड़ी जीत हासिल कर सकता है.वेटलिफ्टिंग सिंगल्स फॉर्मेट का खेल है जिसमें कोई टीम इवेंट नहीं होता.यह एक ताकत का खेल है जिसमें खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा वजन उठाने की कोशिश करनी होती है.जो भी सबसे ज्यादा वजन उठाता है वही खिलाड़ी विजेता माना जाता है.
वेट लिफ्टिंग क्या है
सचिव सौरव गौर ने कहा कि वेटलिफ्टिंग शब्द सुनते ही सबसे पहले कल्पना हम सभी ओलम्पिक खेलों में वेट लिफ्टिंग करते हुए खिलाड़ियों की कर लेते हैं। वेट लिफ्टिंग जिसे हिंदी में भारोत्तोलन कहते हैं।दरअसल यह एक प्रकार का गेम और व्यायाम दोनों है। लेकिन इसे व्यायाम या खेल के रूप में अपने जीवन में लाना अत्यधिक कठिन माना जाता है।
स्नैच वेटलिफ्टिंग
स्नैच वेटलिफ्टिंग के दौरान खिलाड़ी को वेट बार को एक ही झटके में उठाना होता है. सचिव सौरव गौर ने बताया कि खिलाड़ी के इस दौरान भार उनके सामने रखा हुआ होता है.भार को उठाते समय दोनों हाथ नीचे की ओर होते हैं.भार को उठाते समय उन्हें ध्यान रखना होता है कि शरीर का कोई और अंग जमीन को न छुए.ऐसा होने पर लिफ्ट को सही नहीं माना जाता है. हर खिलाड़ी को तीन मौके दिए जाते हैं जिसमें से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को फाइनल स्कोर में शामिल किया जाता है।
क्लीन एंड जर्क वेटलिफ्टिंग
सौरव गौर ने बताया कि क्लीन एंड जर्क वेटलिफ्टिंग का दूसरा चरण है.खेल के इस पड़ाव में खिलाड़ी पर एक ही झटके में भार को ऊपर तक ले जाने का दबाव नहीं होता.खिलाड़ी पहली कोशिश में भार को कंधे तक ले जाता है. इस दौरान वह घुटने को मोड़ सकता वहीं बार को कंधे पर भी रख सकता है.इसके बाद दूसरे प्रयास में उसे बार को ऊपर तक ले जाता होता है. बिना हाथ और पैर मोड़े खिलाड़ी को तब तक वजन को लेकर खड़े रहना होता है जबतक रेफरी लिफ्ट को सही करार न दे.इसमें भी हर खिलाड़ी को तीन मौके दिए जाते हैं जिसमें से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को आखिर में जोड़ा जाता है.खिलाड़ी किस प्रयास में कितना वजन उठाएगा यह वह खुद तय करता है.
खाली पेट नहीं करें एक्सरसाइज
हमेशा वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज फिटनेस एक्सपर्ट की परामर्श से करें और उनकी निगरानी में करें। इसके साथ ही इसे कभी भी खाली पेट या कुछ खाते ही न शुरू करें। सचिव सौरव गौर ने कहा कि लाइट वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज शुरू करने से लगभग 10 मिनट पहले आप हल्का स्नैक्स ले सकते हैं। अगर आपको स्ट्रॉन्ग वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करनी है, तो आप 30 मिनट पहले कुछ खा सकते हैं। इसी क्रम में एक और सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। जिम या घर में लोग जानकारी के आभाव में तुरंत कहीं से चलकर आते ही वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज शुरू कर देते हैं,जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। चाहें आप घर में इस एक्सरसाइज कर रहे हों या जिम में। पहले कुछ देर वॉर्मअप करना चाहिए। शुरू में वॉर्म-अप कर लेने से बॉडी में तेजी से ब्लड सर्क्यूलेट होता है। साथ ही बॉडी में ऑक्सिजन का भी संचार होता है।
स्ट्रॉन्ग या लाइट वेट लिफ्टिंग करने से पहले फॉर्म का ध्यान रखें
स्ट्रॉन्ग या लाइट लिफ्टिंग करने से पहले बॉडी के फॉर्म (पुजिशन) का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।सचिव सौरव गौर ने बताया कि वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करते वक्त बॉडी की पुजिशन अगर सही नहीं रहेगी,तब एक्सरसाइज करने का कोई फायदा नहीं होगा। ठीक इसी तरह स्पीड का भी ध्यान रखना चाहिए। जिस स्पीड से वेट लिफ्टिंग की जाती है, उसका मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि अगर आपको फिटनेस के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। ऐसे में बिना फिटनेस एक्सपर्ट की निगरानी के वेट लिफ्टिंग नहीं करनी चाहिए। जब आप पॉजिटिव मूवमेंट करें,तब आपको एक सेकेंड में रिपिटेशन करना चाहिए।जबकि नेगेटिव मूवमेंट में आपको सावधानीपूर्वक तीन सेकेंड तक वक्त ले लेना चाहिए।वेट लिफ्टिंग करते वक्त सारा लोड कंधों पर पड़ता है। इसलिए भारी भरकम इक्विप्मेंट्स उठाने से पहले ध्यान दें कि आपका बॉडी बैलेंस सही है या नहीं। अगर आपका बॉडी बैलेंस नहीं रहेगा, तो एल्बो डिस्लोकेशन की समस्या पैदा हो जाती है।
वॉल्यूम का ध्यान रखें
वॉल्यूम का मतलब यहां स्टेप से है। अगर वेट लिफ्टिंग में वॉल्यूम का ध्यान नहीं रखा जाएगा, तो यह सबसे बड़ी लापरवाही होगी। वॉल्यूम का सीधा संंबंध मसल्स पर किए गए काम से होता है। वेट लिफ्टिंग में तीन बातें वॉल्यूम का पार्ट है। पहला-एक सेट में रिपिटेशन, दूसरा- एक एक्सरसाइज में सेट की संख्या, प्रत्येक मसल ग्रुप के हिसाब से एक्सरसाइज की संख्या।
वेट लिफ्टिंग खिलाड़ी को ब्रेक लेना भी जरूरी
वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करने के कुछ देर बाद ब्रेक लेना भी जरूरी है। सचिव ने बताया कि लगातार एक्सरसाइज करने से मसल्स पर नेगेटिव लोड पड़ता है। एक सेट कंप्लीट हो जाने के बाद बीच में ब्रेक ले लें। ब्रेक लेने से हार्ट बीट काफी तेज हो जाती है, और बॉडी में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ती है।आप वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करते वक्त अपनी तरफ से और भी सावधानी बरत सकते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो, इन बातों का ध्यान रखकर आप कैलोरी कम कर सकते हैं और सुडौल बॉडी बना सकते हैं।
ड्रेस का रखें ध्यान
सचिव सौरव गौर ने बताया कि एक्सरसाइज करते समय स्वेट रेजिस्टेंट टीशर्ट पहननी चाहिए,जिससे आपके बॉडी का पसीना सूख जाए,जो भी लोग जिम करते हैं,उन्हें फिटनेस ट्रैकर पहनना चाहिए। आजकल मार्केट्स में फिटनेस ट्रैकर बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। ये आपकी कैलोरी को मॉनिटर करते हैं। इसके अलावा सॉक्स और जूते भी जिम के अनुसार लेना चाहिए।जूते ऐसा नहीं लेना चाहिए,जिसे पहनकर आप एक्सरसाइज करते वक्त कंफर्टेबल फील न करें। लोकल जूते पैरों में पसीने आने के बाद बदबू भी देते हैं और पैरों में थकान भी महसूस होती है।
संवाददाता आकाश चौधरी कानपुर
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