*पुर्ण रूप से प्रकृति के सिद्धांत पर आधारित हैं होमियोपैथी – डॉ.रविकांत*
राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि अंबेडकरनगर
होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ द्वारा 10 दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य दिवस के दिन से प्रारंभ होकर दिनांक 17 अप्रैल को विश्व में शांति एवं वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ सभी जनों के निरोग एवं स्वस्थ जीवन शैली प्रदान करने की कटिवद्धता के साथ समापन होना है, इसी कड़ी को होम्योपैथी चिकित्सा महासंघ आगे बढ़ते हुए अपने द्वितीय चरण का कार्यक्रम विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के जनक डॉक्टर हैंनीमैंन के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर होम्योपैथिक चिकित्सा विकास महासंघ के जिला अध्यक्ष डॉ रविकांत त्रिपाठी के आवास पर कार्यक्रम कर मनाया गया इस अवसर पर महात्मा हैंनीमैंन के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई तत्पश्चात निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया जिसमें सैकड़ो लोगों ने चिकित्सकीय सेवा का लाभ लिया होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ के जिला अध्यक्ष डॉ रविकांत त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि होम्योपैथी अपने आप में पूर्ण चिकित्सा पद्धति है सभी प्रकार के पुराने व गंभीर रोगों का इलाज इस पद्धति में उपलब्ध है अपने चिकित्सकीय अनुभव को साझा करते हुए बताया कि ऐसे तमाम रोगी है जो पूर्ण रूप से निराश हो चुके थे उन्हें इस पद्धति से पूर्ण रूप से स्वस्थ किया गया है दमा, लगवा, गठिया,सोरायसिस इत्यादि असाध्य रोगों का इलाज इस पद्धती में हानि रहित रूप में निहित है । होम्योपैथी ही क्यों बेहतर इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि यह पद्धति पूर्ण रूप से प्रकृति के नियमों पर आधारित है प्रकृति में कोई भी ऐसी वस्तु चाहे वह जीवित अवस्था में हो या निर्जीव अवस्था में सभी के अपने औषधीय गुण होते हैं और जितने तत्व ठीक उतनी ही बीमारियां भी हैं हमारा इलाज इसी प्रकृति में उपस्थित सभी प्रकार के तत्वों द्वारा संभव है ,होम्योपैथी का सिद्धांत भी यही कहता है सामान से सामान की चिकित्सा प्रकृति के जिन तत्वों को ग्रहण करने द्वारा हमारा शरीर जिस प्रकार के लक्षण प्रदर्शित करता है उन्हीं तत्वों को यदि हम पोटेंटाइज्ड कर सुक्ष्म मात्रा में होम्योपैथी औषधि के रूप में लेते हैं तो उन लक्षणों को वह दूर कर देता है ,अर्थात सामान से सामान की चिकित्सा का सिद्धांत होम्योपैथिक का आविष्कार इसी प्रकार हुआ डॉक्टर हनीमैंन साहब एक एलोपैथिक चिकित्सक के साथ-साथ कई भाषाओं के जानकार होने के नाते तमाम प्रकार की पुस्तकों का अनुवाद भी अन्य भाषाओं में करते रहते थे एक बार किसी पुस्तक के अनुवाद के समय उन्होंने पाया कि सिनकोना बार्क लेने से रेमिटेंट फीवर होता है और किसी अन्य पुस्तक में पाया कि इसके सूक्ष्म सेवन से रिमिटेंट फीवर को सही किया जा सकता है यही घटना होम्योपैथी के आविष्कार का कारण बनी और तमाम प्रकार के पेड़ पौधों एवं प्रकृति में उपलब्ध वस्तुओं का सेवन स्वयं के ऊपर कर उसे होम्योपैथिक औषधि के रूप में विकसित कर नए चिकित्सा पद्धति का आविष्कार कर डाला जो आज विश्व की बड़ी एवं सफल चिकित्सा पद्धति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कार्यक्रम मैं उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉक्टर त्रिपाठी ने कार्यक्रम की समापन की किया इस अवसर पर डॉ प्रेमकांत त्रिपाठी ,भूपेश,शैलेश, सुंदरलाल ,सुशील मौर्य ,रविंद्र नाथ तिवारी ,किशन लाल ,साहुल, संतोष कुमार, एडवोकेट अनुराग दुबे ,आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट विमलेश विश्वकर्मा ब्यूरो चीफ अंबेडकर नगर
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